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मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत

हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। मार्गशीर्ष का माह मुख्यतः दान-पुण्य, धर्म-कर्म का माह माना गया है क्योंकि भगवत गीता मे भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है ” महीनो में, मै मार्गशीर्ष का पवित्र महीना हूँ “। ऐसी मान्यता है कि इस माह से ही सतयुग का प्रारम्भ हुआ था। इस पूर्णिमा पर स्नान दान एवं तप करना अत्यन्त फलदायी सिद्ध होता है। यह पूर्णिमा बत्तीसी पूर्णिमा या कोरला पूर्णिमा नाम से भी जानी जाती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन उपवास करने से सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती के रुप मे भी मनाया जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022 की तिथि एवं मुहूर्तः-

इस वर्ष 2022 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 8 दिसम्बर दिन बृहस्पतिवार को मनाया जायेगा। पूर्णिमा तिथि का आरम्भ प्रातः काल 8 बजकर एक मिनट से हो रहा है तथा इसका समापन 8 दिसम्बर को प्रातः 09ः37 मिनट पर होगा।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा की व्रत विधिः-

☸ प्रातःकाल उठकर किसी पवित्र नदी मे स्नान करें या नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
☸ उसके बाद भगवान नारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। आज के दिन सफेद वस्त्र पहनें तथा पूजा आरम्भ करने से पूर्ण आचमन करें।
☸ उसके बाद ओम नमोः नारायणः मंत्र का जाप करते हुए भगवान का स्मरण करें।
☸ भगवान का आह्वान करते हुए उन्हें पुष्प, आसन एवं इत्र अर्पित करें।
☸ पूजास्थल पर हवन के लिए एक वेदी का निर्माण करें। यज्ञ की पवित्र अग्नि मे तेल, घी, शक्कर आदि की आहुति देकर हवन का कार्य सम्पन्न करें।
☸ हवन सम्पन्न होने के बाद भगवान का ध्यान करते हुए उन्हें भक्तिभाव से व्रत का अर्पण करें।
☸ उपासक को रात्रि में भगवान की मूर्ति के समक्ष ही शयन करना चाहिए।
☸ व्रत के अगले दिन ब्राह्मण या जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन कराए तथा दान दें।

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