मौनी अमावस्या पर बन रहा है खप्पर योग

आइये समझते है ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा जी के द्वारा कि मौनी अमावस्या के दिन क्या दान करना चाहिए तथा क्या है खप्पर योग:-

माघ के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है इसे माघी अमावस्या भी कहते है। इस दिन स्नान और दान का बहुत महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन स्नान दान करने से सभी पाप भूल जाते है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मौन रहकर पूजा पाठ किया जाता है। इससे स्वास्थ्य अथवा ज्ञान की प्राप्ति होती है साथ ही ग्रह दोष दूर करने के लिए मौनी अमावस्या विशेष मानी जाती है। इस दिन चन्द्रमा और सूर्य एक साथ मकर राशि में प्रवेश करते है।

खप्पर योग बनने के नियम

कभी-कभी पूर्णिमा एवं अमावस्या की तिथि एक साथ हो जाती है तब उस अवस्था में खप्पर योग बनता है। खप्पर से तात्पर्य होता है ‘जलना’ अर्थात बुरी शक्तियों का विनाश होना। जिस माह में 5 शनिवार, 5 रविवार एवं 5 मंगलवार हो तो इस स्थिति में भी खप्पर योग बनता है लेकिन इस बार मौनी अमावस्या के दिन खप्पर योग का बनना हमारे लिए बहुत ही कष्टदायक होने वाला है। पूरे ब्रह्माण्ड में नकारात्मकता का संचार हो सकता है। शनि के राशि परिवर्तन के चार दिन बाद मौनी अमावस्या के दिन खप्पर योग बन रहा है। इससे अशुभ प्रभाव से राहत पाने के लिए मां काली की आराधना करना अत्यन्त लाभदायक होगा एवं सभी कष्ट दूर होंगे।

लग्न अनुसार मौनी अमावस्या पर करे दान

मौनी अमावस्या के दिन हम सभी को कुछ न कुछ दान करना चाहिए जिससे हम इसके बुरे प्रभावों से बच सकें तथा अपने जाने-अन्जाने में किये हुए पापों से मुक्ति पा सकें। यहां सभी जातकों के लग्न अनुसार क्या दान करना चाहिए बताया जा रहा है जो आपके लिए अत्यधिक लाभदायक होगा अतः यह दान अवश्य करें-

मेष लग्न

मेष लग्न वाले जातकों को हरी वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे फल इत्यादि।

वृष लग्न

वृष लग्न वाले जातकों को नारंगी रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए।

मिथुन लग्न

इस लग्न वाले जातकों को सफेद रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए।

कर्क लग्न

इस लग्न वाले जातकों को काले रंग के वस्तुओं का दान करना चाहिए।

सिंह लग्न

इन जातकों को भी काले रंग के वस्तुओं का दान करना चाहिए।

कन्या लग्न

इस लग्न वाले जातकों को नारंगी रंग की वस्तुओं का दान करें।

तुला लग्न

इस लग्न वाले जातकों को नारंगी रंग की वस्तुओं का दान करें।

वृश्चिक लग्न

इस लग्न वाले जातकों को चमकीली वस्तुओं का दान करें।

धनु लग्न

इस लग्न वाले जातकों को नारंगी रंग की वस्तुओं का दान करें

मकर लग्न

इस लग्न वाले जातकों को भी सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए।

कुंभ लग्न

इस लग्न वाले जातक भी सफेद वस्तुओं का दान करें।

मीन लग्न

मीन लग्न वाले जातक हरे रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए।

इसके अलावा स्नान दान के बाद सभी जातकों को गरीब एवं जरुरतमंद लोगो को खाना खिलाना चाहिए एवं वस्त्र इत्यादि का दान करना चाहिए।

दुर्गा सप्तशती पाठ

दुर्गा सप्तशती पाठ में अनेक नकारात्मक शक्तियों का वर्णन दुर्गा सप्तशती के अनुसार संसार में बहुत तरह की नकारात्मक शक्तियां उत्पन्न होती है जैसे ब्रह्म राक्षस, बैताल, कुष्माण्ड भैरव इत्यादि नकारात्मक शक्तियां पृथ्वी पर भ्रमण करती है लेकिन इसका अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नही प्राप्त हुआ है।

माता काली

माता काली देवी के नौ रुपों में से एक है और मां काली सदैव तत्पर लेकर चलती है उनके हाथ में लिये हुए खप्पर से आशय है नकारात्मक शक्तियों का पराजय और सकारात्मक ऊर्जा का संचार मां काली के हाथ में खप्पर और गले से मूंड की माला विराजमान होता है। माता काली ने अनेक राक्षसों का वध करके इस संसार को नकारात्मक शक्तियों एवं बड़े-बड़े राक्षसों से बचाया। माता काली जब सभी दैत्यों का संघार कर रही थी तो उसमें एक बहुत विशाल राक्षय रक्त बीज था। जिसका रक्त भूमि पर गिरना अशुभ था। क्योंकि रक्त बीज को वरदान था की उसके रक्त का एक बूंद उसके सौ अवशेषो को प्रकट कर देगा अर्थात उसके रक्त के एक बूंद से सौ और रक्त बीज प्रकट हो जाते इसलिए माता काली ने अपने हाथ में खप्पर उठाया और रक्त बीज के वध करते समय रक्तो को भूमि पर गिरने नही दिया तथा खप्पर में रक्तो को एकत्रित करके रक्त पान किया अर्थात माता काली ने संसार को नकारात्मक शक्तियों से बचाने के लिए रक्त पान किया।

मौनी अमावस्या एवं खप्पर योग पर करें मां काली की आराधना

खप्पर योग से राहत पाने के लिए सर्वप्रथम माता काली की पूजा आराधना करें एवं काली जी के मंत्र का उच्चारण करें।

मंत्र- ओम जयंती मंगला काली भद्र काली कपालिनी
        दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।

उपरोक्त मंत्र का अर्थः- 

☸ सबसे उत्कृष्ट एवं विजयशालिनी देवी जयंती है।

☸ जो अपने भक्तो को जन्म मरण आदि संसार के बंधनों से दूर करती है। उन मोक्ष दायिनी मंगलमयी देवी का नाम ‘मंगला’ है।

☸जो प्रलय काल में सम्पूर्ण दृष्टि को अपना ग्रास बना लेती है। वह काली है

☸जो अपने भक्तो को ही देने के लिए भद्र सुख मंगल स्वीकार करती है। वह ‘भद्र काली ’ है।

☸हाथ में कपाल एवं मुण्डमाला धारण करने वाली मां कपालिनी है।

☸जो अष्टागयोग कर्म एवं उपासना रुप दुःसाध्य से प्राप्त होती है वे मां दुर्गा है।

☸सम्पूर्ण जगत की जननी होने से अत्यन्त करुणामय स्वभाव होने के कारण जो भक्तों अथवा दूसरों के भी सारे अपराध क्षमा करती है उनका नाम क्षमा है।

☸सबका शिव अर्थात कल्याण करने वाली जगदम्बा को शिवा कहते है।

☸सम्पूर्ण प्रमंच को धारण करने के कारण भगवती का नाम धात्री है।

☸स्वधा रुप से श्राद्ध और तर्पण को स्वीकार करके पितरों का पोषण करने वाली स्वधा है।

 

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