विवाह पंचमी महत्व, कथा, शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का खास महत्व है क्योंकि इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस साल विवाह पंचमी 17 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी। विवाह पंचमी उत्सव खासतौर पर नेपाल एवं भारत के अयोध्या में मनाया जाता है। नेपाल में इस व्रत को मनायी जाने की यह वजह है कि सीता माता मिथिला नरेश राजा जनक की पुत्री थीं और मिथिला का बड़ा हिस्सा अब नेपाल में है। देश के कई हिस्सों में पूरे रीति-रिवाज के साथ यह उत्सव मनाया जाता है।

विवाह पंचमी कथा

शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री राम तथा माता सीता को भगवान विष्णु व लक्ष्मी माता का अवतार माना जाता है जिन्होंने इस धरती पर राजा जनक की पुत्री तथा महाराज दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। पुरानी कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि सीता माता का जन्म धरती में हुआ था। जब राजा जनक खेत में हल जोत रहे थें।

राजा जनक ने उस नन्ही बच्ची को सीता नाम दिया था इस वजह से सीता माता को जनक पुत्री के नाम से भी जाना जाता है। राजा जनक के पास एक शिव धनुष था जिसे भगवान परशुराम जी के अलावा अन्य कोई भी व्यक्ति नहीं उठा सकता था। एक बार धनुष को बचपन में सीता माता ने उठा लिया था।

तब राजा जनक ने यह निश्चय किया था कि वह उसी व्यक्ति को अपनी पुत्री के योग्य मानेंगे जो भगवान शिव के इस धनुष को उठाकर इस पर प्रत्यंचा चढ़ा सके। इसके पश्चात राजा जनक के द्वारा एक स्वयंवर का आयोजन किया गया जिसमें बहुत से बड़े-बड़े महारथियों ने हिस्सा लिया। भगवान श्री राम तथा लक्ष्मण भी महर्षि वशिष्ठ के साथ वहां एक दर्शक के रूप में उपस्थित हुए।

बहुत से लोगों ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया किन्तु कोई भी व्यक्ति उस धनुष को हिला ना सका जिससे राजा जनक काफी परेशान होने लगे। राजा की ऐसी दशा को देखकर महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम से इस प्रतियोगिता में भाग लेने को कहा।

अपने गुरु की आज्ञा का पालन करके भगवान श्री राम ने उस शिव धनुष को उठाया तथा उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे किन्तु वह धनुष टूट गया इस प्रकार से उस स्वयंवर में राम जी के विजयी होने के पश्चात ही सीता जी ने प्रसन्न मन से भगवान श्री राम के गले में वरमाला डाला, मान्यता के अनुसार वह दिन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। तभी से इसको राम-सीता विवाह से उपलक्ष्य में मनाया  जाने लगा।

विवाह पंचमी के दिन क्यों होती है शादी-व्याह की मनाही

ज्योंतिष के अनुसार ऐसा माना जाता है कि विवाह पंचमी के दिन ही प्रभु श्री राम और माता सीता शादी के बंधन में बंधे थे। इस जोड़ी को विवाह के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है और इस तिथि को बहुत शुभ माना जाता है।

पूरे देश में विवाह पंचमी को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है और इस दिन राम मंदिरों में बहुत धूम रहती है खासतौर पर अयोध्या में इसकी खास झलक देखने को मिलती है लेकिन जब बात हिंदू विवाह की आती है तब इस दिन को विवाह के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है।

इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि राम सीता के विवाह के बाद उनका जीवन कष्टों से भरा था और 14 साल वनवास के बाद भी माता सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा था ऐसी मान्यता है कि यदि इस दिन किसी कन्या का विवाह किया जाता हैं तो उसका वैवाहिक जीवन भी माता सीता की ही तरह सुखमय नहीं होता है।

विवाह पंचमी का दिन पूजा के लिए होता है शुभ

भले ही विवाह पचंमी के दिन शादी करना शुभ न माना जाता हो लेकिन हिंदू धर्म में इस दिन को अन्य शुभ कार्यों हेतु उपयुक्त माना जाता है खासतौर पर पूजा-पाठ के लिए विवाह पंचमी का दिन बेहद शुभ माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि यदि कोई कुंवारी कन्या इस  कन्या इस दिन श्री राम और सीता जी का विधि पूर्वक पूजन करती हैं।

इस दिन श्री राम और सीता जी का विधि पूर्वक पूजन करती हैं और उनसे अच्छे वर की प्राप्ति की कामना करती है तो उसकी सभी मनोकामनाएं बहुत जल्द ही पूर्ण हो जाती हैं। ज्योतिष के अनुसार भी यदि इस दिन शादीशुदा दंपत्ति घर में भगवान श्री राम-सीता के विवाह का आयोजन करते हैं तो उनका भी वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है।

विवाह पंचमी 2023 महत्व

पैराणिक कथाओं तथा धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह माना जाता है कि इस दिन महाराजा दशरथ के पुत्र प्रभु श्री राम के साथ राजा जनक की पुत्री देवी सीता का विवाह संपन्न हुआ था। भगवान श्री राम तथा देवी सीता के विवाह का विवरण श्रीरामचरितमानस में उल्लेखित है। माता सीता तथा भगवान श्री राम के विवाह के कारण ही यह विवाह पंचमी का दिन बहुत ही शुभ तथा मंगलकारी माना जाता है।

हिन्दू धर्म में भगवान श्री राम तथा माता सीता को एक आदर्श दंपत्ति माना जाता है जैसे भगवान श्री राम ने अपनी मर्यादा को बनाए रखकर मर्यादा पुरुषोत्तम का पद हासिल किया उसी प्रकार माता सीता भी अपनी पवित्रता साबित कर सम्पूर्ण संसार के लिए एक बहुत ही अच्छा उदाहरण बनी।

विवाह पंचमी पूजा विधि

विवाह पंचमी के दिन प्रातः उठकर दैनिक क्रियाओं से मुक्त होकर स्नान करें और श्रीराम और सीता विवाह का संकल्प लें।

स्नान के बाद शुभ मुहूर्त में श्रीराम और माता सीता के विवाह का आयोजन करें और समस्त परिवारीजनों को आमंत्रित करें।

पूजा स्थान पर श्रीराम और माता सीता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।

इस दिन रामायण के बालकांड में विवाह प्रसंग का पाठ करें और ओम जानकी वल्लभाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।

इसके बाद माता सीता और श्रीराम का गठबंधन करें और उनकी आरती करें।

पति-पत्नी मिलकर इस पूरे अनुष्ठान का आयोजन करें और स्वयं भी गठबंधन जोड़कर ही पूजन करें।

इससे आपके वैवाहिक जीवन में कोई मनमुटाव नहीं होगा और प्रेम सर्वदा बना रहेगा।

विवाह पंचमी शुभ मुहूर्त

विवाह पंचमी का उत्सव 17 दिसंबर 2023, दिन  रविवार को मनाया जाएगा।

विवाह पंचमी तिथि प्रारम्भः- 16 दिसंबर 2023 को रात्रि 8ः00 बजे से

विवाह पंचमी तिथि समापनः-17 दिसंबर 2023 को  शाम  5ः33 तक।

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