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अक्टूबर महीने का दूसरा प्रदोष व्रत आज, जाने प्रदोष काल में शिव जी की पूजा का महत्व

 सावन का पहला प्रदोष व्रत: तिथि, महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को इस व्रत का आचरण करना चाहिए। अक्टूबर महीने का दूसरा  प्रदोष व्रत 26 अक्टूबर 2023 को मनाया जाएगा। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे उसका वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। इस व्रत का महत्व दिन के आधार पर भी होता है। शास्त्रों में व्यक्त किया गया है कि प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति जल्दी ही भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करने में सहायता प्रदान करता है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

☸ आज के दिन, सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें ।
☸ स्नान के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें ।
☸ फिर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें ।
☸ यदि संभव हो तो व्रत-उपवास करें ।
☸ घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें ।
☸ इसके अलावा, शिव-पार्वती जी के साथ-साथ श्री गणेश की पूजा करें ।
☸ भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
☸ फिर उनको आक के फूल, बेलपत्र, धूप, दीप, अक्षत, रोली, मिठाई, और अन्य पुष्पों सहित सभी सामग्री अर्पित करें।
☸ मां पार्वती को चुनरी और सुहाग सामग्री समर्पित करें।
☸ भगवान शिव की आरती उच्चारित करें।
☸ भगवान शिव को सात्विक आहार प्रस्तुत करें।
☸ फिर भगवान शिव के सूत्रों का जाप और उनके ध्यान में लगे रहें।
☸ प्रदोष काल में पुनः स्नान करके भगवान शिव और मां पार्वती का पूजन करें।
☸ प्रदोष व्रत की कथा सुनें और आरती करें, इसके बाद फलाहार ग्रहण करें।

अक्टूबर महीने का दूसरा प्रदोष व्रत आज, जाने प्रदोष काल में शिव जी की पूजा का महत्व 1

प्रदोष व्रत का महत्व

धर्मशास्त्र के अनुसार, प्रदोष व्रत या त्रयोदशी का व्रत मनुष्य को संतुष्ट और सुखी बनाता है। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से, सुहागन स्त्रियों का सुख सदैव अटल रहता है, जो व्यक्ति इस व्रत को करता है, उसकी सभी कामनाएं कैलाशपति शंकर पूरी करते हैं। त्रयोदशी का व्रत करने वाले को सौ गाय-दान करने का फल प्राप्त होता है। इस व्रत को जिस विधि, विधान और संवेदनशीलता से किया जाता है, उससे व्यक्ति के सभी दुःख दूर हो जाते हैं।

जाने प्रदोषकाल में शिव जी की पूजा का महत्व

प्रदोषकाल में शिव पूजन से अत्यंत लाभ प्राप्त होता है। रावण के पास जो भी धन और संपत्ति थी, वह सभी शिव जी की कृपा के प्रतीक थें। रावण प्रदोष काल में ही शिव की आराधना करता था, जिससे उसे सिद्धियां प्राप्त हुईं थीं।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त 2023

प्रारम्भ तिथि – 26अक्टूबर प्रातः 09ः44 से,
समाप्त तिथि – 27 अक्टूबर प्रातः 06ः56 तक,

 

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