क्या है अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया एक भारतीय त्यौहार है। जो धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है, अक्षय तृतीया को आखा तीज या अक्षय तीज के नाम से जानते है। अक्षय तृतीया का त्यौहार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन दान करना शुभ माना जाता है, धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन दान करने से उससे कई गुना फल अधिक बढ़कर मिलता है।
अक्षय तृतीया के त्यौहार की मान्यता भारत में सबसे अधिक राजस्थान में है, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी इस त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया मनाने के पीछे की कहानी
अक्षय तृतीया मनाने के अलग-अलग कहानियाँ प्रचलित है, हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया की एक कहानी धर्मदास नामक वैश्य की है कि वह वैश्य तो था परन्तु वैश्य होते हुए भी धर्मदास हिन्दू धर्म में विश्वास करता था और वो देवी-देवताओं व ब्राह्मणों में बहुत श्रद्धा भी रखता था कहा ऐसा जाता है कि इस वैश्य ने अपने कर्मों को सुधारने के लिए गंगाजल में स्नान किया और विधि-विधान से पूजा करने के पश्चात अपना सब कुछ दान में दे दिया तत्पश्चात अगले जन्म एक महान राजा बना लोगों में मान्यता ऐसी भी है कि यही राजा चन्द्रगुप्त के रुप में भी पैदा हुए और इसी प्रभाव के कारण हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया मनाया जाता है।
एक अन्य कथा के अनुसार
मान्यता ऐसा है कि इस दिन ही भगवान विष्णु के संहारक ब्राह्मण अवतार अर्थात भगवान परशुराम का जन्म हुआ, कई जगहों पर अक्षय तृतीया को परशुराम जयंती के रुप में भी मनाया जाता है तथा मेलो एवं महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है। जैन धर्म में बताया जाता है कि इस धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव ने एक साल के उपवास के पश्चात पारण किया था। वह पारण करने में असमर्थ रहें क्योंकि उस समय किसी को पता नही था कि जैन साधू को क्या बैराया जाता है,जातिस्मर्णीय ज्ञान के कारण एक राजा को इसके बारे में जानकारी मिली और उन्होंने भगवान को अक्षय तृतीय के दिन गन्ने का रसपान करवाया इसी कारण से जैन धर्म में भी अक्षय तृतीया मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन क्या करें
☸ अक्षय तृतीया के दिन गंगा नदी या किसी तीर्थ स्थल पर स्नान करना चाहिए।
☸ अक्षय तृतीया के दिन प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देना चाहिए।
☸ इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।
☸ अक्षय तृतीया के दिन नवीन वस्त्र, शस्त्र, आभूषण आदि बनवाकर पारण भी करना चाहिए।
शास्त्रों में अक्षय तृतीया
☸ शास्त्रो के अनुसार इस दिन से त्रेतायुग और सतयुग का आरम्भ माना जाता है।
☸ इसी दिन बद्रीनारायण का पट खुलता है।
☸ नर-नारायण तथा परशुराम जी का अवतरण इसी दिन हुआ था।
☸ वृन्दावन के श्री बाँके बिहारी के मन्दिर में केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण-दर्शन होती है अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्र से ढके रहते है।
अक्षय तृतीया का महत्व
भारतीय ग्रंथों मे माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी पूजन करने और बीज के दान देने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है तथा साधको को कई गुना अधिक फल मिलता है, देश के कुछ क्षेत्रो में अक्षय तृतीया के दिन बच्चों द्वारा गुड्डे-गुड्डी की शादी कराई जाती है जिसमें पूरा गांव सम्मिलित रहता है। इस मान्यता का उद्देश्य बच्चों को सामाजिक रीति-रिवाजों व परम्पराओं से अवगत कराना होता है।
हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया के दिन से शादी-विवाह शुभ संस्कार आदि के लिए समय आरम्भ हो जाता है।
अक्षय तृतीया पूजा विधि
☸ अक्षय तृतीया के दिन प्रातः काल स्वच्छ होने के बाद स्नान करे और व्रत का संकल्प लें।
☸ तत्पश्चात नए वस्त्र धारण करके पूजा स्थल पर बैठें।
☸ घर के मन्दिर में रखी भगवान विष्णु के प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें।
☸ उसके बाद भगवान हरि और माता लक्ष्मी के समक्ष अगरबत्ती जलाएं तथा दीप प्रज्वलित करें।
☸ पूजा के दौरान भगवान विष्णु के समक्ष पीले फूल, पीले वस्त्र और तुलसी अर्पित करें।
☸ विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करें।
☸ अन्त में भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी का आरती भी करें और उन्हें दूध, चावल और चना दाल से बनी प्रसाद का भोग चढ़ाएं।
☸ पूजा सम्पन्न होने के बाद प्रसाद को परिवार के सदस्यों में वितरित कर दें।
अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 22, 2023 को 07:49 से
अक्षय तृतीया तिथि समाप्त – अप्रैल 23, 2023 को 07:47 तक