ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बात करें यदि हम बृृहस्पति ग्रह कि तो इन्हें गुरु ग्रह भी कहा जाता है। जब कभी हमारी कुण्डली में ग्रह नक्षत्रों की चाल बदलती है तो ऐसा होने से हमारे जीवन पर अवश्य रूप से इसका अनुकूल और प्रतिकूल दोनो प्रभाव ही पड़ता है। ऐसे में यदि किसी जातक की कुण्डली में कोई शुभ ग्रह पूरी तरह से कमजोर हो तो ऐसा होने से घर के किसी शुभ और मांगलिक कार्यों में हमेशा अड़चने आने लगती हैं मुख्य रूप से यदि हमारी कुण्डली में स्थित बृहस्पति ग्रह कमजोर हो जाए तो मांगलिक कार्यों में बहुत सारी दिक्कतें आने लगती है। उन्हीं में से एक उपाय है बृहस्पति स्रोत, अपनी कुण्डली में बृहस्पति देव को मजबूत बनाने के लिए बृहस्पति स्त्रोत का पाठ करना अत्यधिक लाभदायक होता है तो आइए इस स्त्रोत के बारे में हमारे योग्य ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा जानते हैं।
बृहस्पति स्त्रोत से मिलने वाले लाभ
☸ वैसे तो बृहस्पति स्त्रोत का पाठ करने से सभी जातकों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती हैं अतः बृहस्पतिवार के दिन यदि आपने बृहस्पति देव के कुछ मंत्रों और स्त्रोत का पाठ कर लिया तो अवश्य रूप से आपके जीवन में सकारात्मकता आने लगती हैं साथ ही इसके कुछ अन्य लाभ भी मिलने लगते हैं।
☸ यदि आप अपनी कुण्डली में स्थित बृहस्पति ग्रह को मजबूत बनाने के लिए बृहस्पति स्त्रोत का पाठ नियमित रूप से कर रहे हैं तो इसके पाठ से आपकी संतान से सम्बन्धित सभी समस्याएं भी हमेशा के लिए दूर हो जाती है।
☸ यदि आपकी कुण्डली में बृहस्पति ग्रह कमजोर अवस्था में हो तो ऐसे में जातक को अपने वैवाहिक जीवन में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में अपनी कुण्डली में बृहस्पति ग्रह को मजबूत बनाने के लिए आपको नियमित रूप से बृहस्पति स्त्रोत का पाठ करना चाहिए ऐसा करने से दाम्पत्य जीवन में आई हुई परेशानियाँ धीरे-धीरे दूर हो जाती हैं।
☸ यदि किसी जातक के पारिवारिक जीवन में कोई समस्या उत्पन्न हो रही हैं तो अपने परिवार में उत्पन्न हो रही समस्या को दूर करने के लिए बृहस्पति स्त्रोत का पाठ करना अत्यधिक लाभदायक होता है।
☸ यदि आपकी कुण्डली में बृहस्पति ग्रह उच्च स्थान पर हो तो ऐसे में बृहस्पति स्रोत का पाठ करने से आपको दोगुना फलों की प्राप्ति होती है। बृहस्पति स्रोत का पाठ करने से आपके हृदय में अपने से बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करने की भावना जाग्रत होती है।
☸ अपनी कुण्डली में बृहस्पति देव को प्रबल बनाने के लिए सूर्य देव को जल देना तथा बृहस्पति स्त्रोत का पाठ करना भी अत्यधिक फलदायी होता है।
बृहस्पति स्त्रोत
पीताम्बरः पीतवपुः किरीटी,
चतुर्भुजो देवगुरुः प्रशान्तः ।
दधाति दण्डं च कमण्डलुं च,
तथाक्षसूत्रं वरदोेस्तु मह्यम ।। 1।।
नमः सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते नमः
बृहस्पति स्त्रोत के पाठ को सही तरीके से करने की विधि
☸ जब कभी भी बृहस्पति स्त्रोत का पाठ करें हमेशा गुरुवार के दिन ही करना चाहिए।
☸ बृहस्पति स्त्रोत का पाठ करने से पहले सुबह स्नानादि करके साफ-सुथरे पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
☸ अपने घर के मंदिर वाले स्थान पर एक पूजा की चौकी रखें साथ ही उस पर पीले रंग का कपड़ा अवश्य बिछायें।
☸ उसके बाद विष्णु भगवान की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने के बाद बृहतस्पति स्त्रोत का पाठ श्रद्धापूर्वक आरम्भ करें।
☸ यदि संभव हो पाये तो बृहस्पतिवार के दिन आप उपवास भी रख सकते हैं।
☸ बृहस्पतिवार के दिन पीली चीजों का दान करें साथ ही केले के वृक्ष पर जल अवश्य चढाएं।
☸ पूजा के समय में भगवान विष्णु जी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं और पाठ की समाप्ति के बाद वहाँ उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद बाँटे और अपनी पूजा सफल करें।