शास्त्रों के अनुसार बात करें यदि हम अष्टम चन्द्रमा कि तो अष्टम का चंद्रमा यानि कुण्डली में स्थित चंद्रमा, अतः कुण्डली का आठवां भाव यानि मृत्यु, संकट, क्लेश तथा विघ्नादि का भाव कहा जाता है और यदि इस भाव में चंद्रमा की उपस्थिति हो तो सभी योग्य ज्योतिषियों द्वारा इसे अशुभ ही समझा जाता है परन्तु सर्वथा यह कहना गलत है कि अष्टम भाव में चंद्रमा हमेशा अशुभ फलदायी ही होता है। आपको बता दें केवल मृत्यु या भय ही अष्टम चंद्रमा का प्रतीक नही है बल्कि कुछ योग्य ज्योतिषी इसकी सकारात्मकता के बारे में भी गहन विचार करते हैं और एकदम सही निर्णय इसके बारे में बताते हैं तो आइए अष्टम भाव में चन्द्रमा हमें क्या शुभ और अशुभ फल देता है इसे हमारे योग्य ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के द्वारा समझते हैं।
अष्टम का चन्द्रमा कैसा देता है फल
☸ यदि किसी जातक का जन्म कृष्ण पक्ष में दिन में, या शुक्ल पक्ष की रात्रि में हुआ हो और उसकी कुण्डली में छठा या आठवां भाव चंद्र हो, साथ ही शुभ व पाप दोनों ही प्रकार के ग्रहों से दृष्ट हो तो ऐसा जातक कभी मरता नहीं है बल्कि ऐसी स्थिति में चन्द्रमा एक पिता की तरह अपने बालक की रक्षा करता है।
☸ यदि किसी जातक की जन्मकुण्डली में उसके अष्टम भाव में चन्द्रमा यदि गुरु, बुध या शुक्र के द्रेष्काण में हो तो ऐसी स्थिति में चंद्रमा मृत्यु पाते हुए व्यक्ति की रक्षा करता है।
☸ यदि किसी जातक का जन्म कृष्ण पक्ष में दिन में हुआ हो या शुक्ल पक्ष की रात्रि में हुआ हो तो ऐसे जातक को चन्द्रमा हमेशा सकारात्मक परिणाम देते हैं।
☸ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा शुभ ग्रह यानि शुक्र या बुध की राशि में हो या इन्हीं ग्रहों से दृष्ट हो तो ऐसी स्थिति में जातक को चंद्रमा के सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
☸ यदि किसी जातक की द्रेष्काण जन्मकुण्डली में चंद्रमा पर गुरू या बुध ग्रह की दृष्टि हो या चन्द्रमा इन्हीं तीन ग्रहों की राशियों में स्थित हो तो ऐसी स्थिति में चंद्रमा के द्वारा जातक को सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
☸ यदि जातक की कुण्डली में चंद्रमा पर गुरु, शुक्र या बुध ग्रह की दृष्टि हो या चंद्रमा इन्हीं तीन ग्रहों की राशियों में भी स्थित हो तो ऐसी स्थिति में जातक को चंद्रमा के सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
कुछ अन्य उदाहरणों से जानते है अष्टम का चन्द्रमा किस तरह से जातक के जीवनदायक के लिए फलदायी है
☸ जातक की कुण्डली में चंद्रमा यदि अष्टम भाव में राहु के साथ है, कुण्डली का लग्नेश शनि भी सूर्य के साथ है इसके अलावा चंद्र कुण्डली का लग्नेश यानि बुध अष्टमेश के साथ तृतीयस्थ हैं तो ऐसी खतरनाक स्थिति में भी चन्द्रमा अष्टम का होकर जातक को स्वास्थ्य लाभ के साथ एक सुखी और नया जीवन देता है।
☸ यदि कुण्डली में जातक का चंद्रमा अष्टमस्थ है उस पर शनि ग्रह की अशुभ दृष्टि है, यहाँ चंद्र कुण्डली का लग्नेश बुध भी षष्ठस्थ है और तृतीयेश सूर्य के साथ रहकर अशुभ स्थिति में है। इसके अलावा द्रेष्काण कुण्डली में भी चंद्रमा पर शनि और मंगल का प्रभाव है तो ऐसी स्थिति में भी जातक अपना जीवन बहुत लम्बा व्यतीत करता है साथ ही हमेशा स्वस्थ रहता है।
☸ यदि किसी जातक का चन्द्रमा अष्टमस्थ है और किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि मंगल पर पड़ रही है तो ऐसी बनी हुई कुण्डली की खतरनाक स्थिति में भी जातक लम्बी आयु तक जीवन जीता है साथ ही पूरे 55 वर्ष तक स्वस्थ रहकर भी फिल्म जगत में काम करता है।
☸ यदि जातक की कुण्डली में चंद्रमा अष्टम भाव में स्थित है, इसके अलावा चंद्र कुण्डली का लग्नेश बुध अपनी नीच राशि में है तथा अशुभ मंगल से दृष्ट है तो ऐसी बनी हुई खतरनाक स्थिति से भी जातक लम्बी आयु तक जीता है साथ ही अपनी उस आयु में भी ऊर्जा और उत्साह से भरा रहता है।
☸ यदि जातक की कुण्डली में चंद्रमा अष्टम भाव में सूर्य के साथ उपस्थित है, और द्रेष्काण कुण्डली में भी चंद्रमा और सूर्य की युति है तथा जातक की नवांश कुण्डली में चंद्रमा पर मंगल की पूर्ण दृष्टि है तो कुण्डली में बनी ऐसी स्थिति में भी जातक 71 वर्ष की लम्बी आयु तक अपनी सारी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर भी स्वस्थ रहते हैं।
☸ यदि कुण्डली में जातक का चंद्रमा अष्टम स्थान पर है, चंद्रमा पर मंगल ग्रह की दृष्टि हैं तथा लग्न का स्वामी भी शत्रु शनि के साथ कुण्डली के द्वादश भाव में स्थित है तो ऐसा जातक अपने 59 वर्ष की आयु में पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने कार्य व्यवसाय में पूरी तरह से ऊर्जा के साथ कार्यरत है।
☸ तो आपने ऊपर दिये गये अष्टम चन्द्रमा के कुण्डली में बने हुए कुछ योगों को देखा, अतः इन योगों को देख लेने के बाद कोई भी योग्य व्यक्ति अष्टम चन्द्रमा के बारे में कोई गलत निर्णय लेने की नही सोच सकता है। यहाँ पर अष्टम चंद्रमा के नकारात्मक पक्ष को देखकर भयभीत न होते हुए इसके सकारात्मक पक्ष पर भी गहन विचार करना चाहिए साथ ही जातक की कुण्डली में उसके लग्न, द्रेष्काण व नवांश कुण्डलियों में भी इनकी स्थिति और इसके शुभ या अशुभ प्रभावों का विचार करके ही अंतिम रूप से किसी निर्णय पर पहुँचना चाहिए।
अष्टम भाव में चंद्रमा से मिलने वाले अशुभ प्रभाव के उपाय
☸ यदि किसी जातक की कुण्डली में चंद्रमा अष्टम भाव में उपस्थित है और जातक को अशुभ फल दे रहा है तो ऐसे में जातक को दिये गये कुछ उपायों को अवश्य कर लेना चाहिए, इन उपायों को कर लेने से अष्टम भाव में चन्द्रमा की अशुभता कुछ हद तक धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है और जातक इसके अशुभ प्रभाव से बच जाता है।
☸ अष्टम भाव में स्थित चंद्रमा की अशुभता को दूर करने के लिए पीने के पानी के लिए चाँदी के ग्लास का प्रयोग करना चाहिए या फिर चाँदी से बनी हुई चेन गले में धारण करना चाहिए या फिर चाँदी के बने ब्रेसलेट को अपनी हथेली में धारण करना भी शुभ फलदायी माना जाता है।
☸ यदि संभव हो पाये तो अष्टम के चंद्रमा की अशुभता को दूर करने के लिए सोमवार का उपवास रखें या फिर सोमवार के दिन नमक वाली किसी भी चीजों से परहेज करें।
☸ अष्टम के चन्द्रमा की अशुभता को दूर करने के लिए दिन के समय में दूध या छाछ पीयें इसके अलावा दही का भी सेवन करें तथा रात के समय में दूध, छाछ, दही या दूध से बनी हुई किसी भी चीजों का सेवन करने से बचें।
☸ चंद्रमा के बीज मंत्र ओम श्रं श्रं श्रीं श्रीं चंद्राय नमः का जाप करें, इस मंत्र का जाप करने से जातक की मानसिक शक्तियों में वृद्धि होती है साथ ही अष्टम चंद्रमा के अशुभ प्रभाव पूरी तरह से दूर हो जाते हैं। अपनी मानसिक शक्तियों में और ज्यादा वृद्धि करने के लिए इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
☸ सोमवार के दिन किसी गरीब या बेघरों को दूध, सफेद मिठाई तथा दूध से बनी हुई चीजों का दान करें तथा अपने घर का बना हुआ भोजन और पानी कभी भी बर्बाद करने से बचें।
☸ प्रतिदिन नियमित रूप से भगवान शिव, माँ गौरी, माँ दुर्गा और भगवान श्री कøष्ण जी की श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना करें ऐसा करने से अष्टम चंद्रमा के अशुभ प्रभाव बहुत कम होते नजर आयेंगे।
☸ प्रतिदिन सुबह के समय जगकर योगा और ध्यान करें साथ ही छोटी कन्याओं और बूढ़ी महिलाओं को भोजन कराकर उनका श्रद्धापूर्वक सम्मान करें इससे आपके अष्टम भाव में चंद्रमा के दोष समाप्त हो जाते हैं।
☸ अष्टम चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नारियल खाएं और नारियल का पानी पीयें ऐसा करने से शीघ्र ही आपके सभी दोष दूर हो जायेंगे।
☸ अष्टम चन्द्रमा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए अपने घर के कमरे में मोर पंख स्थापित करें, मान्यता के अनुसार मोर पंख भी अष्टम चन्द्रमा की अशुभता में बहुत फलदायी होता है यह चंद्रमा की शक्ति में अत्यधिक वृद्धि करने में बहुत अधिक सहायक होता है।
☸ किसी योग्य ज्योतिष की सलाह से मोती रत्न को अपने हाथ की कनिष्ठिका उंगली में धारण करना चाहिए इससे भी अष्टम भाव के चंद्रमा के अशुभ प्रभाव पूरी तरह से दूर हो जाते हैं।