आमलकी एकादशी हिन्दू पंचाग के अनुसार फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाएगा। आमलकी एकादशी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। आमलकी एकादशी को आम भाषा में आँवला एकादशी भी कहा जाता है। एकादशी के दिन आँवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह दिन मुख्य रुप से होली के त्यौहार का प्रतीक माना जाता है। इस व्रत में आँवले के वृक्ष की पूजा करने का विधि विधान है। जो भी उपासक पूरी निष्ठा और विधिपूर्वक इस पूजा को पूर्ण करते है उनको सभी पापों से मुक्ति मिलती है तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
हिन्दू धर्म में प्रत्येक माह में दो एकादशी व्रत होते है। इस प्रकार एक वर्ष में लगभग 24 या 26 एकादशी होती है। प्रत्येक एकादशी का अपना एक विशेष महत्व है। इन सभी एकादशी मे आमलकी एकादशी को सर्वोत्तम माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु और आँवले के पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि आँवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी एकादशी है जो भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव से भी जुड़ी हुई है। कुछ स्थानों पर इस एकादशी के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। शिव जी के भक्त उन पर और जनता पर जमकर अबीर-गुलाल उड़ाते है।
आमलकी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त
आमलकी एकादशी 3 मार्च दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा।
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 02 मार्च 2023 को 06:39 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 03 मार्च 2023 को 09:11 बजे
आमलकी एकादशी की पूजा विधि
स्नान करने के बाद भगवान विष्णु के प्रतिमा के समक्ष अपने हाथ में तिल कुश, मुद्रा और जल लेकर संकल्प करें कि मै विष्णु जी की प्रसन्नता एवं मोक्ष की प्राप्ति हेतु एकादशी का व्रत रख रहा हूँ और मेरा यह व्रत सफल हो जाए इसके लिए श्री हरि मुझे अपनी शरण मे रखें।
आमलकी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें
☸ आवलें के पेड़ के नीचे भगवान की तस्वीर या मूर्ति एक चौकी पर स्थापित करें।
☸ उसके बाद विष्णु जी की विधिपूर्वक पूजा करें।
☸ विष्णु जी को रोली, चंदन, अक्षत, फूल, धूप और नैवेद्य अर्पित करें तथा घी का दीपक जलाएं।
☸ अब भगवान विष्णु को आंवला अर्पित करें तथा आंवला एकादशी व्रत की कथा पढ़े या सुनें।
☸ अन्त में आरती करके पूजा का समापन करें।
☸ अगले दिन स्नान और पूजन के बाद किसी ब्राह्मण का भोजन खिलाएं।
आमलकी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी भगवान विष्णु के नाभि से उत्पन्न हुए थे। एक बार की बात है स्वयं को जानने के लिए ब्रह्मा जी ने परब्रह्मा की तपस्या करनी आरम्भ कर दी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए। यह देखकर ब्रह्मा जी के नेत्रो से अश्रुओं की धारा निकल पड़ी। ऐसा माना जाता है यह आसू भगवान विष्णु के पैरो पर गिरने के बाद आंवले के पेड़ में परिवर्तित हो गए। भगवान विष्णु ने कहा यह फल और पेड़ आज से मुझे अत्यन्त प्रिय है जो भी उपासक आमलकी एकादशी पर इस वृक्ष की पूजा करेगा उसे सभी पापों से मुक्ति मिलेगी और मोक्ष की प्राप्ति भी होगी। तभी से आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है।
आमलकी एकादशी मंत्र
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः
श्री कृष्ण श्लोक- मंडम हसनंतम प्रभाया
व्सुदेवसुत देव- कृष्ण मंत्र
श्री राधा कृष्ण अष्टकम
श्री कृष्ण जयंती निर्णय
चालीसा- श्री कृष्ण चालीसा
स्तुति- श्री कृष्ण स्तुति
स्त्रोतं- अथ श्री कृष्णाष्टकम्
श्री राधाकृष्णास्त्रोत्रम्- वन्दे नवघनश्यामं पीतकौशेय