इस नवरात्रि जरूर करें सांझी माता (Sanjhi Mata) की आरती पूरी होगी मनचाही कामना
हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के बाद आरती का विशेष महत्व है। नवरात्रि के दौरान सांझी माता (Sanjhi Mata) की आरती का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह आरती विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं के लिए शुभ मानी जाती है। माना जाता है कि सांझी माता (Sanjhi Mata) की आराधना करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है और घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है। इस लेख में हम आपको नवरात्रि के दौरान सांझी माता की आरती के महत्व और उससे जुड़ी पूजा विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे।
सांझी माता (Sanjhi Mata): पूजनीय देवी
नवरात्रि पर्व की शुरुआत के साथ, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में मां दुर्गा की पूजा के लिए घर-घर में मिट्टी, गाय के गोबर और अन्य सामग्रियों से उत्तर या पूर्व दिशा में दीवार पर सांझी (Sanjhi Mata) की सुंदर दैवीय प्रतिमा बनाई जाती है। शाम (सांझ) के समय, घर और मोहल्ले की महिलाएं भोग अर्पित कर लोकगीतों के साथ उसकी पूजा करती हैं।
सांझी (Sanjhi Mata) को मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है, और यह पर्व उत्तर भारत का एक लोकप्रिय त्योहार है, जिसे भारतीय लोक संस्कृति का आईना माना गया है। नवरात्रि के नौ दिनों में ‘शक्ति’ के रूप में सांझी की विधिवत पूजा की जाती है। सांझी को मां गौरी और दुर्गा का ‘सांझा’ रूप समझा जाता है, इसी कारण इस पर्व को ‘सांझी’ के नाम से जाना जाता है।
सांझी माता (Sanjhi Mata) को उत्तर भारत में विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं की देवी के रूप में पूजा जाता है। शारदीय नवरात्रि के दौरान सांझी पर्व का विशेष महत्व होता है। इस पर्व में कुंवारी कन्याएं देवी से अपने भविष्य और सुखमय जीवन की कामना करती हैं। सांझी माता (Sanjhi Mata) की पूजा घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाने का प्रतीक मानी जाती है।
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सांझी माता (Sanjhi Mata) की पूजा विधि
नवरात्रि के दौरान सांझी माता को आटे, चावल के आटे, या रेत से बनाई जाती है। देवी की आकृति को बड़े श्रद्धा और भाव से तैयार किया जाता है और फिर पूरी विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है। इस पूजा में दीप जलाकर, फूल अर्पित कर, भोग लगाकर देवी का आह्वान किया जाता है। माना जाता है कि सांझी माता (Sanjhi Mata) की पूजा पूरी श्रद्धा से करने पर देवी सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करती हैं और घर में सुख, शांति और समृद्धि लाती हैं।
सांझी माता (Sanjhi Mata) की आरती का महत्व
नवरात्रि के दौरान सांझी माता (Sanjhi Mata) की आरती विशेष महत्व रखती है। आरती करने से भक्तों को मनचाहे फल प्राप्त होते हैं और जीवन में सुख-सौभाग्य की वृद्धि होती है। सांझी माता (Sanjhi Mata) की आरती को पूरे भाव और समर्पण के साथ करना चाहिए। यह देवी को प्रसन्न करने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका माना जाता है।
सांझी माता (Sanjhi Mata) की आरती
आरता री आरता मेरी सांझी माई आरता,
आरता के नैन, कचाली भर आइयो,
टेढ़ी टेढ़ी पगियो में, बीरा जी हमारे,
लंबे लंबे घूंघट वाली, भावज हमारी,
क्या मेरी सांझी ओढेगी, पहरेगी,
सोने का सीस गुनधाएगी,
जाग सांझी जाग तेरे माथे लगे भाग,
तेरी पटियों में मांग, तेरे हाथो में सुहाग,
गोरा री गोरा सांझी का भैया गोरा
गोरी है बहुरिया,
अस्सी तेरे फूल, पिचासी तेरे डंडे,
श्रवण तेरी डोर, मुल्तानी तेरे पलड़े,
हल्दी गांठ गठीली, सबकी बहु है हठीली,
माँगे सोने का बिंदा, बिंदा मोल गया,
भाभो रूठ गयी, भैया बागों में जाइयो,
एक लोधड़ा कटाइयो, सूडा सूड़ मचाइयो,
कालबली के ऊंचे पाए, नीचे पाए
लेले बेटा गोद खिलाए,
गुरसल मंगल गाती आई,
चिड़िया चूँ चूँ करती आई
अऊं तेरी सांझी, मांगे गेंहू,
तू दे सपूती जौ, तेरे बेटा होंगे नौ,
नौ नोरते देवी के, सोलह कनागत पितरों के,
खोल मेरी देवी , चंदन किवाड़,
मैं आई तेरे पुजनहार,
पूज पूजन्ति क्या कुछ लाई,
भैया भतीजे सब परिवार,
भैया तेरे नौ दस बीस
भतीजे तेरे पूरे तीस
नवरात्रि के पावन पर्व पर सांझी माता (Sanjhi Mata) की पूजा और आरती करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। देवी के आशीर्वाद से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है, और घर में सुख-शांति और सौभाग्य का वास होता है। इस नवरात्रि सांझी माता (Sanjhi Mata) की आराधना जरूर करें और देवी की कृपा से अपने जीवन को सफल बनाएं।