कुंडली में प्रसन्न मंगल हमेशा करते हैं मंगल ही मंगल

वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार देखा जाए तो हर एक ग्रह की अपनी अपनी विशेषताएं और भूमिका होती है जिसका व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।। ज्योतिष दृष्टिकोण से मंगल ग्रह को साहसी, पराक्रमी शौर्य और ऊर्जा का कारक माना जाता है। मंगल ग्रह को कुण्डली में एक सेनापति की संज्ञा दी गई हैं। मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी कहा जाता है। मंगल ग्रह अग्नि तत्व राशि होती है तथा इसका प्रमुख रंग लाल होता है। मंगल ग्रह की धातु ताम्बा है तथा इसका अनाज जौ को माना जाता है। मंगल ग्रह मकर राशि में उच्च का होने के कारण सबसे ज्यादा मजबूत और कर्क राशि में नीच का होने के कारण यह अत्यधिक कमजोर होता है। यह मेष और वृश्चिक दोनो ही राशियों में स्वग्रही होता है। इसके अलावा मंगल ग्रह की अपनी चौथी, सातवीं और आठवीं दृष्टियां होती हैं।

कुण्डली में शुभ मंगल जातक को बनाता है पराक्रमी, स्वस्थ और आकर्षक 

बात करें यदि कुण्डली में मंगल के शुभ और अशुभ फल की तो किसी जातक की कुण्डली में मंगल ग्रह को शास्त्रों में व्यक्ति के साहस, आन्तरिक बल, अचल सम्पत्ति, छोटे भाई-बहन, शत्रुता, रक्त, शल्य चिकित्सा, रोग, तर्क, भूमि, विज्ञान, अग्नि, सौतेली माँ, क्रोध, घृणा, पाप, हिंसा, अकस्मात मृत्यु, दुर्घटना, हत्या, बहादुरी, नैतिकता और विरोधियों का कारक माना जाता है।

नीच का मंगल

यदि किसी जातक की जन्मकुण्डली में नीच का मंगल होकर कर्क राशि में नीच का हो तथा किसी अन्य प्रकार से मंगल ग्रह कमजोर अवस्था में हो तो ऐसा जातक डरपोक स्वभाव का होता है तथा किसी प्रकार के वाद-विवाद से हमेशा दूरी बनाये रखता है। यदि मंगल ग्रह स्वयं लग्न को प्रभावित कर रहा है तो ऐसा जातक बहुत जिद्दी स्वभाव का होता है। यदि मंगल यहाँ नीच का होकर पीड़ित अवस्था में हो तो ऐसे जातक को रक्त की कमी हमेशा रहती है साथ ही कब्ज, उच्च रक्तचाप और मांसपेशियों से जुड़ी परेशनियाँ भी लगी रहती है। मंगल के कुपित होने के कारण फोड़े-फुन्सी जैसी समस्याएं तथा स्त्रियों को मासिक धर्म से सम्बन्धित समस्याएँ भी लगी रहती हैं

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उच्च का मंगल

यदि किसी जातक की जन्मकुण्डली में मंगल ग्रह उच्च का होकर मकर राशि में उपस्थित हो या फिर स्वयं अपनी राशि मेेष और वृश्चिक में स्वगृही हो तो ऐसा जातक अत्यधिक साहसी और किसी से दबने वालों में से नहीं होता है हमेशा मेहनती और पराक्रमी स्वभाव का होता है तथा उसके आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है। उच्च का मंगल प्रतियोगी परीक्षा में सफलता दिलाता है। कुछ लाभकारी चीजों में वृद्धि होगी। प्रेम जीवन सफल रहेगा तथा विदेश यात्रा में सफलता मिलेगी। 

मंगल का अशुभ प्रभाव दिलाता है अत्यधिक क्रोध

मंगल ग्रह को किसी जातक की जन्मकुण्डली में अग्नि तत्व का कारक माना जाता है इसी कारण से जिन राशियों पर मंगल का प्रभाव अशुभ होता है वे जातक जरूरत से ज्यादा क्रोधित होते हैं इन्हें  छोटी-छोटी बातों पर भयानक गुस्सा आ जाता है। इसके अलावा मंगल के अशुभ प्रभाव से जातक हर समय किसी न किसी से बेमतलब का वाद-विवाद करता रहता है। इसके अलावा मंगल ग्रह क्रोध पर नियन्त्रण पाने में भी असफल होता है।

मंगल और राहु दोनों की अशुभ स्थिति हो तो

किसी जातक की जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह और राहु पीड़ित अवस्था में हो या फिर अशुभ स्थिति में हो तो ऐसे जातकों को इन दोनों के ही अशुभ प्रभाव से कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी उत्पन्न होती हैं। इसके अलावा दोनो ग्रहों के दुष्प्रभावों के कारण ट्यूमर जैसी गम्भीर बीमारी की शिकायत भी जातक को हो सकती है जिसके कारण जातक हर प्रकार की परेशानियों से घिरा रहता है।

अशुभ मंगल देता है जीवनसाथी से तनाव

किसी जातक की जन्म कुण्डली में यदि मंगल अशुभ प्रभाव में हो या फिर किसी प्रकार का मंगल दोष उत्पन्न हो तो ऐसे जातको का अपने जीवनसाथी से रिश्ता बहुत अच्छा नही बन पाता है। ऐसे दाम्पत्य जीवन वाले लोगों के बीच हमेशा किसी न किसी बात को लेकर बहस होता रहता है। तालमेल अच्छा न हो पाने के कारण कई बार आगे चलकर बात तालाक तक पहुँच जाती हैं। कुण्डली में मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति होने के कारण ही बना हुआ शादीशुदा जीवन बिगड़ सा जाता है। जिसका पछतावा उन्हें बाद में जाकर होता है।

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अशुभ मंगल से बन सकती है दुर्घटना होने की स्थिति

मंगल ग्रह जातक की कुण्डली में अशुभ होने पर या कुण्डली में मंगल ग्रह से सम्बन्धित कोई दोष उत्पन्न होने पर जातक बहुत गम्भीर रूप से दुर्घटना का शिकार हो जाता है तथा कभी-कभी जातक को छोटी-मोटी दुर्घटनाएं भी झेलनी पड़ सकती हैं। इसके अलावा जातक को हर समय किसी  कारणवश शरीर और घुटने मे दर्द बना रहता है तथा उन्हें अक्सर करके कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष में ऐसे होने और अशुभ योग बनने पर कहा जाता है की उस व्यक्ति के ऊपर मंगल बुरी तरह से भारी है।

मंगल की अशुभता के कारण भाइयों में होता है मनमुटाव

वैसे तो आये दिन ऐसे हरेक परिवारों में मतभेद होता ही रहता है परन्तु यदि जन्मकुण्डली में मंगल अपनी अशुभ स्थिति में हो तो अक्सर करके उन भाइयों में तालमेल नही रहता है। मंगल भारी होने के कारण भाइयों का आपस में मनमुटाव अधिक होता है। इन दोनों के बीच रिश्तों की स्थिति ऐसी हो जाती है की दोनों भाइयों मे रिश्ता न के बराबर होता है। मंगल की अशुभ स्थिति के कारण भाइयों में वाद-विवाद की स्थिति भयानक उत्पन्न हो जाती है।

मंगल की अशुभ स्थिति से जातक शल्य चिकित्सा से गुजरने पर होता है मजबूर

किसी जातक की जन्म कुण्डली में मंगल अपनी अशुभ अवस्था, किसी प्रकार का दोष और मंगल के भारी होने के कारण जातक को अपने जीवन में कई बार शल्य चिकित्सा से गुजरना पड़ता है इसके अन्तर्गत कोई गम्भीर जख्म, काटने पीटने, ब्रेस्ट सर्जरी, जोड़ों की समस्या और बच्चों के जन्म के दौरान होने वाली समस्याएँ उत्पन्न होती हैं जिसके कारण जातक को अथाह परेशानियां झेलनी पड़ती है।

अशुभ या कमजोर मंगल को बलवान बनाने के उपाय

यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह अशुभ अवस्था में हो या कमजोर हो तो इसकी अशुभता को दूर करने के लिए सुबह के समय साफ-सुथरे होकर स्नान करने के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करके रुद्राक्ष की 3, 5, या 7 माला का जाप करते हुए मंगल का बीज मंत्र ‘ओम क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः’ का जाप करें।

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मंगल की अशुभता को दूर करने और कुण्डली में इसकी स्थिति मजबूत करने के लिए प्रत्येक मंगलवार को उपवास अवश्य रखना चाहिए ऐसा करने से मंगल ग्रह मजबूत होता है तथा सारी परेशानियों से छुटकारा भी मिलता है।

● यदि जातक को अपनी जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह को बलवान बनाना है तो उन जातकों को कम से कम 21 तथा अधिक से अधिक 45 मंगलवार का उपवास रखना लाभदायक माना जाता है। यदि संभव हो पाये तो उपवास अवश्य रखें।
● मंगलवार के दिन उपवास से अशुभ मंगल को बलवान बनाने के साथ-साथ संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है साथ ही जातक को कर्ज से भी जल्द ही छुटकारा मिल जाता है।
●  कुण्डली में मंगल के कमजोर होने की स्थिति में मूंगा, मसूर की दाल, बेल, कनेर का पुष्प, गुड़ या लाल कपड़ा, सोना, लाल चंदन इत्यादि का दान करते हैं तो दान करने मात्र से भी आपकी कुण्डली में मंगल बलवान होकर प्रसन्न रहेंगे।
● मंगल के अशुभ होने की स्थिति में छोटे भाई-बहन को खूब लाड-प्यार और ख्याल रखने तथा उनकी मदद करके हर समय उनका ढ़ाल बने रहने पर भी मंगल ग्रह का कुण्डली में अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है।
● कुण्डली में मंगल ग्रह की अशुभता तथा इससे उत्पन्न दोषों को दूर करने के लिए संकटमोचन हनुमान जी की पूजा करके बजरंग बाण का पाठ करें आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।