रुद्राख की उत्पत्ति
रुद्राक्ष भगवान शिव का अंश माना जाता है। जिसके कारण रुद्राक्षों का महत्व अधिक बढ़ जाता है। एक मुखी रुद्राक्ष का मिल पाना बहुत मुश्किल माना जाता है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति को लेकर पुराणों में एक कथा का उल्लेख मिलता है। उस प्रसिद्ध कथा के अनुसार एक बार तप करते समय महादेव जब क्षुब्ध हो गए तों उनके नेत्रों से कुछ बूंदे धरती पर गिरी जिससे रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई।
एक मुखी रुद्राक्ष का आकार
एकमुखी रुद्राक्ष काजू के आकार या अर्द्ध चन्द्रमा के आकार का दिखाई देता है। एक मुखी रुद्राक्ष के मुख पर प्राकृतिक रुप से केवल एक रेखा होती है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से सभी पाप धुल जाते हैं।
एकमुखी रुद्राक्ष के स्वामी
ज्योतिष शास्त्र में रुद्राक्ष के महत्व को उच्च स्थान दिया गया है। एक मुखी रुद्राक्ष के स्वामी सूर्यदेव हैं। यदि किसी जातक की कुण्डली में सूर्य कमजोर हो तो एक मुखी रुद्राक्ष फायदेमंद साबित होता है। इस रुद्राक्ष को पहनने से नेतृत्व करने की क्षमता अधिक होती है। साथ ही माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा जातकों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
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हृदय रोग से सुरक्षा
जो जातक एकमुखी रुद्राक्ष पहनते हैं उनको हृदय से सम्बन्धित बीमारियां नही होती है, साथ ही सिरदर्द, मानसिक रोग, हड्डियों की कमजोरी और आंख की रौशनी से जुड़ी समस्याएं भी दूर होती हैं।
एकमुखी रुद्राक्ष को कैसे और कहां पहनें
एकमुखी रुद्राक्ष को गर्दन में लाल धागे में पिरोकर पहनना चाहिए। इसके अलावा इसे सोने अथवा चाँदी की चेन में भी पहना जा सकता है। एकमुखी रुद्राक्ष बहुत ही प्रभावशाली रुद्राक्ष माना जाता है। इस रुद्राक्ष के प्रभाव से माता लक्ष्मी का वास सदैव बना रहता है इसमें साक्षात शिव जी का वास होता है। इसे धारण करने से अनेक शक्तियां प्राप्त होती हैं। सभी सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
एकमुखी रुद्राक्ष का महत्व
एकमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के बाद व्यक्ति ईश्वर से जुड़ा हुआ महसूस करता है। ये रुद्राक्ष परम शिव की शक्ति का कारक है जो जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाता है। मोक्ष प्राप्ति के लिए इसे सबसे सरल साधन कहा गया है। एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने धार्मिक क्षेत्र में रुचि बढ़ती है साथ ही सभी भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होती है। इस रुद्राक्ष के प्रभाव से जातक को अपने जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
रुद्राक्ष जाबालोपनिषद
रुद्राक्ष जाबालोपनिषद का संबंध रुद्राक्ष उपनिषद से है यह उपनिषद सामवेदीय शाखा के अंतर्गत आता है जिसमें भगवान शिव के रुद्राक्षों का उल्लेख किया गया है। इस उपनिषद में रुद्राक्ष की महत्ता एवं उससे जुड़े प्रश्नों एवं रहस्मयी बातों का उल्लेख मिलता है।रुद्राक्ष के आकारों की गणना का भी उल्लेख मिलता है।
जो रुद्राक्ष आंवले के आकार जितना बड़ा होता है वह रुद्राक्ष अच्छा माना जाता है, जो रुद्राक्ष एक बेर की भांति होता है उसे उत्तम से मध्यम रुद्राक्ष माना जाता है तथा जो रुद्राक्ष चने के जैसा छोटा होता है वह रुद्राक्ष अच्छा नही माना जाता है।
ब्राह्मणों को सफेद रुद्राक्ष माना जाात है तथा लाल रुद्राक्ष क्षत्रिय एवं पीला एक वैश्य और काला रुद्राक्ष एक शूद्र है इसलिए एक ब्राह्मण को सफेद रुद्राक्ष, एक क्षत्रिय को लाल एक वैश्य को पीला एवं एक शूद्र को काला रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
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रुद्राक्ष धारण करने के लाभ
एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति शिव के समान ज्ञानी बन जाता है तथा शिव जी की समस्त शक्तियां प्राप्त होती है।
जो जातक अध्यात्म क्षेत्र से जुड़ना चाहते हैं। यदि वह एकमुखी रुद्राक्ष धारण करें और उस पर शिव का ध्यान करें वह अनंत शक्तियों का स्वामी बन जों हैं। उसके संकल्प मात्र से बातें साकार होने लगती है।
एकमुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से मनुष्य में अपनी इन्द्रियों को वश में करने की क्षमता प्रदान होती है। वह ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है।
जिस मनुष्य के पास एक मुखी रुद्राक्ष होता है उसके पास कभी भी धन की कमी नही होती है। वह अतुलनीय सम्पदा का स्वामी बन जाता है।
राजनीति से जुड़े जातकों को यह देश के उच्च पद पर आसीन करने की ताकत रखता है।
रुद्राक्ष धारण के नियम
एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए सबसे श्रेष्ठ दिन महाशिवरात्रि, प्रदोष और सोमवार का दिन है क्योंकि यह सभी दिन भगवान शिव जी को समर्पित है। इनमें से किसी भी दिन शुभ मुहूर्त देखकर रुद्राक्ष को गंगाजल और गाय के कच्चे दूध से अभिषेक करें। स्नान करवाते समय ओम नमः शिवाय का जाप करते रहें। रुद्राक्ष पर चंदन लगाकर बिल्व पत्र, आक का फूल और धतूरा अर्पित करें। रुद्राक्ष की माला से ओम नमः शिवाय मंत्र की 21 माला जाप करें उसके बाद लाल धागे या चाँदी की चेन में इसे धारण कर लें और प्रतिदिन स्नान करने के पश्चात पूजा करें उसके बाद पाँच माला ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
सावधानियाँ
एक मुखी रुद्राक्ष अत्यन्त प्रभावशाली रुद्राक्ष है इसलिए इसे जाग्रत रुदाक्ष माना जाता है तथा गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों को इसे कभी नही धारण करना चाहिए।
इस रुद्राक्ष को केवल सात्विक नियम का पालन करने वाले पुरुष ही पहन सकते हैं।
जो जातक मांसाहारी शराब आदि नशीलें पदार्थों का सेवन करते हैं।उन्हें कभी भी रुद्राक्ष नही धारण करना चाहिए।