ओणम थिरुवोणम 2023

ओणम का यह त्यौहार दक्षिण भारत के केरल राज्य में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ओणम भारतीय पर्व है। यह एक वार्षिक हिन्दू फसल उत्सव है। इस दिन हरे भरे खेत, फसल तथा हरे दृश्यों का बहुत महत्व है। ओणम का त्यौहार 10 दिनों तक चलता है और यह त्यौहार केरल की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति और परम्परा को सामने लाता है। ओणम त्यौहार केरल सबसे प्रिय राजा महाबली के पाताल लोक से धरती लोक पर आने के दौरान मनाया जाता है। महाबली सिर्फ साल में एक बार अपनी प्रजा से मिल पाते है।

राजा महाबली की कथा

केरल में महाबली राजा का राज था राजा को लोग बहुत पसंद करते थे लोग उस राजा को भगवान मानने लगे तो स्वर्ग लोग में रहने वाले देवताओं को ये बात अच्छी नही लगी तब सभी देवताओं ने षड्यंत्र रचा। इन्द्र से विनती की तो भगवान श्री विष्णु जी ने वामन अवतार लिया और छोटे ब्राह्मण ने तीन कदम जमीन मांग ली। राजा दानी था तो उसने कहा की आप जहां चाहे ये जमीन ले सकते है। इतना कहते ही भगवान विष्णु ने विशाल रुप ले लिया और दूसरा कदम से स्वर्ग नाप लिया लेकिन तीसरे कदम के लिए अब जगह ही नही बची यह देखते ही राजा महाबली ने अपना सिर आगे रख दिया। अब विष्णु जी ने महाबली से सब कुछ ले लिया था और उसे कहा की वो पाताल लोक चले जाए और वहां रहें। पाताल जाने से पहले विष्णु जी ने उसकी एक इच्छा पूरी करने की बात कही राजा ने कहा की मुझे साल में एक अपनी प्रजा से मिलने दिया जाए। उस दिन के बाद राजा जब भी आते है तो सम्पूर्ण प्रजा में खुशियों की उमंग आ जाती है तथा वह ओणम का त्यौहार मना कर बताते की वह खुश है। गाना बजाना नृत्य, नौका दौड़ मन्दिरों में पूजा हाथी दौड़ सब कुछ होता है।

READ ALSO   माँ ब्रह्मचारिणी 2023 | Maa Bramhacharini |

दस दिनों का पर्व ओणम

ओणम के पहले दिन सभी लोग सुबह उठकर स्नान के बाद मंदिर में ईश्वर की उपासना करते है। इस दिन सुबह के नाश्ते मे केला और पापड़ का सेवन करते है। उसके बाद लोग ओणम पुष्पकालीन या पूकलम बनाते है। दूसरा दिन का आरम्भ भी पूजन के साथ होता है और उसके बाद महिलाओं द्वारा पुष्प कालीन में नए पुष्पों का जोड़ा जाता है और यह फूल पुरुष लाते है। तीसरा दिन चोही इस पर्व का तीसरा दिन बेहद खास होता है क्योंकि इस दिन थिरुवोणम की खरीदारी के लिए लोग तैयारी करते है।

चौथा  दिनः- विकासम ओणम के चौथे दिन कई स्थानों पर फूलो का कालिन बनाने की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इस दिन महिलाओं द्वारा ओणम के अंतिम दिन के लिए अचार, आलू की तैयार किया जाता है।

पांचवा दिन- इस दिन अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। छठवां दिन अनिजाम इस दिन नौका दौड़ प्रतियोगिता रखी जाती है।

सातवां दिन मूलमः- इस दिन लोग घूमते है और पकवानों का लुफ्त उठाते है।

आठवां दिनः- पूरादम ओणम के आठवें दिन लोगो द्वारा मिट्टी के पिरामिड़ के आकार की मूर्तियों का निर्माण किया जाता है।

नौवा दिनः- उथिरादम इस दिन को प्रथम ओणम भी कहा जाता है। यह दिन लोगो के लिए अत्यन्त विशेष होता है। क्योंकि इस दिन अपने राजा महाबली का इन्तजार करते है।

दसवां दिनः- थिरुवोणम ओणम त्यौहार का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिन होता है। जैसे ही इस दिन राजा का धरती पर आगमन होता है। सभी लोग एक दूसरे को बधाई देने लगते है।

READ ALSO   02 फरवरी 2024 स्वामी विवेकानंद जयंती

ओणम का महत्व

हमारे देश में जिस प्रकार दशहरा दुर्गा पूजा और गणेशोत्सव दस दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। उसी प्रकार केरल में दस दिनों का ओणम पर्व को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दस दिन तक लगातार चलने वाले ओणम का दसवां दिन और अंतिम दिन बेहद खास माना जाता है। जिसे थिरुवोणम कहते है। मलयालम कलेंडर के अनुसार, ओणम को प्रतिवर्ष चिंगमन के महीने मनाया जाता है। मलयालम लोगो द्वारा चिंगम को साल का पहला महीना माना जाता है। इसी प्रकार हिन्दू कैंलेडर के अनुसार चिंगम का महीना अगस्त या सितम्बर का होता है। ओणम का पर्व नयी फसल की खुशी में भी मनाया जाता है।

थिरुवोणम का महत्व

थिरु और ओणम दो शब्दों से मिलकर हुई है अर्थात थिरु का अर्थ है पवित्र यह संस्कृत भाषा के श्री के बराबर ही माना जाता है। इस दिन प्रत्येक वर्ष राजा महाबली पाताल लोक से धरती पर आते हैं। इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था। इस त्यौहार के लिए केवल चार दिन का अवकाश रहता है। जिसका आरम्भ थिरुवोणम से एक दिन पूर्व होता है और दो दिन बाद यह पर्व समाप्त हो जाता है।

ओमण मनाने का तरीका

☸ यह बहुत ही पारम्परिक तरीक से मनाया जाता है। जिसे देखने बहुत दू-दूर से लोग आते है।
☸ओणम त्यौहार कोच्चि के थ्रिकरा मंदिर में मुख्य रुप से मनाया जाता है। इस मंदिर में ओणम के त्यौहार का बहुत अच्छा आयोजन होता है।
☸ इस मंदिर में पूरे 10 दिन तक बहुत ही भव्य त्यौहार का आयोजन होता है। जिसे नाच गाना पूजा आरती मेला खरीदारी करने के लिए बाजार इत्यादि की विशेष तैयारी की जाती है।
☸ यहां पर तरह-तरह की प्रतियोगिताएं भी रखी जाती है। जिसमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है।
☸ बाजार में किसानों के लिए कम दामो में चीजो की व्यवस्था की जाती है। जैसे कपडे गहने इत्यादि जिससे वह अच्छे से खरीदारी कर सके।
☸ओणम के त्यौहार में लोग नये कपड़े खरदते है और उन्हें ही पहनते है। इसका बहुत ही विशेष महत्व होता हे। इसे ओनक्कोदी कहते है।
☸ यह त्यौहार दानवीर महाबली की याद में मनाया जाता है। इसलिए इस त्यौहार में लोग तरह-तरह की चीजों का दान करते है।
☸ ओणम के दौरान केरल में वहां का लोकनृत्य भी देखने को मिलता है। जिसका बहुत बड़ा आयोजन किया जाता है।

READ ALSO   Chaitra Navratri 2023:- सभी भक्तों को नवरात्रि में जरुर करने चाहिए ये काम माँ दुर्गा अवश्य पूरा करेंगी आपकी सभी मनोकामनाएं

ओणम पूजा समय

थिरुवोनम नक्षत्रश्रम तिथि शुरुः- 02ः40 29 अगस्त
थिरुवोनम नक्षत्रश्रम तिथि खत्मः- 23ः50 29 अगस्त