हिन्दू पंचाग के अनुसार भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता हे। कजरी तीज को बूढ़ी तीज व सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह पवित्र दिन माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन सुहागिन महिलायें अपने पति की लम्बी उम्र और वैवाहिक जीवन को आनन्दमय बनाने के लिए निर्जल व्रत रखती है। इसके अलावा कुंवारी कन्या यह व्रत अच्छे जीवनसाथी के प्राप्ति के लिए रखती है और शाम के समय कजरी तीज का पाठ करती है। साथ ही चन्द्रोदय होने के बाद चन्द्रमा को अघ्र्य देकर व्रत खोलती है। इस दिन नौमड़ी माता का पूजन करते है जो माता पार्वती का ही रुप मानी जाती है।
कजरी तीज व्रत की पूजा विधिः-
☸ इस दिन महिलाएं सभी कार्यों को पूर्ण कर स्नान आदि कर लें।
☸इसके पश्चात माँ का स्मरण करते हुए निर्जल व्रत का संकल्प लें।
☸ इसके पश्चात माँ के लिए भोग मे मालपुआ बनायें।
☸ पूजन के लिए मिट्टी या गोबर से एक छोटा सा तालाब बना लें।
☸ उसके बाद तालाब मे नीम की डाल पर चुनरी चढ़ाकर नीमड़ी माता की स्थापना करें।
☸ उसके बाद माता को हल्दी, मेंहदी, सिंदूर, चूड़िया, लाल चुनरी, सत्तू और मालपुआ अर्पित करें।
☸उसके बाद धूप-दीपक जलाकर आरती करें और शाम के समय चन्द्रमा को अघ्र्य देकर व्रत का पारण करें।
कजरी तीज व्रत का शुभ मुहूर्तः-
तीज तिथि प्रारम्भः- 13 अगस्त दिन शनिवार 2022 को रातः 12ः53 से
तीज तिथि समापनः- 14 अगस्त दिन रविवार 2022 को रात 10ः35 तक
कजरी तीज की तिथिः- 14 अगस्त 2022 रविवार