काल पुरुष कुंडली में तात्कालिक धन योग की व्याख्या

ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा के अनुसार, तत्काल मैत्री जिसे अस्थायी संबंध भी कहा जाता है, ग्रहों की कुंडली में स्थिति पर निर्भर करती है। जब ग्रह चौथे और दसवें भाव, तीसरे और ग्यारहवें भाव या दूसरे और बारहवें भाव में एक साथ स्थित होते हैं, तो ये एक अस्थायी मित्रता का संकेत देते हैं। इसके विपरीत, यदि ग्रह इन विशिष्ट संयोजनों में स्थित नहीं होते तो उनके बीच अस्थायी शत्रुता उत्पन्न हो सकती है। इस प्रकार ग्रहों की सापेक्ष स्थिति से तत्काल मैत्री और शत्रुता की पहचान की जा सकती है।

तात्कालिक धन योग की व्याख्याः

काल पुरुष कुंडली में तात्कालिक धन योग की व्याख्या 1

यहाँ दी गयी मिथुन लग्न की कुंडली में मंगल और चंद्रमा को आयेश और धनेश के रूप में दर्शाया गया है। इन दोनों का संयोजन तात्कालिक धन योग का निर्माण करता है।

तात्कालिक धन योगः

तात्कालिक धन योग की पहचानः

यदि आयेश और धनेश का संबंध किसी भी लग्न की कुंडली में पाया जाता है, तो इसे तात्कालिक धन योग माना जाता है। मेष लग्न की कुंडली में इस प्रकार के धन योग के साथ नैसर्गिक धन योग भी बनते हैं। अन्य लग्नों में बनने वाले धन योग को तात्कालिक धन योग कहा जाता है।


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तात्कालिक बनाम नैसर्गिक धन योगः

तात्कालिक धन योगः  यह कुंडली की तत्कालिक आर्थिक स्थिति को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, यदि एक कुंडली में तात्कालिक धन योग मौजूद है, तो जातक की आर्थिक स्थिति सामान्य होगी जैसे कि हर महीने एक हजार रुपए।

नैसर्गिक धन योगः यह कुंडली में स्थायी और गहरे प्रभाव डालता है। यदि नैसर्गिक धन योग भी मौजूद है, तो जातक की आमदनी कई गुना बढ़ सकती है जैसे कि सहस्त्र गुना अधिक।

योगों की तुलनाः

शनि और शुक्र के नैसर्गिक योग की बात करें, तो ये एक स्थायी और प्रभावी धन योग का संकेत हैं, जो अन्य योगों की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण और प्रभावी होते हैं।

उदाहरणः यदि शनि और शुक्र का नाड़ी योग मिथुन लग्न की कुंडली में पाया जाए, तो यह नैसर्गिक धन योग को दर्शाता है। इसी तरह चंद्रमा और मंगल का योग तात्कालिक धन योग बनाता है।

फलित परिणामः

यदि किसी कुंडली में तात्कालिक और नैसर्गिक दोनों प्रकार के धन योग हैं, तो जातक की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी हो सकती है, क्योंकि इन दोनों के संयोजन से आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।

भावेशों का संबंधः  विभिन्न भावों के स्वामी यानि (भावेश) का तात्कालिक योगों के अनुसार प्रभाव देखा जाता है। उदाहरण के लिए यदि शुक्र द्वादशेश है तो वह खर्चों में वृद्धि कर सकता है, जबकि शनि अष्टमेश हो सकता है जिससे स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।

निष्कर्ष

तात्कालिक और नैसर्गिक धन योग दोनों का अलगअलग महत्व होता है और इनका प्रभाव आर्थिक स्थिति पर बड़ा होता है। सभी प्रकार के योगों का विस्तृत विश्लेषण और उनके परिणामों की सही समझ के लिए भावेशों और ग्रहों के संयोजन को ध्यान में रखना आवश्यक है। 

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