किस ग्रह के कारण होती है जातक को कैंसर जैसी भयानक बीमाारी जाने ज्योतिष में इसके कारण उपाय

मानव के शरीर में कैंसर की उत्पत्ति में कोशिकाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। कोशिकाओं में श्वेत एवं लाल रक्त कण होते हैं। ज्योतिष में श्वेत रक्त कण का सूचक कर्क राशि का स्वामी चन्द्र तथा लाल रक्त कण का सूचक मंगल है। कर्क राशि का अग्रेजी नाम कैंसर है तथा इसका चिन्ह केकड़ा है। केकड़े की प्रकृति होती है कि वह जिस स्थान को अपने पंजों से जकड़ लेता है। उसे अपने साथ लेकर ही छोड़ता है। इसी प्रकार कोशिकाएं मानव शरीर के जिस अंग को अपना स्थान बना लेती है उसे शरीर से अलग करके ही हटाया जाता है इसलिए ज्योतिष में कैंसर जैसे भयानक रोग के लिए कर्क राशि का स्वामी विशेष महत्व रखता है।

जन्म कुण्डली में किस ग्रह के कारण उत्पन्न होता है कैंसर

जन्म कुण्डली में जब एक भाव पर ही अधिकतर पाप ग्रहों का प्रभाव होता है विशेषकर शनि, राहु व मंगल से तब उस सम्बन्धित भाव वाले अंग में कैंसर होता है। कैंसर रोग जिस दिशा में होता है उसके बाद आने वाली दशाओं का आंकलन किया जाना चाहिए। यदि यह दशायें शुभ ग्रहों की हैं या अनुकूल ग्रह की है या योगकारक ग्रह की दशा आती है तब रोग का पता चलता है और उपचार भी होता है।

राहुः- राहु को विष माना गया है यदि राहु का किसी भाव या भावेश से सम्बन्ध हो एवं इसका लग्न या रोग भाव से भी सम्बन्ध हो तो शरीर में विष की मात्रा बढ़ जाती है।

षष्ठेश लग्नः- अष्टम या दशम भाव में स्थित होकर राहु से दृष्ट हो तो कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।

बारहवें भाव में शनि-मंगल या शनि-राहु, शनि-केतु की युति हो तो जातक को कैंसर रोग देंता है।
राहु की त्रिक भाव या त्रिकेश पर दृष्टि हो तो भी कैंसर रोग की संभावना बढ़ाती है।

बुध ग्रह की पीड़ित या हीनबली या क्रूर ग्रह के नक्षत्र में स्थित भी कैंसर जैसे रोग को जन्म देती है। बृहत पाराशरहोरा शास्त्र के अनुसार षष्ठम पर क्रूर ग्रह का प्रभाव स्वास्थ्य के लिए हानि प्रद सभी लग्नों में कर्क लग्न के जातकों का सबसे ज्यादा खतरा इस रोग का होता है।

कैंसर से बचने के लिए उपाय

जन्म कुण्डली में भावों के अनुसार शरीर से सम्बन्धित ग्रहों के रत्नों को धारण करने से रोग मुक्ति संभव होती है लेकिन कभी-कभी जिसके द्वारा रोग उत्पन्न हुआ है उसके शत्रु का रत्न धारण करना भी लाभप्रद होता है और ज्योतिष उपाय करने चाहिए साथ ही अन्य उपाय भी करना चाहिए।

उपाय

☸ कच्ची हल्दी का सेवन करें।
☸ मसूर की दाल दान करें।
☸ बिच्छू बूटी काले कपड़े में सिलकर सिरहाने रखें।
☸ चांदी के बर्तन का प्रयोग खाने-पीने के समय करें।
☸ मिट्टी की कुंजी में तेल भरकर नदी की रेत में दबायें।
☸ आठ मुखी एवं नौ मुखी रुद्राक्ष लग्नेश के रत्न के साथ गले में पहनें।

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