बात करें यदि हम शनि ग्रह की तो शनिदेव का वैदिक ज्योतिष में अत्यधिक महत्व होता है। शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी होते हैं इसके अलावा यह तुला राशि में 20 अंश पर उच्च के और मेष राशि में 20 अंश पर परम नीच के माने जाते हैं। वास्तव में शनि ग्रह बहुत ही मंद गति से अपनी चाल चलने वाले होते हैं यह किसी भी जातक की कुण्डली में एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए ढाई वर्ष का समय लेते हैं। शनि की दशा साढ़े सात साल की होने के कारण शनि की साढ़ेसाती भी कहा जाता है। शास्त्रों में शनि ग्रह को अनेक नामों से भी संबोधित किया गया है जैसे मन्दगति से चलने वाला मन्दगामी सूर्य पुत्र, शनिश्चर इत्यादि। शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र स्वामी हैं। मकर और कुंभ इन दो राशियों को शनि का स्वामी ग्रह माना जाता है। शनि ग्रह की दृष्टियाँ तीसरी, सातवीं और दसवीं मानी जाती है। इसके अलावा सूर्य, चन्द्रमा और मंगल शनि के शत्रु ग्रह होते हैं तथा बुध और शुक्र ग्रह को शनि का मित्र ग्रह माना जाता है। बृहस्पति ग्रह को शनि ग्रह का उदासीन ग्रह माना जाता है। नीलम शनि ग्रह का एक महत्वपूर्ण रत्न माना जाता है। शनि ग्रह के गुणों की बात करें तो जातक के शारीरिक रोगों में शनि को वायु, विकार, कंप, हड्डियों और दाँत के रोगों का कारक भी माना जाता है।
कुण्डली में शनि की अशुभता के संकेत
☸ किसी जातक की जन्मकुण्डली में शनि यदि अपनी अशुभ स्थिति में हो तो यह जातक को अशुभ प्रभाव देना शुरु कर देते हैं। शास्त्रों के अनुसार शनि ग्रह का काला और नीला रंग बताया गया है इसके अशुभ प्रभाव में जातक का बाल बहुत ही तेजी से झड़ने लगता है इसके अलावा कुछ अन्य परिस्थितियों में सूर्य का अशुभ या प्रतिकूल प्रभाव होने पर भी जातक का बाल बहुत तेजी से गिरने लगता है तथा गंजेपन की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है।
☸ यदि किसी जातक की जन्मकुण्डली में शनि ग्रह भारी या फिर अशुभ स्थिति में होता है तो जातकों के माथे का तेज रंग बदलने लगता है। यूँ कहें तो ऐसे जातकों के माथे का तेज धीरे-धीरे खत्म होने लगता है और जातक के ललाट पर एक कालापन सा छा जाता है। ऐसी स्थिति में जातक को बहुत ही संभलकर कोई कार्य करना चाहिए अन्यथा उनपर हमेशा कलंक लगने का भय लगा रहता है तथा जो भी वह व्यक्ति सोचता है हमेशा उसका विपरीत होता है।
☸ यदि जातक की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह अपनी अशुभ स्थिति में है तो ऐसे में जातक का स्वभाव अचानक से परिवर्तित होने लगता है। ऐसा जातक हर समय झूठ बोलने में माहिर होता है साथ ही उस जातक के क्रोध करने की भावना ज्यादा बढ़ने लगती है। शनि के अशुभ प्रभाव से जातक छोटी-मोटी बातों पर हमेशा क्रोधित होने लगता है यूँ कहें तो अत्यधिक क्रोधित होना उनके स्वभाव में आ जाता है और धार्मिक किसी कार्यों में कभी मन नहीं लगेगा।
☸यदि किसी जातक की जन्मकुण्डली में शनि भारी हो या फिर अशुभ स्थिति में हो तो ऐसे जातकों के खान-पान में बदलाव देखने को मिलता है शनि से प्रभावित व्यक्ति की रुचि अत्यन्त कड़वे, तेलीय और मांसाहारी भोजन में ज्यादा बढ़ने लगती हैं। यहाँ तक की मांस मदिरा से दूर रहने वाला जातक भी इसमे अत्यधिक रुचि लेने लग जाता है। इसलिए यदि इन सब चीजों में अचानक से रुचि बढ़ने लग जाए तो व्यक्ति को हमेशा संभलकर चलना चाहिए।
☸ यदि किसी जातक की कुण्डली में अशुभ शनि के प्रभाव पड़ रहे हों तो ऐसी स्थिति में जातक के परिवार और व्यापार क्षेत्र में सभी चीजे खराब होने के साथ-साथ अच्छे कार्य बिगड़ने लगते हैं तथा किसी भी होने वाले कार्यों में बाधा भी आने लगती है। इसके अलावा जातक के घर में आग लगने का भय भी बना रहता है। ऐसे में अपने व्यवहार में हमेशा सकारात्मक परिवर्तन लाकर ही कोई कार्य करना चाहिए।
☸ जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव पड़ रहे हो या फिर शनि आप पर भारी हो तो ऐसे जातकों का मन हर समय अनैतिक चीजों को करने में लगा रहता है। ऐसे जातक को हर समय शेयर सट्टे में पैसा लगाने का शौक बढ़ जाता है इसके अलावा जातक बुरे लोगों की संगत में पूरी तरह से आ जाने का हर संभव प्रयास करता रहता है। शनि ग्रह उन खतरनाक ग्रहों में से एक होता है जिसके अशुभ प्रभाव से व्यक्ति की सोच बदल जाती है इसके अलावा, वह ऐसे कार्यों को करने में माहिर हो जाता है जिनसे उनको आर्थिक नुकसान होने का सामना हमेशा करना पड़ जाता है।
शनि ग्रह को बलवान बनाने के उपाय
☸ यदि किसी जातक की जन्मकुण्डली में शनि ग्रह अत्यधिक कमजोर और अशुभ स्थिति में हो तो ऐसी स्थिति में शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कम से कम 19 तथा अधिक से अधिक 51 शनिवार का व्रत अवश्य रखें, ऐसा करने से शनि हमेशा मजबूत और बलवान होकर रहेंगे।
☸ अपनी कुण्डली में शनि ग्रह को मजबूत करने के लिए हमेशा शनिदेव हनुमान जी और हमेशा शिव जी की आराधना करनी चाहिए, इसके अलावा अपने प्रतिदिन की पूजा में महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी अवश्य करना चाहिए ऐसा करने से कुण्डली में उत्पन्न हुई शनि ग्रह की अशुभता धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।
☸ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह कमजोर तथा अशुभ स्थिति में है तो ऐसे जातको को किसी पराई स्त्रियों से कभी संबंध नही रखना चाहिए। इसके अलावा अपने मन में आये हुए किसी भी तरह के अहंकार को दूर रखना चाहिए साथ ही गरीब और अत्यधिक लाचार लोगों की मदद करनी चाहिए। स्वयं साफ-सुथरे होकर रहना चाहिए तथा सफाई करने वाले जातकों से हमेशा अच्छा व्यवहार करना चाहिए ऐसा करने से आपकी कुण्डली में मौजूद शनि की अशुभ स्थिति समाप्त हो जायेगी।
☸ शनि की अशुभता को दूर करने के लिए शनिवार के दिन उड़द से बनी हुई पंजरी, पकौड़ी, चीला तथा बड़ा आदि चीजों का सेवन करना चाहिए तथा सरसों के तेल में बने हुए भोज्य पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए ऐसा करने से जातक की कुण्डली में शनि ग्रह हमेशा मजबूत होते हैं।
☸ अपनी जन्मकुण्डली में शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए कंबल जूता, लोहे, काले कपड़े और जटा वाला नारियल दान करना चाहिए। इसके अलावा शनिवार को सरसों का तेल, भैंस और काली गाय का भी दान करना अत्यधिक उपयोगी माना जाता है।
☸ शनिवार के दिन साफ-सुथरे होकर काला कपड़ा पहनकर शनिदेव के बीज मंत्र ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः का जाप रुद्राक्ष की माला से5, 11 या 19 माला का जाप करना चाहिए इससे शनि ग्रह कुण्डली में मौजूद होते हैं।
☸ शनिवार के दिन एक पात्र में जल, दूध, चीनी, काला तिल और गंगाजल भरकर रख लें और मंत्रों का जाप करने के बाद पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें ऐसा करने से शनि ग्रह अत्यधिक बलवान होते हैं।
☸ शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए केले का सेवन कर सकते हैं इससे भी शनि के बुरे प्रभावों से बचने में मदद मिलती है।
☸ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि कमजोर है तो उसे बलवान बनाने के लिए योग्य ज्योतिष की सलाह से ही नीलम रत्न पहनना चाहिए।