कैसे पता करें कोई ग्रह अनुकूल है या प्रतिकूल

शास्त्रों के अनुसार हम ग्रहों के अनुकूल और प्रतिकूल प्रभावों  कि बात करें तो कौन सा ग्रह हमारी कुण्डली में अनुकूल प्रभाव दे रहा है तथा कौन सा ग्रह हमें प्रतिकूल फल दे रहा है इसे भी स्पष्ट रूप से जान लेना अति आवश्यक होता है तो आइए हम सभी ग्रहों के अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव को विस्तार से जानते हैं।

सूर्य कुण्डली में अनुकूल है या प्रतिकूल

यदि सूर्य जातक की कुण्डली में अनुकूल अवस्था में हो तो ऐसा जातक बहुत गंभीर स्वभाव का तथा दूसरों के लिए बहुत न्यायपूर्ण होगा, इसके अलावा सूर्य यदि कुण्डली में प्रतिकूल अवस्था में हो तो ऐसा जातक बहुत चिड़चिड़ा तथा छिछोरे स्वभाव का होता है। यदि सूर्य कुण्डली में खराब स्थिति में हो तो ऐसा सूर्य जातक को झूठ बोलने के लिए भी बाध्य करता है।

चन्द्रमा कुण्डली में अनुकूल है या प्रतिकूलः-

यदि चंद्रमा जातक की कुण्डली में अनुकूल अवस्था में है तो ऐसा जातक अधिकांश रूप से निश्चित भाव में रहता है, इसके अलावा चंद्रमा प्रतिकूल या खराब स्थिति में हो तो ऐसा जातक हर समय किसी न किसी परेशानियों से घिरा रहता है साथ ही व्याकुलता और बेचैनी से परेशान रहता है।

मंगल कुण्डली में अनुकूल या प्रतिकूल

यदि मंगल जातक की कुण्डली में अनुकूल अवस्था में है तो ऐसा जातक किसी चीज को लेकर अत्यधिक उत्साहित तथा किसी भी काम में एकदम कुशल होता है इसके अलावा मंगल प्रतिकूल अवस्था में हो तो ऐसा जातक बहुत ही ज्यादा निकम्मा, कमजोर तथा आलसी स्वभाव का हो जाता है।

राहु कुण्डली में अनुकूल या प्रतिकूल

यदि राहु जातक की कुण्डली में अनुकूल अवस्था में हो तो ऐसे जातक का राजनीतिक क्षेत्रों में समझ बहुत तगड़ा होता है जिसके कारण वह इन क्षेत्रों में अपना काम निकलवा ही लेता है। इसके अलावा कुण्डली में यदि राहु प्रतिकूल अवस्था में हो तो ऐसा जातक किसी भी कार्यों को लेकर हमेशा अनिश्चितताओं से घिरा रहता है। यूँ कहें तो यह व्यक्ति काम को लेकर हमेशा भ्रम में रहता है।

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गुरु कुण्डली में अनुकूल या प्रतिकूल

यदि गुरु जातक की कुण्डली में अनुकूल अवस्था में हो तो ऐसा जातक हर किसी सामाजिक और मांगलिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है और बहुत सोच समझकर कोई योजना बनाकर आगे बढ़ने में सफल होता है। इसके अलावा गुरू ग्रह यदि प्रतिकूल हो तो ऐसा जातक दूसरों पर हमेशा झूठा आरोप लगाते हैं साथ ही ये जातक बहुत ज्यादा गुनी होते हुए भी अपने आपको अकेला महसूस करते हैं। कभी-कभी गुरु के प्रतिकूल होने की अवस्था में इनकी शिक्षा अधूरी रह जाती है।

शनि कुण्डली में अनुकूल है या प्रतिकूल

यदि शनि जातक की कुण्डली में अनुकूल अवस्था में हो तो ऐसा जातक लगातार किसी न किसी कामों में लगा रहता है कभी भी उसे खाली बैठना पसंद नहीं होता है इसी कारण से जातक के आगे के काम बनते चले जाते हैं। इसके अलावा यदि शनि ग्रह प्रतिकूल अवस्था में हो तो जातक को अपने जीवन में अत्यधिक धक्के खाने पड़ते हैं जिसके कारण उनके कोई काम नही बन पाते हैं।

बुध कुण्डली में अनुकूल या प्रतिकूल

यदि बुध जातक की कुण्डली में अनुकूल अवस्था में हो तो ऐसा जातक आगे चलकर गणित, तर्क, व्यापार तथा मनोविनोद जैसे विषयों में हमेशा श्रेष्ठ रहता है। इसके अलावा बुध यदि कुण्डली में प्रतिकूल अवस्था में हो तो ऐसा जातक मानसिक रूप से मति भ्रम और मतिभ्रष्ट का शिकार होने लगता है। बुध की प्रतिकूल अवस्था में जातक स्वयं के किसी व्यापार क्षेत्र में पूरी तरह फंस जाता है साथ ही बोलते समय जातक को हकलाहट भी होने लगती है।

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केतु कुण्डली में अनुकूल या प्रतिकूल

यदि केतु जातक की कुण्डली में अनुकूल अवस्था में हो तो ऐसा जातक हमेशा अपने काम में लगा रहता है वह जातक अपने जिस भी काम को करता है वह लम्बे समय तक उसी काम में लगा रहता है और उस काम को बहुत ही मन से करता है। चाहे वह काम आध्यात्मिक हो, या सांसारिक हो, इसके अलावा केतु अपनी प्रतिकूल अवस्था में हो तो ऐसे जातकों के किसी महत्वकांक्षाओं और मन में हमेशा शक की स्थिति बनी रहती है जिससे इनका स्वभाव अत्यधिक चिड़चिड़ा हो जाता है।

शुक्र कुण्डली में अनुकूल या प्रतिकूल

यदि शुक्र अपनी कुण्डली में अनुकूल अवस्था में हो तो ऐसा जातक भौतिक संसाधनों तथा सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण रहता है साथ ही इस अवस्था में घर में मांगलिक कार्यक्रमों का समायोजन होता रहता है। शुक्र की प्रतिकूल होने की अवस्था में जातक शारीरिक रूप से बहुत कमजोर होता है, उन्हें ऐशो आराम में जीवन जीने का तरीका नही आता है तथा हर तरफ समाज में उन्हें बुरा और मैला दिखाई देता है।

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