ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों का गोचर और उनकी स्थिति हर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है। कुण्डली में ग्रहों की इस स्थिति से व्यक्ति का वैवाहिक जीवन भी प्रभावित होता है। कुण्डली में ग्रहों की दशा के कारण ही उनका प्रेम भी प्रभावित होता है। जब कुण्डली में प्रेम योग नही होता या कमजोर होता है तो जातक को प्रेम में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है तो ऐसे जातकों को ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की दशा बताती है कि आपके किस्मत में प्रेम है या नही। आइए जानते है कुण्डली में ऐसे कौन से कारक ग्रह होते है जो प्रेम योग को दर्शाते है।
प्रेम विवाह के योग
जीवन में कई लोग प्रेम विवाह करना चाहते हैं लेकिन कुछ सफल हो जाते है तो कुछ के प्रेम में विवाह के लिए बाधाएं आ जाती है। जन्म कुण्डली में कभी-कभी ऐसे योग बनते हैं। जो प्रेम विवाह का योग कहलाते है। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को स्त्री, पति-पत्नी, भोग विलास और प्रेम सम्बन्धों का कारक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रेम विवाह के लिए कुण्डली में शुक्र की दशा अच्छी होनी चाहिए क्योंकि प्रेम प्राप्ति में शुक्र, चन्द्रमा और मंगल का अहम योगदान होता है। जब कुण्डली में इन तीनों ग्रहों की स्थिति बहुत अच्छी होती है।
☸ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रेम विवाह योग तब बनता है जब मंगलराहु से या शनि से युति कर रहा है।
☸जब किसी व्यक्ति की कुण्डली में सप्तमेश पर राहु, शुक्र या शनि की दृष्टि विराजमान हो तब प्रेम विवाह का योग बनता है।
☸ जन्म कुण्डली में शुक्र और मंगल का कोई योग बनता है या दूर दोनों ग्रहों का आपस में कोई संबंध होता है तो प्रेम योग बनता है और जातक जीवन में प्यार की बहार आ जाती है।
☸ जन्म कुण्डली में जब पंचम स्थान पर राहु या केतु दोनों स्थित हो तब प्रेम विवाह का योग बनता है।
☸ जन्म कुण्डली में शुक्र या चन्द्रमा लग्न से पंचम या नवम हो तो प्रेम विवाह कराते है।
☸ पंचम और सप्तम के स्वामी कुण्डली में जब एक सिंध में आ जाएं तब प्रेम जीवन के लिए सकारात्मक स्थिति उत्पन्न कराते हैं।
जिन जातकों की कुण्डली में नही होता है प्रेम योग तो करें यह निम्न उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रेम विवाह के लिए लगातार तीन माह तक हर गुरुवार को किसी भी मंदिर में जाकर प्रसाद बांटें और फिर उस भोग को लोगों में बांटे इससे जल्द ही प्रेम विवाह के योग बनने लगते है।
प्रेम विवाह के लिए कुण्डली के महत्वपूर्ण भाव
ज्योतिष के अनुसार कुण्डली में प्रेम विवाह योग बनाने में 5 वें और 7 वें भाव का महत्वपूर्ण योगदान होता है इसके अलावा आप 8 वें या 11 वें भाव में कुण्डली में प्रेम विवाह के ज्योतिष संकेतों की भी जांच कर सकते है।
पांचवा भाव
जन्म कुण्डली में 5 वां भाग प्रेम, आनन्द और रिश्तों का प्रतीक है। यदि पंचम भाव का स्वामी सप्तम भाव में विराजमान हो उन दोनों के बीच युति हो या पंचम और सप्तम भाव में नक्षत्रों की स्थिति में परिवर्तन हो तो जातक की लव मैरिज हो सकती है।
सातवां भाव
सप्तम भाव को वैवाहिक भाव कहा जाता है। इसके माध्यम से आप वैवाहिक आनन्द और युगल के विवाह के बारे में विस्तार से जान सकते है। ग्रहो की स्थिति और सातवें भाव या उसके स्वामी के सम्बन्ध से रिश्ते के बारे में जाना जा सकता है।
आठवां भाव
अष्टम भाव ससुराल, वैवाहिक जीवन, यौन सुख और शारीरिक निकटता से जुड़ा होता है। इस भाव में जुनून और प्रेम विवाह का अपना वास्तविक महत्व होता है। इसके अलावा इस भाव में ग्रह और नक्षत्र गुप्त शक्तियों का प्रतीक होते है।
जिसके कारण कुण्डली में आपका प्रेम विवाह होने की संभावना बनती है इस प्रकार इस भाव में कितने अधिक ग्रह होंगे आपके सम्बन्ध उतने ही जटिल होंगे।
ग्यारहवां भाव
यह भाव मित्रता का प्रतीक होता है। यह आपके परिणामों, रिश्तों, आकाक्षाओं और सामाजिक दायरे को नियंत्रित करता है। भावनात्मक सम्बन्ध होंगे या आपके बंधन की ताकत सभी एकादश भाव को देखकर स्पष्ट हो सकती है। ग्यारहवें भाव में ग्रह, गोचर और अन्य भावों के साथ उनकी युति कुण्डली में प्रेम विवाह का कारण बनता है।
कुण्डली में प्रेम विवाह के लिए महत्वपूर्ण ग्रह
कुण्डली में प्रेम विवाह का योग कई ग्रहों के कारण बनते है।
शुक्र ग्रह
शुक्र ग्रह प्रेम विवाह का प्रतीक माना जाता है। वहीं यह ग्रह स्त्री ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ग्रह जातक के प्रेम जीवन में रुप से प्रभावित करता है। कामुकता, आकर्षण और सामाजिक आकर्षण सभी प्रकार इस ग्रह द्वारा नियंत्रित होते है। इसके अलावा शुक्र की स्थिति और ग्रहों स्वामियों के साथ तालमेल प्रेम विवाह का संकेत देता है।
मंगल ग्रह
मंगल उत्साह, आकाक्षाओं गतिविधियों जोश यौन बहादुरी और मुखरता का ग्रह है। इसकी उपस्थिति बताती है कि आप भविष्य में अपने प्रयासों को कहा और कैसे केन्द्रित करेेंगे साथ ही यह पता लगाया जा सकता है कि आप कितने आक्रामक और प्रतिस्पर्धा होंगे और कैसे प्रेम विवाह ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह आपके प्रेम हितों और झुकाव को निर्धारित करता है। इसके कुण्डली में अनुकूल स्थिति में नही होने के कारण मंगल दोष का कारण बनता है। कुण्डली मिलान के दौरान यह दोष पति-पत्नी के बीच बाधाओं तर्क-वितर्क का कारण बन सकता है। मंगल और शुक्र ग्रह एक साथ होने से प्रेम विवाह की संभावना कम हो जाती है।
राहु ग्रह
राहु कुख्यात शक्तियों वाला ग्रह है। प्रेम विवाह के सम्बन्ध में ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए इसका स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। कुण्डली में राहु का 7 वें भाव से सम्बन्ध गैर पारंपरिक संघो का कारण बनता है। यदि लग्न में राहु हो और सप्तम भाव पर बृहस्पति की दृष्टि हो तो जातक प्रेम विवाह करता है।
चन्द्रमा ग्रह
चन्द्रमा वैदिक ज्योतिष में आपकी बुद्धि का प्रतीक है। कुण्डली में चन्द्रमा के नकारात्मक स्थान के परिणाम स्वरुप तनाव आत्मघाती विचार और निराशावादी दृष्टिकोण होता है। अगर चन्द्रमा अनुकूल है तो व्यक्ति खुशी, उत्साह और मन की शांति का आनन्द लेता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रेम विवाह पर विचार करते समय पुरुष की कुण्डली में चन्द्रमा एक प्रमुख कारक होता है। वहीं शक्तिशाली चन्द्रमा पुरुष को एक सुन्दर स्त्री प्रदान करता है। चन्द्रमा द्वारा शनि की दृष्टि विवाह में देरी उत्पन्न करती है।
बुध ग्रह
बुध को संचार का ग्रह माना जाता है। इसमें युवा जीवन शक्ति है और ये विपरीत लिंग के लोगों के साथ मित्रता की सुविधा प्रदान करता है। इसी के कारण यह विचार महत्वपूर्ण है कि बुध आपकी जन्म कुण्डली में कहा स्थित है। यदि आप उस व्यक्ति से शादी करना चाहते है जिससे आप प्यार करते हैं तो बुध-शुक्र की युति 5 वें या 7 वें भाव में आपकी सहायता करता है।
सफल प्रेम विवाह के लिए ज्योतिष उपाय
☸ कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए मंगला गौरी व्रत करना चाहिए।
☸ राधा कृष्ण की पूजा करने से प्रेूम सम्बन्ध मजबूत होते है।
☸ किसी विद्यवान ज्योतिष को अपनी कुण्डली दिखाकर उनके द्वारा बताए गयें उपायों से प्रेम विवाह को मजबूत करते हैं।
☸ अगर आपकी कुण्डली में प्रेम योग कमजोर है या आप प्रेम विवाह करने में समस्या आ रही है या फिर जिन लोगों से आप प्यार करते है। उनसे आपकी नही बनती है तो आपको कुछ खास उपाय करने चाहिए इसके कारण आपके और आपके साथी के बीच प्यार बढ़ेगा।
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