कैसे बने बजरंगबली पंचमुखी हनुमान?

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा अर्चना करने से सभी परेशानियाँ दूर हो जाती है। हनुमान जी की पूजा कई स्वरुपो मे की जाती है। जिसमे हनुमान जी का पंचमुखी स्वरुप बहुत ही मुख्य है। हनुमान जी के पंचमुखी अवतार मे पहला मुख वानर, दूसरा गरुड़, तीसरा वराह, चतुर्थ अश्व एवं पांचवा नरसिंह का है। इन पांच मुखो से हनुमान जी अपने भक्तों की पांच प्रकार की परेशानियों को दूर करते है हनुमान जी के सभी मुखो का अलग-अलग महत्व है।
हनुमान जी के पंचमुखी स्वरुप का महत्व
🔆हनुमान जी के प्रतिमा के पहले वानर मुख से सारे शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद मिलता है।
🔆दूसरे गरुड़ मुख से जीवन मे आ रही सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
🔆तीसरे उत्तर दिशा के वराह मुख से दीर्घायु, यश एवं पराक्रम का आशीर्वाद मिलता है।
🔆चतुर्थ  दिशा के नरसिंह मुख से भय, चिंता तथा परेशानी खत्म होती है।
🔆प्रतिमा के पांचवे अश्व मुख से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद मिलता है।
पंचमुखी हनुमान की पौराणिक कथा
यह कथा बहुत ही प्रसिद्ध कथा है। यह कथा तब की जब जब श्री राम एवं रावण के सेना के बीच घमासान युद्ध चल रहा था तथा रावण अपने हार के बहुत ही करीब था इस समस्या के समाधान के लिए रावण ने अपने मायावी भाई अहिरावन को याद किया। अहिरावन मां भवानी का परम भक्त होने के साथ-साथ तंत्र-मंत्र का भी ज्ञानी था। उसने अपने मायावी शक्ति से श्रीराम जी की सेना को निद्रा अवस्था मे डाल दिया, और यही नही उसने राम और लक्ष्मण का अपहरण करके पाताल लोक ले गया। जब माया की शक्ति का प्रभाव कम हुआ तो विभिषण ने पहचान लिया यह कार्य अहिरावन का ही है। तब उसने हनुमान जी को श्रीराम और लक्ष्मण को सुरक्षा के लिए पाताल लोक भेजा। हनुमान जी को पाताल के द्वार पर उनका पुत्र मकरध्वज मिला और युद्ध मे हनुमान जी इसे हराकर राम जी और लक्ष्मण जी से मिले।उसके बाद वहाँ पर उन्हे पाँच दीपक पांच स्थान पर पांच दिशाओं मिले जिसे अहिरावन ने मां भवानी के लिए प्रज्जवलित किये थें। इन सभी दीपकों को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाता है इसलिए हनुमान जी ने पंचमुखी रुप धारण किया और सभी दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावन का वध करके राम जी और लक्ष्मण जी को मुक्त कराया।
एक और अन्य कथा
हमें पौराणिक कथा के अनुसार एक दूसरी कथा भी सुनने को मिलती हैै। कहा जाता है जब मरियल नाम का दानव भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र चुराता है और यह बात जब हनुमान जी को पता चलती है तो वह संकल्प लेते है कि वह चक्र को पुनः प्राप्त करके भगवान विष्णु को सौप देंगे। लेकिन मरियल दानव इच्छानुसार रुप बदलने मे माहिर था। तब हनुमान जी भगवान विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त किये साथ ही इच्छानुसार वायुगमन की शक्ति के साथ-साथ गरुड़ मुख, भय उत्पन्न करने वाले नरसिंह रुप एवं हयग्रीव मुख ज्ञान प्राप्त करने के लिए वराह मुख, सुख एवं समृद्धि के लिए था। उसी समय पार्वती जी ने उन्हे कमल पुष्प एवं यम-धर्मराज ने उन्हे पाश नाम अस्त्र प्रदान किया। इन सभी का आशीर्वाद प्राप्त कर मरियल पर हनुमान जी की विजय हुई तभी से उन्हे एक और पंचमुख हनुमान के नाम से पुकारा जाने लगा।
पंचमुखी हनुमान जी के उपायः-
🔆एक नारियल के ऊपर से पूजा का धागा लपेटकर चावल, सिंदूर और पीले फूल अर्पित करें। ये नारियल पंचमुखी हनुमान जी को अर्पित       करें। जिसके फलस्वरुप आपको सभी कामों मे सफलता मिलेगी।
🔆पंचमुखी हनुमान जी को अनार या लड्डूओ का भोग लगाये इसके साथ ही केसरिया रंग का झंडा मंदिर मे दान करें जिससे आपको परीक्षा या इंटरव्यू मे सफलता प्राप्त होगा।
🔆पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर को बहुत ही शुभ माना जाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार यदि मुर्ति या तस्वीर को घर के दक्षिण पश्चिमी कोने मे रखी जाये तो घर के कई दोष स्वयं समाप्त हो जाते है।
🔆हनुमान जी के मुर्ति समक्ष बैठकर श्रीराम रक्षा स्त्रोत का पाठ करने से परिवार मे शांति बनी रहती है।
🔆पंचमुखी हनुमान जी के समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाने से एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से कोर्ट कचहरी के मामलों मे सफलता   मिलती है।
विशेष जानकारीः-
हनुमान जी की आराधना पुरुषों वर्ग को करना चाहिए महिलाओं को हनुमान जी की आराधना करने से दोष लगता है तथा विवाह मे विलम्ब होता है।

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