क्या है अखण्ड साम्राज्य योग

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुण्डली में योग, दोष और भाव का अपना अलग ही महत्व है। ज्योतिष में योग का निर्माण कुण्डली में भावों और ग्रहों के सम्बन्धों में ग्रहों की स्थिति से है। कुण्डली में योग तभी बनते हैं जब ग्रह किसी भाव में जाकर शुभ या अशुभ फल देते हैं वैसे तो ज्योतिष में हजारों की संख्या में योग हैं लेकिन कुछ विशेष योग भी होते हैं जिनके बनने से जातक उच्चपद, प्रतिष्ठा, धन, शिक्षा प्राप्त करता है। वहीं कुछ योग अशुभ भी होते हैं जो जातक को बीमार और कर्जदार बना देता हैं।

कुण्डली में अखण्ड साम्राज्य योग

कुछ योग ऐसे भी होते हैं जो धन, वैभव और सुख-समृद्धि के लिए भी जाने जाते हैं इन्हीं में से एक योग है अखण्ड साम्राज्य योग। जिसे अति फलदायी और प्रभावशाली माना जाता है जिस जातक की कुण्डली में यह योग होता है उसका भाग्य प्रबल होगा फिर चाहे उसका जन्म गरीब परिवार में ही क्यों ना हुआ हो लेकिन मां लक्ष्मी की कृपा से उसके घर में दिन दूनी रात चैगुनी तरक्की होती है। ऐसा जातक अपनी जीवन में हर तरह की सुख-सुविधा को भोगता है और एक बड़ा राजनेता भी बन सकता है। कुण्डली में इस योग का प्रभाव 75 वर्ष तक माना जाता है। इस योग की खास बात यह है कि इस योग के बनने से आपकी कुण्डली में उपस्थित सभी बुरे योग अपने आप समाप्त हो जाते हैं।

कब बनता है अखण्ड साम्राज्य योग

यह योग केवल उन कुण्डलियों में बनता है जो स्थिर लग्न वाली हैं और स्थिर लग्न वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ होते हैं। यह योग तब बनता है जब बृहस्पति दूसरे 5 वें या 11 वें घर का स्वामी होता है। कुण्डली में बृहस्पति वृषभ लग्न के ही एकादश भाव सिंह लग्न के लिए पंचम भाव वृश्चिक लग्न के लिए दूसरा और पाचवा भाव और कुंभ लग्न के लिए दूसरा और ग्यारहवें भाव का कारक माना जाता है।
इसके अलावा चन्द्रमा की स्थिति का भी ध्यान रखा जाता है। यदि कुण्डली के दूसरे नौवें और ग्यारहवें घर में बृहस्पति मजबूत चन्द्रमा के साथ स्थित है तो अखण्ड साम्राज्य योग बनता है। यह दुर्लभ योग तभी बनता है जब कुण्डली में दूसरे, दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी एक साथ केन्द्र में स्थित हो।

अखण्ड साम्राज्य योग के नाम

☸ जिस जातक की कुण्डली में यह योग बनता है उसे जीवन भर धन की कमी नही रहती हैं। जातक को पैतृक सम्पत्ति भी मिलती है जिसका वह अकेला मालिक भी बन जाता है।
☸ कुण्डली में यह योग जातक को करियर, व्यापार हर क्षेत्र में नयी ऊचाईयां प्रदान करता है।
☸ इस योग की वजह से जातक हर तरह की सुख-सुविधा को भोगता हैं।
☸ जातक को अप्रत्यक्ष धन मिलने की भी संभावना होती है।
☸ इसके अलावा इस योग के बनने से कुण्डली में बनने वाले अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाते है।
☸ कुण्डली के पाचवें घर में बनने वाला यह वह दुर्लभ योग जातक को उच्च शिक्षा और संतान सुख का फल प्रदान करता है।
☸ कुण्डली के ग्यारहवें भाव में बनने वाला यह दुर्लभ योग जातक को उपकर्मों में सफलता दिलाता है।
☸ कुण्डली के नौवें भाव में बनने वाला यह योग जातक को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान कर सकता है।
☸ कुण्डली के दूसरे भाव में बनने वाला अखण्ड साम्राज्य योग जातक को स्टाक एक्सचेंज, शेयर बाजार और निवेश में अच्छा धन लाभ प्रदान करता है।
☸पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान राम की पत्नी सीता की कुण्डली में भी अखण्ड साम्राज्य योग था लेकिन पीड़ित और कमजोर ग्रहों की स्थिति के कारण उन्हें इसका लाभ प्राप्त नही हुआ यह योग अनुकूल परिणाम प्रदान नही करता है। जब कुंभ राशि के जातकों का जन्म चतुर्थ भाव में चन्द्रमा और राहु की स्थिति के साथ होता है छठें भाव में शनि की स्थिति दशम भाव में केतु, बृहस्पति और शुक्र की युति जबकि मंगल बुध और सूर्य को बारहवें में रखा गया हो तो व्यक्ति अनुकूल परिणाम प्राप्त करने में सक्षम नही होगा।

 

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