ज्योतिष शास्त्र में जब दो ग्रहों की युति होती है तो उसे ही योग के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा ग्रहों के दृष्टि संबंध से भी कई योगों का निर्माण होता है। जब कुण्डली में दो अथवा दो से अधिक ग्रहों की युति हो तो कई प्रकार के शुभ एवं अशुभ योगों का निर्माण होता है। सभी योगों का कुण्डली में विशेष महत्व होता है और प्रायः सभी ज्योतिष कुण्डली का विश्लेषण करते समय इन योगों का भी पूर्ण ध्यान रखते हैं, उन्हीं मे से एक शुभ योग दामिनी योग की पूर्ण जानकारी हम दिल्ली के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी द्वारा समझेंगे:-
दामिनी योग
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में राहु-केतु को छोड़कर अन्य सभी ग्रह किसी भी छः (6) भावों में उपस्थिति हो तो दामिनी नामक राजयोग का निर्माण होता है। यह योग जातक को प्रभावशाली, साहसी एवं पराक्रमवान बनाता है तथा जातक का मान, पद-प्रतिष्ठा भी बढ़ता है एवं जातक निरन्तर उन्नति के मार्ग पर अग्रसर रहता है। यदि इस योग का निर्माण किसी जातक की कुण्डली में हुआ हो तो जातक अधिक भाग्यशाली होता है एवं अपने परिवार का नाम रोशन करता है।
दामिनी योग के प्रकार
कुछ ज्योतिषियों के आधार पर दामिनी योग को दो भागों में विभाजित किया जाता है।
(i) उच्च कोटि का दामिनी योग
(ii) सामान्य कोटि का दामिनी योग
उच्च कोटि का दामिनी योग
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में राहु-केतु को छोड़कर अन्य सभी ग्रह सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, गुरु, बुध, शुक्र, शनि केन्द्र और त्रिकोण को मिलाकर किसी भी छः भावों में उपस्थित हो तो उच्च कोटि का राजयोग निर्माण होता है। इस योग के प्रभाव से जातक गुणवान, तेजस्वी, साहसी, चरित्रवान एवं कुशाग्र बुद्धिवाला होता है साथ ही इनकी स्मरण क्षमता भी अधिक होती है स्वभाव से दयालु एवं परोपकारी होते है। इस योग के प्रभाव से जातक देखने में आकर्षक, सुन्दर एवं प्रभावशाली होता है। सब मुख्य बात यह है कि इस योग के जातकों को पशु पक्षी पालन में अधिक रुचि रहती है। जैसे तोता, कुत्ता, कछुआ, बिल्ली इत्यादि को पालन में अधिक रुचि रहती है। जिन जातकों की कुण्डली में उच्च कोटि का राजयोग बनता है वे अपने कार्यों के प्रति ईमानदार होते है तथा अपनी जिम्मेदारियों को पूर्ण रुप से पूरा करने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा अपने कार्यों के प्रति सचेत रहते है। किसी भी व्यक्ति का विश्वास नही तोड़ते है अर्थात वे विश्वासघात व्यक्ति भी होते हैं। नेतृत्व करने की क्षमता भी इनमें अच्छी होती है तथा दृढ़ संकल्पी होते है जिस काम को एक बार करने का निश्चय कर लेते हैं, उसको पूर्ण करके ही मानते है। धार्मिक क्षेत्र में रुचि रहती है। कला, साहित्य के क्षेत्र में भ्ज्ञी अच्छा मान-सम्मान प्राप्त होता है। ये अपने जीवन के 45 वर्ष की आयु के पश्चात सभी सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण हो जाते है।
निम्न कोटि का दामिनी योग
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में राहु-केतु को छोड़कर अन्य सभी सात ग्रह सूर्य, मंगल, चन्द्रमा, बुध, शुक्र, गुरु एवं शनि, त्रिक भाव, त्रिकोण और केन्द्र भाव को मिलाकर छः भाव में विराजमान हो जिसमें लगभग ग्रह त्रिक भाव अर्थात छठे, आठवे एवं बारहवें भाव में विराजमान हो तो सामान्य कोटि का दामिनी योग निर्माण होता है। इस योग के प्रभाव से जातक को शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है। ऐसे जातकों का प्रतिरक्षा तंत्र (Immunity System) बहुत मजबूत होता है इसलिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में बलवान होते है। यदि बीमार पड़ते है तो शीघ्र ही स्वस्थ भी हो जाते है। अपने पराक्रम द्वारा शत्रुओं का सामना करने में सक्षम होते है इसके अलावा ऐसे जातक गुढ़ रहस्यमयी विद्याओं में रुचि रहती है जिसके कारण जादू-टोना, तंत्र-मंत्र की विद्याएं सीखते है साथ ही ज्योतिष रत्न एवं वास्तु शास्त्रों में भी इच्छावान होते है। पुलिसकर्मी, फौजी, नेवी, सी.आर.पी.एम आदि में सफलता मिलती है। इनके भाग्य की उन्नति में अपने जन्म स्थान पर दूर जाने से वृद्धि होती है अर्थात विदेशों मे नौकरी-व्यवसाय करें तो उसमे शुभ फल की प्राप्ति होती है। मान-पद, प्रतिष्ठा भी बढ़ता है।
जब राहु-केतु के साथ दामिनी योग का निर्माण हो
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में दामिनी योग का निर्माण हो रहा हो परन्तु साथ में राहु-केतु भी विराजमान होकर अशुभ योग का निर्माण कर रहे हैं तो ऐसे में जातकों को दामिनी योग का कम परिणाम मिलता है अर्थात इस योग की शुभता में कमी आ जाती है। जैसे प्रस्तुत कुण्डली में चंद्र राहु की युति हो रही है जिसके कारण चन्द्र ग्रहण बन रहा है साथ ही मंगल-केतु की युति अंगारक योग का निर्माण कर रहा है जिसके कारण दामिनी योग की शुभता कम हो जाती है। जिससे जातक को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। मानसिक सुख मे कमी आती है तथा शारीरिक रुप से भी कमजोर होते है।
ग्रहो के युद्ध
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में किसी एक ही भाव में दो से अधिक ग्रह की उपस्थिति हो तो ऐसे स्थिति में ग्रहों का युद्ध देखा जाता है अर्थात उस एक भाव में उपस्थित ग्रहों मे से कौन सा ग्रह सबसे मजबूत है उसको विश्लेषण द्वारा ज्ञात किया जाता है साथ ही वह ग्रह किस नक्षत्र में है कितने अंश के है, कोई ग्रह अस्त है या नही या कोई मृत अवस्था में है इन सभी बातों का पूर्ण ध्यान रखना होता है और उन ग्रहों की स्थिति नवमांश एवं षोडश वर्ग की कुण्डली में क्या है। विभिन्न प्रकार के बलों जैसे षडबल, उच्चबाल आदि। यही पूर्ण विश्लेषण ग्रह युद्ध कहलाता है।
यदि किसी जातक को राहु-केतु के कारण दामिनी योग का अशुभ परिणाम झेलना पड़ रहा हो तो निम्न उपाय अवश्य करें।
भगवान शिव का अनुष्ठान करें जिसमें सवालाख बार महामृत्यंजय मंत्र का पाठ करें।
म्हालक्ष्मी मंत्र का सवा लाख बार अनुष्ठान करें ।