हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को पूरा करने से पहले भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है साथ ही जो भगवान गणेश जी की पूजा करता है उसके ज्ञान यश आदि में वृद्धि होती है और रोजाना भगवान गणेश जी की पूजा करने से जातक को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। हमारे धर्म में गणपति भगवान को सभी देवताओं में से मुख्य माना जाता है। इसी के साथ इन्हें बाल गणपति एकदंत, गजानन, गणपति, लम्बोदर, विघ्नहर्ता, विनायक आदि नामों से जाना जाता है साथ ही भगवान गणेश की पूजा करने से जातक के जीवन में आ रही सभी बाधाएं परेशानियों और विपत्तियों को दूर हो जाता है।इसीलिए भगवान गणेश जी को विघ्न को हराने वाला देवता माना जाता है। साथ ही भगवान गणेश जी प्रथम पूज्य देवता कहे जाते हैं क्योंकि किसी भी पूजा को आरंभ करने से पहले गणेश आराधना की जाती है। उनका आशीर्वाद लिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश जी का आशीर्वाद जातक के लिए अत्यन्त लाभदायक होता है और भगवान गणेश जी की पूजा करने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं।
भगवान गणेश जी का महत्व
सनातन धर्म मे सभी भगवानों से गणेश जी को मुख्य भगवान माना जाता। इसी के साथ किसी भी शुभ कार्य को आरम्भ करने से पहले भगवान गणेश जी की पूजा अवश्य की जाती है अगर जातक भगवान गणेश जी की पूजा नही करते तो उनका व शुभ कार्य सफल नही माना जाता इसलिए भगवान गणेश जी की पूजा करना आवश्यक होता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक भगवान गणेश जी की पूजा करता है। उसके जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है। उसे गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
गणेश जी की आराधना के नियम व महत्व
जो जातक गणेश जी की आराधना करते हैं उनके जीवन में आ रही सभी बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। इसी के साथ उनमें सुख-समृद्धि का वास होता है। इसलिए गणेश आराधना जातक के लिए लाभदायक साबित होती है।गणेश आराधना करने से जातक को जीवन में सफलता प्राप्त होती है। इसी के साथ बुधवार का दिन गणेश भगवान को समर्पित होता है बुधवार का दिन भगवान गणेश जी की पूजा करना जातक के लिए लाभदायक सिद्ध होता है।
साथ ही बुधवार को बुध ग्रह की पूजा भी की जाती है और ज्योतिष में श्री गणेश को ही बुध ग्रह का कारक देवता माना जाता है। इसलिए बुधवार को गणेश जी की पूजा लाभदायक मानी जाती है और जातक की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है गणेश जी को सिन्दूर अत्यन्त प्रिय होता है आप गणेश जी को सिन्दूर अर्पित करके प्रसन्न कर सकते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते है। गणेश जी को मोदक और लड्डू भी अत्यधिक प्रिय होते है। वहीं मोदक और लड्डू का भोग लगाकर आप गणेश जी को प्रसन्न कर सकते हैं।
गणेश आराधना के लिए पूजन विधि
☸ गणेश जी की आराधना के लिए सुबह जल्दी उठकर आपको स्नान करना चाहिए।
☸ उसके बाद पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर विराजमान होकर सामने गणेश जी कीे मूर्ति की स्थापना करें।
☸ सभी पूजन सामग्री जैसे पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मोली, चंदन, मोदक आदि गणेश जी को समर्पित करना चाहिए।
☸ इसी के साथ गणेश जी को सूखे सिन्दूर का तिलक लगाना चाहिए।
☸ उसके बाद आपको भगवान गणेश जी की आरती जरुर करनी चाहिए।
☸ अंत में आपको भगवान गणेश जी का स्मरण करके ओम गं गणपतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
गणेश पूजन के लाभ
भगवान गणेश जी की पूजा करने से जातक को कई लाभ प्राप्त होते हैं विघ्नहर्ता भगवान गणेश अपने भक्तों की सारी परेशानियों को खत्म कर देते हैं
सुख-समृद्धिः- जो जातक भगवान गणेश जी की पूजा करता है। उसे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
भाग्योदयः- जो जातक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं उनका भाग्योदय होता है और काफी लाभ प्राप्त होता है।
बुद्धि और ज्ञान का विकासः- जो जातक भगवान गणेश की आराधना करते हैं उनमें बुद्धि और ज्ञान का विकास होता हैं साथ ही व्यक्ति अपने जीवन में सफलता और तरक्की प्राप्त करता है।
सहनशीलताः- जो व्यक्ति भगवान गणेश की आराधना करते हैं उनमे सहनशीलता का विनाश होता है इसी के साथ भगवान गणेश जी के बड़े-बड़े कान इसी बात का प्रतीक हैं की भगवान गणेश जी अपने सभी भक्तों की बातों को ध्यान पूर्वक सुनते है कहा जाता है कि गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति अपने अन्दर छिपी शक्तियों पर ध्यान देता है तब जातक में सहनशीलता का विकास होता है।
क्यों नही चढ़ाया जाता है भगवान गणेश को तुलसी पत्तें
भगवान गणेश पर तुलसी न चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा मौजूद है। कहा जाता है कि तुलसी न होकर कन्या और भगवान विष्णु की परम भक्त थी एक बार उनका सामना गणेश जी से हुआ और उस समय गणेश जी तपस्या में लीन थे गणेश जी को देखकर तुलसी उन पर मोहित हो गई और तुलसी ने भगवान से विवाह करने की इच्छा प्रकट की लेकिन गणेश जी ने स्वयं को ब्रह्माचारी बताकर तुलसी का विवाह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया।
इस बात से तुलसी को काफी क्रोध आ गया यह देखकर गणेश जी को तुलसी पर अधिक क्रोध आ गया और उन्होंने तुलसी को एक राक्षस से विवाह करने का श्राप दे दिया इसके बाद तुलसी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने गणेश जी के सामने क्षमा मांगी यह देखकर गणेश जी ने कहा तुम्हारा विवाह एक राक्षस से होगा किन्तु अगले जन्म में तुम एक पौधा का रुप धारण करोगी और तब तुम भगवान विष्णु की भक्त रहोगी और उनकी प्रिय रहोगी साथ ही कलयुग में तुम्हें जीवन और मोक्ष देने वाले पौधे के रुप में माना जायेगा परन्तु तुम्हारा उपयोग मेरी पूजा में नही किया जायेगा।
गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए मंत्र
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ।
या इस मंत्र
ओम नमो गणपतये कुबेर येकद्रिकां फट् स्वाहा इस मंत्र का जाप करने से गणेश जी प्रसन्न हो जाते हैं।