वर्ष में दो प्रकार की गुप्त नवरात्रि मनाई जाती हैं, जिनमें से एक माघ माह में और दूसरी आषाढ़ माह में होती है। इस अवसर पर दस महाविद्याओं की पूजा गुप्त रूप से की जाती है, जिससे साधक को सिद्धियों की प्राप्ति होती है। गुप्त नवरात्रि की पूजा अधिकतर अघोरियों और तांत्रिकों द्वारा की जाती है।
इस साल आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 06 जुलाई 2024, शनिवार से हो चुकी है। नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। इस दौरान भोग का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में अलग-अलग दिन मां को उनका प्रिय भोग लगाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ऐसे में, यहां जानिए किस दिन कौन सा भोग माता रानी को चढ़ाना चाहिए–
गुप्त नवरात्रि में 9 दिन माता रानी के प्रिय भोग एवं पुष्प
पहला दिन
मां शैलपुत्री की पूजा होती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए भक्त मां काली की पूजा करते हैं। उन्हें घी से बनी मिठाई का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मां शैलपुत्री को सफेद फूल, जैसे कि चमेली या सफेद गुलाब अर्पित करना शुभ माना जाता है।
दूसरा दिन
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मां तारा की आराधना की जाती है। माता रानी को दूध वाली मिठाई का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी को पीले रंग के फूल, जैसे कि गेंदा या सूरजमुखी अर्पित करना शुभ होता है।
तीसरा दिन
मां चंद्रघंटा की पूजा होती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मां त्रिपुर सुंदरी की आराधना की जाती है। माता रानी को दूध से बनी खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मां चंद्रघंटा को लाल रंग के फूल, जैसे कि गुलाब या गुड़हल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
चौथा दिन
मां कूष्माण्डा की पूजा होती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए भक्त मां भुवनेश्वरी की पूजा करते हैं। माता रानी को मालपुए का भोग लगाना शुभ होता है। मां कूष्माण्डा को नारंगी रंग के फूल, जैसे कि गेंदा या गेंदे का फूल अर्पित करना शुभ होता है।
पांचवां दिन
मां स्कंदमाता की पूजा होती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मां छिन्नमस्ता की आराधना की जाती है। माता रानी को केले का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मां स्कंदमाता को नीले या सफेद रंग के फूल, जैसे कि अपराजिता या चमेली अर्पित करना शुभ माना जाता है।
छठा दिन
मां कात्यायनी की पूजा होती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मां त्रिपुर भैरवी की पूजा की जाती है। माता रानी को शहद का भोग लगाना शुभ होता है। मां कात्यायनी को लाल रंग के फूल, जैसे कि गुड़हल या गुलाब अर्पित करना शुभ होता है।
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सातवां दिन
मां कालरात्रि की पूजा होती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मां धूमावती की आराधना की जाती है। माता रानी को गुड़ का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मां कालरात्रि को नीले या लाल रंग के फूल, जैसे कि नीला लोटस या गुड़हल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
आठवां दिन
मां महागौरी की पूजा होती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मां बगलामुखी की पूजा की जाती है। माता रानी को नारियल का भोग लगाना शुभ होता है। मां महागौरी को सफेद रंग के फूल, जैसे कि चमेली या सफेद गुलाब अर्पित करना शुभ होता है।
नौवां दिन
मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है, लेकिन तांत्रिक साधना के लिए मां मातंगी और मां कमला की आराधना की जाती है। माता रानी को तिल का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मां सिद्धिदात्री को गुलाबी या बैंगनी रंग के फूल, जैसे कि गुलाब या कमल अर्पित करना शुभ माना जाता है।