गुरु पूर्णिमा 2023

गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा से भक्त के सभी कष्ट दूर तथा उनकी कुण्डली में कोई दोष हो तो वह दूर हो जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा कर उनका आशीर्वाद लेते है जैसे भगवान श्री राम ने अपने गुरु मुनि वशिष्ठ को पूजा, भगवान श्री कृष्ण ने अपने गुरु संदीपनी ऋषि को पूजा और पांडवों ने गुरु द्रोणाचार्य को पूजा। गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊंचा रखा गया है। इसलिए अन्य देवी देवताओं की तरह इनके लिए भी एक समर्पित दिन रखा गया है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा गुरु को आभार प्रकट करने के लिए किया जाता है। इस दिन गुरु की पूजा करने से गुरु ग्रह का शुभ फल मिलता है।

गुरु पूर्णिमा कथा

प्राचीन काल में महर्षि परासर भ्रमण कर रहे थे उनकी नजर एक महिला पर पड़ी जिनका नाम सत्यवती था। सत्यवती एक मछुआरे की पुत्री थी जो देखने में बेहद खूबसूरत थी लेकिन मछुआरे के घर में जन्म लेने के कारण उनके शरीर से मछली की गंध आती रहती थी। इसलिए उन्हे मत्स्यगंधा भी कहा जाता है। ऋषि परासर उन्हें देखकर व्याकुल हो गये लेकिन परासर ऋषि उन्हें देखकर सत्यवती से संतान प्राप्त करने की इच्छा प्रकट की ये बात सुनकर सत्यवती को आश्चर्य हुआ  उन्होंने बोला की मै इस तरह का अनैतिक सम्बन्ध कैसे बना सकती हुं। इस तरह से संतान का जन्म लेना व्यर्थ है। तब परासर ऋषि ने कहा की तुम्हारी कोख से जन्म लेने वाला बच्चा संसार के लिए महान कार्य करेगा। अब सत्यवती मान गई लेकिन उसने ऋषि के सामने शर्त रखी। उनकी शर्ते तीन थी पहली शर्त ये थी- संभोग क्रीड़ा करते समय कोई ना देखे और दूसरी शर्त यह थी की- होने वाले बच्चा महान ज्ञानी होने के साथ मेरी कौमयता भंग ना हो और तीसरी शर्त थी की- मेरे शरीर से  आने वाली शरीर की गंध फूलो की खुश्बू में बदल जाएं। ऐसे मे ऋषि परासर ने तुरंत तथास्तु कह दिया सत्यवती की कोख में महर्षि वेद व्यास ने जन्म लिया और उन्ही के जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा के पूजन का लाभ

यह आषाढ़ माह के पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन वेदो के रचनाकार महर्षि वेद व्यास जी के जन्म के उपलक्ष्य में गुरु पूर्णिमा व व्यास जयंती मनाई जाती है। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में गुरु से सम्बन्धित कोई दोष हो तो गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा करने से यह दोष खत्म हो जाता है। पूजन से भाग्योदय होता है और जीवन में सुख समृद्धि का वास रहता है तथा नौकरी व्यापार और करियर मे फायदा होता है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

गुरु पूर्णिमा हमारे जीवन मे गुरु के एक विशिष्ट स्थान को दर्शाता है। शास्त्रों में कहा गया है की गुरु के बिना ज्ञान प्राप्त करना कठिन है। गुरु की कृपा से ही विश्व समस्त सुखों और स्वर्ग की सम्पदा प्राप्त हो सकती है। जो बड़े-बड़े योगियो को भी नसीब नही होती है। मनुस्मृति के अनुसार ऐसे व्यक्ति को ही गुरु बनाना चाहिए। जो क्षमा, दया, तपस्या, पवित्रता, यम, नियम, दान, सत्य, विद्या, संतोष इस सब गुणो से सम्पन्न हो।
कबीरदास जी कहते है।

भली भई जो गुरु मिल्या, नही तर होती होणि।
दीपक दिष्टि पतंग ज्यूं, पड़ता पूरी जाणि ।।

अर्थात- अच्छा हुआ जो गुरु मिल गए अन्यथा तो मेरी हानि ही होती जैसे दीपक की अग्नि की ओर पतंगे आकृष्ट हो जाते है वैसे ही मै भी विषय वासनाओं और माया की ओर आकृष्ट हो जाता।
और परिणाम यह होता की मेरा अमूल्य मन जीवन व्यर्थ होता। गुरु तो ईश्वर से भी बड़ा होता है। गुरु की महिमा की सराहना करते हुए कहा जाता है।

गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा

गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: 

अर्थात- गुरु ब्रह्मा हैं,  गुरु विष्णु हैं, गुरु ही शंकर हैं,।
गुरु ही साक्षात परमब्रह्मा हैं, उन सद्गुरु को प्रणाम।।

गुरु पूर्णिमा पर करें ये कार्य

☸इस दिन केवल गुरु का ही नही परिवार में जितने भी बड़े सदस्य हो जैसे माता-पिता, दादा-दादी उनको भी गुरु मानकर सम्मान करें तथा            उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
☸गुरु मंत्र का पाठ करने के लिए यह दिन शुभ होता है।
☸इस दिन गुरु का यथासंभव सेवा करने का प्रयास करें।
☸गुरु का आशीर्वाद ही प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी, ज्ञानवर्धक और मंगल करने वाला होता है। संसार की सम्पूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती है।

शुभ मुहूर्तः- 03 जुलाई  2023

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 02 जुलाई  2023 को  सायं  08:21  बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 03 जुलाई  2023 को सायं   05:08 बजे
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