गोवर्धन पूजा 2024: प्रकृति से दिव्य संबंध का उत्सव
गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट या अन्नकूट भी कहा जाता है, दीपावली के चौथे दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है। यह पर्व भगवान कृष्ण की इंद्र देव, वर्षा के देवता, पर विजय और वृंदावन के लोगों को विनाशकारी तूफान से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ा है। 2024 में गोवर्धन पूजा 1 नवंबर को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा भागवत पुराण की उस कथा की याद दिलाती है, जहां भगवान कृष्ण ने वृंदावन के लोगों को इंद्र की पूजा करने के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया था। यह भक्ति का कार्य यह दर्शाता है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और उसके साथ तालमेल में रहना चाहिए। यह पर्व विनम्रता और भक्ति की अहंकार और अभिमान पर जीत का प्रतीक भी है।
गोवर्धन पूजा की तैयारियाँ
- सफाई और सजावट: घर और आसपास के क्षेत्रों की सफाई करें। पूजा स्थल को रंगोली, फूलों और दीयों से सजाएँ।
- सामग्री जुटाना: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री इकट्ठा करें, जिसमें गोबर, ताजे फूल, फल, मिठाई और विभिन्न प्रकार के भोजन शामिल हों।
- गोवर्धन पर्वत बनाना: गोबर से गोवर्धन पर्वत का एक छोटा मॉडल बनाएं। इसे फूलों, अनाज और भगवान कृष्ण, गायों और अन्य पात्रों की छोटी-छोटी मिट्टी की मूर्तियों से सजाएँ।
गोवर्धन पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
- गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत बनाने के लिए
- ताजे फूल और माला
- अन्नकूट के लिए विभिन्न खाद्य सामग्री
- धूपबत्ती और दीपक
- पवित्र जल (गंगा जल)
- तुलसी के पत्ते
- फल और मिठाइयाँ
- पूजा की थाली जिसमें कुमकुम, हल्दी, चावल के दाने और चंदन का लेप हो
- घंटी और शंख
गोवर्धन पूजा की चरणबद्ध प्रक्रिया
- शुद्धिकरण: पूजा स्थल और गोवर्धन पर्वत के चारों ओर पवित्र जल छिड़ककर वातावरण को शुद्ध करें।
- आवाहन: गोवर्धन पर्वत के पास भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर रखें। मंत्रों और प्रार्थनाओं का उच्चारण कर भगवान कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं का आह्वान करें।
- फूल और माला अर्पित करना: गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की मूर्ति को ताजे फूलों और माला से सजाएँ।
- अन्नकूट की तैयारी: गोवर्धन पर्वत के सामने विभिन्न प्रकार के भोजन की एक पहाड़ी बनाएं। यह अर्पण अन्नकूट कहलाता है, जो प्रकृति की समृद्धि और उसकी कृपा के प्रति आभार का प्रतीक है।
- दीपक और धूपबत्ती जलाना: दीपक (दीया) और धूपबत्ती जलाकर शुद्धता और भक्ति का प्रतीक बनाएं।
- तिलक लगाना: भगवान कृष्ण की मूर्ति पर चंदन का लेप, हल्दी और कुमकुम लगाएँ।
- तुलसी अर्पण: भगवान को तुलसी के पत्ते अर्पित करें, जो भगवान कृष्ण को अत्यंत प्रिय माने जाते हैं।
- आरती: गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की मूर्ति के सामने दीपक जलाकर आरती करें और आरती का गीत गाते हुए दीये को घुमाएँ।
- प्रार्थना और मंत्रों का पाठ: भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित प्रार्थनाएं और मंत्रों का पाठ करें, जैसे गोवर्धन अष्टक या अन्य भक्ति भजन।
- प्रसाद वितरण: अर्पित भोजन (प्रसाद) को परिवार के सदस्यों, मित्रों और पड़ोसियों में बाँटें, जो सांझा करने और सामुदायिक बंधन का प्रतीक है।
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पूजा के बाद के उत्सव
- भोज और साझेदारी: परिवार और मित्रों के साथ अन्नकूट के लिए तैयार किए गए विभिन्न व्यंजनों का आनंद लें। प्रसाद का वितरण सामुदायिक सौहार्द को बढ़ाता है और एकता का भाव पैदा करता है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, और भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित भजन (भक्ति गीत) में भाग लें, जो त्योहार की भावना को और बढ़ाते हैं।
गोवर्धन पूजा का पर्यावरणीय संदेश
गोवर्धन पूजा का एक गहरा पर्यावरणीय संदेश है। गोवर्धन पर्वत और प्रकृति के तत्वों की पूजा कर भक्त यह स्वीकार करते हैं कि हमें प्राकृतिक दुनिया के साथ तालमेल में रहना चाहिए। यह पर्व सतत प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है और पर्यावरण के प्रति सम्मान जताता है, यह बताता है कि जब हम प्रकृति का आदर और संरक्षण करते हैं, तो यह सभी जीवित प्राणियों की देखभाल करती है।
गोवर्धन पूजा 2024 के मुहूर्त
- गोवर्धन पूजा: शनिवार, 2 नवंबर 2024
- गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त: सुबह 06:34 बजे से 08:46 बजे तक (2 घंटे 12 मिनट)
- गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त: शाम 03:23 बजे से 05:35 बजे तक (2 घंटे 12 मिनट)
- प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 1 नवंबर 2024 को शाम 06:16 बजे
- प्रतिपदा तिथि समाप्त: 2 नवंबर 2024 को रात 08:21 बजे
निष्कर्ष
गोवर्धन पूजा भक्ति, सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण चेतना का एक सुंदर संगम है। जब हम 2024 में इस पर्व को मनाएँ, तो भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को अपनाएँ और अपने प्राकृतिक परिवेश की रक्षा और पोषण करने का संकल्प लें। यह गोवर्धन पूजा सभी के लिए आनंद, समृद्धि और सौहार्द लाए!