ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए त्रिभुवन संकष्टी पर करें यह उपाय

यह व्रत अधिक मास, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जिसे अधिक मास संकष्टी चतुर्थी या मलमास संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं। विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन भद्रा और पंचक लग रहा है। इस व्रत को करने से भगवान गणेश जी का विशेष लाभ मिलता है, और जीवन में आने वाले कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष शास्त्र में भी बताया गया है कि चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश की उपासना से ग्रह दोष और पाप ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के द्वारा राहु और केतु जैसे पाप ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी समाप्त हो जाते हैं।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी 2023 ज्योतिष उपाय

 कार्य में सफलता के लिए

 

ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए त्रिभुवन संकष्टी पर करें यह उपाय 1
विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन आप गणेश स्थापना करके गणपति बप्पा की पूजा करें। उन्हें गेंदे के फूल, माला, गुड़, मोदक और अन्य भोग अर्पित करें। दूर्वा चढ़ाना और ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करना भी अत्यंत शुभ है। इससे आपके सारे कार्य सफल होंगे और विघ्न तथा बाधाएं दूर हो जाएंगी।

वास्तु दोष निवारण उपाय

आग्नेयमुखी भवन के शुभाशुभ निर्णय

यदि आपके वर्कप्लेस पर वास्तु दोष है और उसके कारण आपकी उन्नति रुकी हुई है, तो आप वहां पर गणेश जी की मूर्ति लगा सकते हैं, जिसमें बप्पा दोनों पैरों पर खड़े हों। घर के वास्तु दोष को भी दूर करने के लिए आप बैठे हुए गणपति बप्पा की मूर्ति या तस्वीर लगा सकते हैं। जरूरी है कि गणेश जी की पीठ किसी को दिखाई न दें।

धन-संपत्ति और सुख-समृद्धि के लिए

ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए त्रिभुवन संकष्टी पर करें यह उपाय 2
विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के समय धनदाता गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। फिर उसके बाद ‘ॐ श्रीं ओम ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः‘ मंत्र का कम से कम 11 माला का जाप करना चाहिए। इस पूजा और जाप के द्वारा भगवान गणेश की कृपासे आपको समृद्धि और धन संपन्नता की प्राप्ति होगी। धनदाता गणेश स्तोत्र और मंत्र का जाप आपके कार्यों को सफलता से पूरा करने में मदद करेगा।

 

ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए जपे यह मंत्र

गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।

धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।

बीमारियों का ग्रहों और किस्मत से क्या संबंध है?

इस मंत्र का जाप करने से व्रत करने वाले व्यक्ति को ग्रह दोषों और अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है। गणपति जी की कृपा से उनके सभी विघ्न दूर होते हैं और जीवन में समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। संकष्टी चतुर्थी पर इस मंत्र का विशेष महत्व होता है और भक्त इसे भक्ति भाव से जपते हैं ताकि भगवान गणेश की कृपा से उन्हें सभी परेशानियों से छुटकारा मिले।

संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन और प्रत्येक बुधवार को ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप 108 बार यानी एक माला के समान करने से भगवान गणेश जी को प्रसन्नता मिलती है और ग्रह दोषों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस भक्ति भाव से किये गए जाप से साधक को सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत और मंत्र के माध्यम से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त कर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता और खुशियाँ प्राप्त कर सकता है।

भगवान गणेश के 12 प्रमुख नाम हैं 

सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन और विघ्ननाशन। इन नामों का जाप कम से कम 11 बार अवश्य करना चाहिए। भगवान गणेश के इन नामों का जाप करने से वे प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस उपासना और जाप से आपको भगवान गणेश की कृपा मिलती है और आपके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का संचार होता है। इसलिए, इन नामों के जाप का विशेष महत्व है और आपको निरंतर भगवान गणेश की उपासना करते रहने से बहुत लाभ होता है।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

☸ प्रातः काल उठे एवं स्नान आदि कर लें।
☸ उसके बाद गणेश अष्टोत्तर का जाप करें।
☸ शाम के समय भगवान गणेश की मूर्ति को साफ स्थान पर रखकर सुंदर फूलों से सजाएं।
☸ अब मूर्ति के सामने अगरबत्ती और दीपक जलाएं तथा देवताओं को फूल अर्पित करें।
☸ भगवान की आरती करें तथा उनसे प्रार्थना करें।
☸ उसके बाद चन्द्रमा को दूर्वा घास, तिल के लड्डू और अघ्र्य अर्पित करें।
☸ पूजा के दौरान भगवान गणेश को तिल, गुड़, लड्डू दूर्वा और चंदन अर्पित करें तथा मोदक का भोग लगाएं।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 04, 2023 को दोपहर 12ः45 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – अगस्त 05, 2023 को सुबह 09ः39 बजे

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