प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा 22 मार्च दिन बुधवार को की जायेगी।
माता शैलपुत्रीः- नवरात्रि का प्रथम दिन माँ शैलपुत्री का होता है यह माँ दुर्गा का ही एक रुप है जिसकी पूजा की जाती है माँ शैलपुत्री नें अपने इस रुप में शैलपुत्र हिमालय के घर में जन्म लिया था अपने इस रुप में माता वृषभ पर विराजमान है उनके हाथ में एक त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है मान्यता के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना करना अच्छी सेहत की प्राप्ति के लिए लाभदायक होता है।
दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा 23 मार्च दिन गुरुवार को की जायेगी।
माँ ब्रह्मचारिणीः- नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है अपने इस दूसरे रुप में माँ ने भगवान शिव जी को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी माँ के इस रुप में एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप की माला धारण किये हुए है नवरात्रि के दूसरे दिन माँ को शक्कर का भोग लगाया जाता है साथ ही शक्कर दान किया जाता है मान्यता के अनुसार माँ के इस रुप की पूजा अर्चना दीर्घायु की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
तीसरे दिन माँ चन्द्रघण्टा की पूजा 24 मार्च दिन शुक्रवार को की जायेगी।
माँ चन्द्रघण्टाः- नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चन्द्रघण्टा की पूजा की जाती है इस तीसरे रुप में माँ की 10 भुजाएँ है तथा अपने सभी हाथों में माँ ने शस्त्र धारण किये हुए है जिसे देख ऐसा प्रतीत होता है कि माँ युद्ध के लिए तैयार है फिर भी माँ चन्द्रघण्टा की पूजा अर्चना करने से सभी भक्तों को कष्ट से मुक्ति मिलती है।
चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा 25 मार्च दिन शनिवार को की जायेगी।
माँ कूष्मांडाः- नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है कहा जाता है कि माता के इस रुप से ब्रह्माण्ड की शुरुआत हुई थी इस रुप में माँ की 8 भुजाएँ है माँ ने अपने 8 हाथ मे कमंडल, धनुष बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र और गदा लिए हुए है। माँ के आठवें हाथ मे वर देने वाली जप की माला विद्यमान है मान्यता के अनुसार माँ के इस रुप की पूजा अर्चना करने से सभी भक्तों को इच्छानुसार वरदान की प्राप्ति होती है।
पाँचवे दिन माँ स्कन्दमाता की पूजा 26 मार्च दिन रविवार को की जायेगी।
माँ स्कन्दमाताः- नवरात्रि के पाँचवे दिन माँ स्कन्दमाता की पूजा की जाती है, माता अपने इस रुप में कमल पर विराजमान है इनकी 4 भुजाएं है तथा अपने हाथ मे 2 कमल लिये हुए है माँ के एक हाथ में माला है तथा दूसरे हाथो से माँ आशीर्वाद दे रही है मान्यता के अनुसार माँ के इस रुप की पूजा अर्चना करने से सभी भक्तों को सारे पापों से मुक्ति मिलती है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है इस दिन माँ को अलसी नामक औषधि अर्पण करने से मौसम सेे होने वाली बीमारी नही होती साथ ही इंसान स्वस्थ रहता है।
छठे दिन माँ कात्यायिनि की पूजा 27 मार्च दिन सोमवार को की जायेगी।
माँ कात्यायिनीः- नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायिनि की पूजा की जाती है, माँ के इस रुप को ऋषि कात्यायन ने अपनी घोर तपस्या से प्राप्त किया था माँ ने इसी रुप में आकर महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था कहा जाता है भगवान श्री कृष्ण को पति के रुप में पाने के लिए गोपियाँ इनकी पूजा करती थी। मान्यता के अनुसार माँ कात्यायिनि की पूजा अर्चना करने तथा सच्चे मन से माँ को याद करने से जातक के विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है साथ ही मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा 28 मार्च दिन मंगलवार को की जायेगी।
माँ कालरात्रिः- नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है, माँ का यह रुप बहुत भयानक होता है माँ ने अपने इस रुप में एक हाथ में त्रिशूल और एक हाथ में खड्ग लिए हुए है माँ ने अपने गले में खड्गों की माला पहना हुआ है मान्यता के अनुसार माता का इस रुप में पूजा-अर्चना करने से सभी बुरी शक्तियों का नाश हो जाता है।
आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा 29 मार्च दिन बुधवार को की जायेगी।
माँ महागौरीः- नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है, माता का यह रुप बहुत सुन्दर और सरल माता अपने इस रुप में वृषभ पर विराजमान है साथ ही हाथों में त्रिशूल और डमरु लिया हुआ है तथा और अन्य 2 हाथों से अपने भक्तों को वरदान दे रही है। मान्यता के अनुसार माता के इस रुप में भगवान शिव शंकर ने गंगाजल से अभिषेक किया था। माता की पूजा करने से जातक को गौरव वर्ण की प्राप्ति होती है।
नौवे दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा 30 मार्च दिन गुरुवार को की जायेगी।
माँ सिद्धिदात्रीः- नवरात्रि के नौवे दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माता अपने इस रुप में कमल पर विराजमान है इनका वाहन सिंह है माता के इस रुप में उनके चार हाथ है और इन चार हाथों मे माँ ने शंख, गदा, कमल और चक्र धारण किया हुआ है मान्यता के अनुसार इनकी पूजा अर्चना करने से माँ के सभी भक्तों को सिद्धि की प्राप्ति होती है।