चैत्र नवरात्रि 8 या 9 अप्रैल कब से शुरू?, When does Chaitra Navratri start on 8th or 9th April

हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि का पर्व अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस नवरात्रि के वसंत ऋतु में पड़ने के कारण इसे वासंती नवरात्र भी कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि शुक्ल पक्ष प्रथमा से प्रारम्भ होता है और इसका समापन रामनवमी को होता है। आपको बता दें कि चैत्र नवरात्रि के दिन से ही मौसम में परिवर्तन होता है अर्थात गर्मी के मौसम की शुरूआत मानी जाती है। इस नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा एक प्रकृति और प्रमुख जलवायु परिवर्तन से भी गुजरती हैं। इस दिन माँ भगवती के सभी नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। वास्तव में यह पर्व एक विशिष्ट अनुष्ठान के रूप में ऊर्जा ग्रहण करने के लिए भी मनाया जाता है।

चैत्र नवरात्रि मनाये जाने का इतिहास और इससे जुड़ी कहानी

☸ चैत्र नवरात्रि का इतिहास बहुत ही ज्यादा प्राचीन है। पुराणों में भी चैत्र नवरात्रि का अलग-अलग वर्णन मिलता है। वैसे तो यह त्योहार वर्ष में चार बार मनाया जाता है जिसमें गुप्त नवरात्रि का भी अपना विशेष महत्व होता है।

☸ पौराणिक कथाओं के अनुसार रामायण काल में जब प्रभु श्री राम जी रावण का वध करने के लिए गये थे, उससे पहले उन्होंने माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनकी श्रद्धापूर्वक उपासना की थी जिससे माँ दुर्गा प्रसन्न होकर प्रभु श्री राम जी को विजयी होने का आशीर्वाद दिया था।

☸ कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रभु श्री राम जी का जन्म भी चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन ही हुआ था इसलिए इस दिन को रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है।

☸ चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व के दौरान जलवायु और सूर्य के प्रभावों का एक अनोखा संगम देखा जाता है जो कि नवरात्रि पर्व के महत्व को और भी ज्यादा बढ़ा देता है। अन्य कहावतों के अनुसार इन दिनों में खान-पान तथा व्रत का विशेष पालन करने से व्यक्ति के शरीर में मौजूद अशुद्धियाँ सदैव के लिए दूर हो जाती हैं साथ ही शरीर में नयी ऊर्जा का सकारात्मक संचार होता है।

☸ प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यह पर्व प्रागैतिहासिक काल के समय से ही मनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म में इसीलिए इस पर्व को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है।

चैत्र नवरात्रि मनाने का महत्व

माँ आदिशक्ति की पूजा-आराधना के लिए समर्पित यह त्योहार धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक इन सभी दृष्टिकोणों से विशेष महत्व रखता है। इस पर्व के दौरान माँ आदिशक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है जिन्हें नौ दुर्गा के नाम से जाना जाता है। माँ दुर्गा अपने इन्हीं रूपों में आकर असुरों का नष्ट करके बुराई पर अच्छाई की जीत स्थापित की। चैत्र नवरात्रि के दौरान ही सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होता है और यह परिवर्तन सभी राशियों पर प्रभाव डालता है। चैत्र नवरात्रि के पूजन का सबसे बड़ा महत्व यह होता है कि जो भी भक्त किसी लोभ के नवरात्रि के दिन की पूजा-अर्चना करता है वह जन्म और मरण से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है साथ ही उस पर माँ दुर्गा का आशीर्वाद भी सदैव बना रहता है।

चैत्र नवरात्रि व्रत की पूजा विधि

☸ चैत्र नवरात्रि के दौरान सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जगकर स्नान करें।

☸ उसके बाद घर पर ही किसी पवित्र स्थान पर स्वच्छ मिट्टी से वेदी बनाएं।

☸ गेहूँ और जौ मिलाकर उस वेदी में बो दें।

☸ उसके बाद घर में मंदिर के पवित्र स्थान पर साफ-सुथरा करके वहाँ पर सोने, चाँदी, ताँबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें।

☸ वहाँ स्थापित कलश में आम के हरे पत्ते, दूर्वा और पंचामृत डालकर उसके मुख पर एक रक्षा सूत्र बाँधें उसके बाद गणेश जी का पूजन करें।

☸ उस वेदी के आस-पास या किनारे पर माँ दुर्गा की किसी धातु या मिट्टी की तस्वीर को विधि-विधान से विराजमान करें।

☸ उसके बाद मूर्ति का आसन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन, पुष्पांजलि, नमस्कार, प्रार्थना इत्यादि से पूजा-अर्चना करें।

पूजा विधिपूर्वक समाप्त हो जाने के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और पाठ और स्तुति करके आरती करने के बाद सभी लोगों को माँ दुर्गा को लगाया गया भोग अर्पित करें।

☸ इसके बाद माँ दुर्गा के स्वरूप नौ कन्याओं को श्रद्धापूर्वक भोजन करवायें उसके बाद फलाहार ग्रहण करें।

☸ अगले दिन माँ दुर्गा की पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें।

चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त

घटस्थापना मुहूर्तः- प्रातः 06ः02 मिनट से प्रातः 10ः16 मिनट।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भः- 08 अप्रैल 2024 रात्रि 11ः50 मिनट से,
प्रतिपदा तिथि समाप्तः- 09 अप्रैल 2024 रात्रि 08ः30 मिनट पर।

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