केदार योग क्या है| और कैसे बनता है| इस योग में जन्म लेने वाले जातक

जब कभी जन्म कुण्डली में राहु के केतु को छोड़कर अन्य सभी ग्रह अर्थात सूर्य, मंगल, बुध, चन्द्रमा, शनि, गुरु, शुक्र कुण्डली के किसी भी चार भावों में उपस्थित हो तो केदार नामक राजयोग का निर्माण होता है जो एक उत्तम योग है। इस योग के प्रभाव से जातकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। तो आइयें इसकी सम्पूर्ण जानकारी ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी द्वारा समझते हैं जो एक कुण्डली विशेषज्ञ है और अपने विश्लेषण के माध्यम से कई जातकों के जीवन की परेशानियां को दूर किये हैं।

 

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केदार योग

केदार योग के प्रकार

किसी कुण्डली में निर्माण केदार योग दो प्रकार का होता है पहला उत्तम राजयोग एवं दूसरा मध्यम राजयोग केदार योग के प्रभाव से जातक कम परिश्रम में ही अधिक लाभ प्राप्त कर लेता है और उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है साथ ही स्वभाव से भी श्रेष्ठ होता है यह राजयोग कुछ विशेष परिस्थितियों में बनता है। इस योगों को समझने के लिए हमे निम्न परिस्थितियों को समझना होगा जो इस प्रकार से है।

उत्तम केदार योग :- उत्तम केदारयोग भी दो प्रकार से निर्मित होता है।

केदार योग क्या है| और कैसे बनता है| इस योग में जन्म लेने वाले जातक 2(i) जब कुण्डली में राहु केतु को छोड़कर अन्य सभी सात ग्रह त्रिकोण एवं केन्द्र भाव को मिलाकर किसी भी चार भावों में उपस्थित हों तो उत्तम केदार योग का निर्माण होता है। इस योग के प्रभाव से जातक बुद्धिमान, गुणवान, प्रतिभाशाली एवं प्रतिभावान होता है तथा दूसरों का आदर-सत्कार भी करता है। शिक्षा के क्षेत्र में काफी कुशाग्र बुद्धिवाले होते हैं तथा धार्मिक क्षेत्र में भी अधिक रुचि रहती है तथा आध्यात्मिक होते हैं। इसके अलावा इस योग में जन्में जातक दयालु, परोपकारी एवं उदार स्वभाव के होते हैं और इस योग की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन जातकों की कुण्डली में मंह योग बनता है उसे कृषि कार्यों से अधिक लाभ प्राप्त होता है। साथ ही बड़े उद्योगो के स्वामी होते हैं। कला, साहित्य एवं रचनात्मक क्षेत्र में भी सफलता मिलती है। समाज में मान, पद-प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।

 

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(ii) यह उत्तम केदार योग तब बनता है जब राहु-केतु को छोड़कर अन्य सभी ग्रह केन्द अर्थात प्रथम, चतुर्थ, सप्तम एवं दशम भाव में उपस्थित हो। जब उपरोक्त स्थिति द्वारा कुण्डली में उत्तम राजयोग का निर्माण होता है तब जातक अपने परिवार के अलावा सभी परिजनों के आर्थिक क्षेत्र में मदद करता है। साथ ही अपने स्वभाव एवं कार्यों द्वारा अपने कुल का नाम दीपक की तरह रोशन करते है। इस योग के प्रभाव से जातक अपने जीवन के कम उम्र में ही धनवान एवं कीर्तिवान होते है। समाज में चारो ओर इनका यश फैलता है तथा तर्क शक्ति श्रेष्ठ श्रेणी की होती है। साथ ही कुशाग्र बुद्धिवाले होते हैं औ स्मरण शक्ति भी बहुत तेज होती है। इसके साथ ही जातक राजनीति, कूटनीति एवं चाणक्यनीति में भी बहुत कुशल होता है। कुण्डली में बने केदार नामक राजयोग से जातक भू-सम्पत्ति, कन्सट्रक्शन इत्यादि कार्यों में जल्द ही सफलता प्राप्त कर लेता है और इन कार्यों द्वारा समाज में मान, पद-प्रतिष्ठा भी प्राप्त करता है। खेती के कार्यों से भी लाभ प्राप्ति के योग बनते हैं।

 

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मध्यम केदार योग:- जब जन्म कुण्डली में राहु-केतु को छोड़कर अन्य सभी ग्रह तीसरे, छठवे, आठवें या बारहवें भाव में विराजमान हो तो मध्य केदार योग का निर्माण होता है।मध्यम राजयोग को विपरीत राजयोग भी कहते है क्योंकि त्रिक भाव के स्वामी जब त्रिक भाव में हो तो विपरीत राजयोग का निर्माण होता है। इस योग से जातक मेहनती स्वाभिमानी एवं साहसी होता है। किसी भी जोखिमपूर्ण कार्यों को करने से पीछे नही हटते हैं तथा स्वभाव से निडर होते हैं। विदेशों से अधिक सुख प्राप्ति का योग बनता है तथा जन्म स्थान से दूर रहने पर भाग्य उन्नति में तेजी से वृद्धि होती है। समाज में मान-पद, प्रतिष्ठा बढ़ता है। शेयर बाजार द्वारा भी लाभ मिलता है तथा राजनीतिक क्षेत्र में प्रभावशाली होते है साथ ही साहसिक कार्य जैसे नेवी, फौजी आदि में भी पूर्ण रुप से सफलता मिलती है। सामाजिक कार्यों में भी रुचि बढ़ती है।

 

कब होता है केदार योग भंग

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जब कुण्डली में सभी सात ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल, शनि, गुरु, शुक्र, बुध किसी भी चार भावों में उपस्थित होकर केदार योग का निर्माण कर रहे हो परन्तु उनके साथ राहु-केतु भी विराजमान हो तो उस दशा में केदार योग निष्फल परिणाम देता है। जातक को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं परन्तु केदार योग की अपेक्षा कम होते हैं। अधिक मेहनत के पश्चात भी कम सफलता है। यदि आपकी कुण्डली में राहु-केतु के साथ केदार योग का निर्माण हो रहा हो तो उन्हें महामृत्युजंय मंत्र का सवा लाख बार जाप करना चाहिए।

इसके साथ ही सवा लाख बार वेद गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। (सवा लाख बार) और तर्पण का कार्य करना चाहिए।

केदार नाथ योग में ध्यान रखने योग्य बाते

जब कोई केदारनाथ योग का विश्लेषण करें तो ग्रहों की पूर्ण अवस्था को अवश्य जान लें जन्म कुण्डली के साथ-साथ नवमांश एवं षोडश कुण्डली पर भी विचार विमर्श कर लें। ग्रह के अस्त, वक्रीय, बाल्यावस्था, मृत अवस्था, युवास्था इत्यादि को भी जानना आवश्यक होता है। जिससे इस योग का सटीक विश्लेषण किया जा सके।

 

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