मेषलग्न मे जब सूर्य प्रथम भाव मे
🔯 मेष लग्न के जातकों की कुण्डली मे जब सूर्य प्रथम भाव मे हो तो माणिक पहना जा सकता है। परन्तु इसके कुछ अशुभ परिणाम भी मिल सकते है। तो आइये जाने शुभ और अशुभ परिणाम
शुभ परिणामः- यदि मेषलग्न के जातकों की कुण्डली मे सूर्य प्रथम भाव मे हो तो जातक प्रभावशाली, कुशाग्र बुद्धिवाला होगा परन्तु अहंकारी भी होगा।
अशुभ परिणामः- जब सूर्य प्रथम भाव मे होगा तो उसकी नीच एवं पूर्ण दृष्टि सप्तम भाव पर होगी। जिसके कारण जातक के वैवाहिक जीवन एवं दैनिक रोजगार के क्षेत्र मे कुछ परेशानी हो सकती है तथा क्रुप जीवनसाथी की प्राप्ति हो सकती है।
निष्कर्षः- मेष लग्न के जातक जब तक विद्यार्थी या शिक्षा ग्रहण कर रहे है तब तक माणिक्य पहन सकते है परन्तु विवाह के आयु के दौरान या उसके उपरान्त नही पहनना चाहिए।
मेषलग्न मे जब सूर्य द्वितीय भाव मे हो तो –
🔯यदि मेषलग्न के कुण्डली मे सूर्य द्वितीय भाव मे उपस्थित हो तो जातको को माणिक नही धारण करना चाहिए क्योकि कुण्डली का दूसरा भाव परिवार धन एवं वाणी का होता है। परन्तु सूर्य शत्रु राशि मे बैठने के कारण अशुभ फल प्रदान करता है। जिसके कारण शिक्षा में परेशानी, संतान पक्ष मे परेशानी, धन संग्रह मे रुकावटें आ सकती है। लेकिन सूर्य की सातवी दृष्टि आयु स्थान पर पड़ रही है। जो पित्त की थैली मे पथरी निर्माण में सहायता करता है तथा परिवार मे विवाद उत्पन्न करता है।
मेष लग्न मे जब सूर्य तृतीय भाव मे स्थित हो
🔯 जब मेषलग्न मे सूर्य तृतीय भाव अर्थात अपनी मित्र राशि मे उपस्थित हो तो माणिक पहनने से आपको लाभ होगा परन्तु आपके पराक्रम मे बढ़ोत्तरी होगी लगातार मेहनत करना पडे़गा आपकी वाणी भी उग्र रहेगी छोटे भाई-बहनों से विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सूर्य की पूर्ण दृष्टि भाग्य भाव पर होगी आपके भाग्य मे वृद्धि धर्म मे मन लगा रहेगा।
जब सूर्य चतुर्थ भाव मे उपस्थित हो –
🔯 कर्क राशि मे यदि सूर्य की उपस्थिति हो तो माणिक पहनना शुभ होगा परन्तु इसके साथ ही आप मोती अवश्य पहने क्योकि चतुर्थ भाव का सूर्य माता से अलगाव ला देता है। इस भाव में उपस्थित सूर्य शिक्षा मे सुख, संतान का सुख प्रदान करता है। परन्तु इसकी सातवी दृष्टि मकर राशि पर पड़ रही है जिसके कारण कार्य व्यवसाय के क्षेत्र मे भी परेशानी बन सकती है।
मेष लग्न मे जब सूर्य पंचम भाव मे स्थित हो –
🔯 मेष लग्न के जातको की कुण्डली मे जब सूर्य पंचम भाव अर्थात स्वगृही हो तो जातक को माणिक पहनने के लाभ प्राप्त होते है। जातक शिक्षा के क्षेत्र मे तरक्की करेगा एवं उसकी वाणी उग्र एवं प्रभावशाली रहेगी जातक अपनी बातो को ही सर्वोप्रिय रखेगा। लेकिन आय के क्षेत्र मे कुछ परेशानी बन सकती है।
मेष लग्न मे जब सूर्य छठे भाव मे स्थित हो –
🔯 मेष लग्न के जातको की कुण्डली मे उपस्थित छठे भाव का सूर्य जातक को खर्चीले स्वभाव का बनाता है लेकिन जातक के मान पद प्रतिष्ठा मे बढोत्तरी होगी। जातक को शिक्षा ग्रहण करने मे कुछ परेशानी बन सकती है। परन्तु जातक अपने बुद्धि बल से इन परिस्थितियों का सामना करने मे सक्षम होगा। शत्रुओं का सामना करने मे भी आप सक्षम होंगे। अतः इस परिस्थिति मे आप माणिक पहन सकते है।
मेष लग्न मे जब सूर्य सातवे भाव मे हो –
🔯 मेष लग्न के जातकों की कुण्डली मे जब सूर्य सातवे भाव मे उपस्थित हो तो जातक उग्र स्वभाव का हो जाता है तथा जातक को कई विपरीत परिस्थितियोें का सामना करना पड़ता है जैसे वैवाहिक जीवन मे परेशानी, आपके ज्ञान मे कमी, रोजगार के क्षेत्र मे मुश्किले उत्पन्न करता है। इसलिए इस स्थिति मे माणिक्य नही धारण करना चाहिए।
मेष लग्न मे जब सूर्य अष्टम भाव मे स्थित हो –
🔯 मेष लग्न के जातकों की कुण्डली मे जब सूर्य अष्टम भाव मे हो तो माणिक नही पहनना चाहिए। यह शिक्षा के क्षेत्र मे रुकावट उत्पन्न करता है और शिक्षा को पूर्ण नही करने देता है।
मेष लग्न मे जब सूर्य नवम भाव मे स्थित हो –
🔯 मेष लग्न के जातक की कुण्डली मे जब सूर्य नवम भाव मे विराजमान हो तो जातक को उच्च शिक्षा की प्राप्ति होगी। धर्म क्षेत्र में भी जातक को अच्छा ज्ञान प्राप्त होगा। संतान का सहयोग मिलेगा। भाई-बहनों का साथ मिलेगा तथा आपकी वाणी भी उग्र एवं प्रभावशाली रहेगी। अतः इस स्थिति मे आप माणिक पहन सकते है। यहाँ पर सूर्य एक त्रिकोण का मालिक होकर दूसरे त्रिकोण में उपस्थित है।
मेष लग्न मे जब सूर्य दशम भाव मे स्थित हो –
🔯 मेष लग्न के जातको की कुण्डली मे जब सूर्य दशम भाव मे उपस्थित हो तो जातक अहंकारी हो जाता है परन्तु प्रशासनिक सेवाओ से लाभ प्राप्त करेगा माता, भूमि, वाहन, मकान से भी सुख की प्राप्ति करेंगे। अतः इस परिस्थिति मे आप माणिक्य पहन सकते है। अपने बुद्धि बल से आप विपरीत परिस्थितियों का सामना कर लेंगे।
मेष लग्न मे जब सूर्य एकादश भाव मे स्थित हो –
🔯 मेष लग्न के जातको को इस स्थिति मे माणिक नही धारण करना चाहिए क्योंकि एकादश भाव का सूर्य आर्थिक क्षेत्र मे रुकावट उत्पन्न करता है। परन्तु शिक्षा के क्षेत्र मे तरक्की होगी। इसके अलावा गर्भ हानि का योग भी बनता है।
मेष लग्न मे जब सूर्य द्वादश भाव मे स्थित हो –
🔯 मेष लग्न के जातकों की कुण्डली मे जब सूर्य द्वादश भाव मे उपस्थित हो तो जातक माणिक धारण कर सकता है। जातक अपने बुद्धि बल द्वारा धन खर्च करेगा। शत्रुओ का सामना करने मे सक्षम होगा लेकिन साथ ही संतान पक्ष एवं शिक्षा अर्जन मे कुछ परेशानी बन सकती है।
माणिक पहनने के नियमः-
आपके माणिक सोने मे जड़ा हुआ रविवार के दिन दाये हाथ की अनामिका उगुली मे पहनना चाहिए।
माणिक कितनी रत्ती का होना चाहिए यह आपके कुण्डली विश्लेषण द्वारा प्राप्त होगा।
विशेषः- यह सभी स्थितियाँ जब सूर्य सभी भावों में अकेला हो तब लागू होती है यह माणिक पहनने की एक सामान्य परिचय है। अधिक एवं सम्पूर्ण जानकारी के लिए हमारे ज्योतिषाचार्य के0एम0 सिन्हा द्वारा एक बार परामर्श अवश्य लें। उसके पश्चात ही माणिक्य धारण करें।