हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ माह में आने वाली अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या कहते हैं। सभी अमावस्या के भांति इस अमावस्या का भी विशेष महत्व है। इस अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है तथा संयोग से ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री भी पड़ रहा है जिसके परिणामस्वरुप इस अमावस्या की विशेषता और अधिक बढ़ गई है।
वैदिक पुराणों के अनुसार अमावस्या के दिन धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यों को करना शुभ होता है। इस तिथि पर जातक विशेष रुप से पितरों की शांति के लिए श्राद्ध एवं तर्पण का कार्य करते हैं। अमावस्या तिथि पर स्नान दान का भी विशेष महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से आत्मा को शुद्धि मिलती है और दान करने से पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है।
अमावस्या व्रत की श्रेष्ठ पूजा विधि, शीघ्र होगी आपकी मनोकामना पूर्ण
जो संतान सम्बन्धित परेशानियों से पीड़ित है उन्हें विशेष रुप से ज्येष्ठ अमावस्या का व्रत पूरे विधि-विधन से करना चाहिए। व्रत विधि इस प्रकार से हैं-
☸ आज के दिन प्रातः काल उठें एवं संभव हो तो किसी पवित्र नदी अथवा जलाशय में स्नान करें अन्यथा पानी में गंगाजल डालकर नहायें।
☸ उसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
☸ सर्वप्रथम माता पार्वती एवं भगवान शिव की पूजा करें और इस पूजा में धूप, दीप, फूल, अक्षत, गंध और नैवेद्य अवश्य सम्मिलित करें।
☸ अब व्रत की कथा का पाठ करें।
☸ पाठ करने के पश्चात माता पार्वती एवं महादेव की आरती करें।
☸ अब पूरे दिन निराहार व्रत का संकल्प करें कि हे भगवान मेरा यह व्रत बिना किसी विघ्न के पूर्ण हो जाये।
☸ व्रत में केवल फल एवं दूध का सेवन करें।
☸ सूर्यास्त होने से पहले पुनः पूजा करके व्रत का समापन करें एवं जरुरतमंदो को दान अवश्य दें।
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ज्येष्ठ अमावस्या व्रत के लाभ को अवश्य जानें
हिन्दू धर्म में सभी पूजा व्रत का विशेष महत्व एवं लाभ है ठीक इसी प्रकार यह अमावस्या व्रत रखने से आपको कुछ महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे, जो निम्नलिखित हैः-
देवी-देवताओं का आशीर्वादः- जो जातक पूरी निष्ठा एवं विधि से इस व्रत को रखते हैं उन पर देवी-देवताओं का आशीर्वाद बना रहता है तथा उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
पुण्य लाभः- इस व्रत के माध्यम से जातकों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है तथा प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है साथ ही कृष्ण भगवान की कृपा सदैव बनी रहती है।
शारीरिक लाभः- यह व्रत आपको शारीरिक रुप से मजबूत बनाता है। आपके अन्दर नई एवं सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
मन की शुद्धिः- इस व्रत को रखने से आप आत्मिक रुप से शुद्ध होते है। यदि आप अमावस्या तिथि पर निरन्तर भगवान का ध्यान करें तो कृष्ण जी का साथ सदैव बना रहेगा।
ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती 2023
हमारे हिन्दू धर्म में अन्य देवी-देवताओं की भांति शनिदेव को भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। भक्त जितनी श्रद्धा भक्तिभाव से अन्य देवी-देवताओं की पूजा करते हैं उतने ही धूमधाम के साथ शनि जयंती भी मनाते हैं। इसके अलावा धर्म शास्त्रों में शनिदेव को उपासनीय देवता की संज्ञा दी जाती है और ये न्यायप्रिय, धैर्य एवं संयम के लिए जाने जाते हैं। इस दिन कुछ भक्त व्रत भी रखते है और शनिदेव की कृपा पाने के लिए उन्हें नौ रत्नों की माला भी अर्पित करते हैं।
शनिदेव की जन्म कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव सूर्य देव एवं उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ था जिनकी तीन संतान यम, मनु और यमुना थी। विवाह के पश्चात कई वर्षों तक संज्ञा देवी सूर्यदेव के साथ रही परन्तु सूर्यदेव का तेज सहना उनके पीड़ा का कारण बन गया और एक समय ऐसा आया कि वह उनके तेज को बिल्कुल भी सहन नही कर पा रही थीं, तब संज्ञा देवी अपनी छाया छोड़कर चली गई और कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ था परन्तु जब सूर्य देव को इस बात का पता चला कि शनिदेव उनके और संज्ञा देवी के पुत्र नहीं है तो उन्हें छाया पर अधिक क्रोध आया जिसके कारण उन्होंने शनिदेव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। यही कारण है कि सूर्यदेव एवं शनिदेव पिता पुत्र होते हुए भी आज तक एक-दूसरे से शत्रुभावना रखते हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या पर जाने वट सावित्री कथा का संक्षिप्त परिचय
वट सावित्री का व्रत विशेषकर महिलाओं के लिए होता है इस व्रत को करने से अखण्ड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन वट अर्थात बरगद के पेड़ की पूजा आराधना करते हैं साथ ही सत्यवान, सावित्री की भगवान यमराज के साथ पूजा की जाती है जिससे इस व्रत का महत्व दोगुना बढ़ जाता है।
अमावस्या के दिन किये जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान आप अवश्य करें
पितृ तर्पणः- अमावस्या के दिन पितृ तर्पण का विशेष महत्व है इसलिए आज के दिन अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा जताते हुए तर्पण अवश्य करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा एवं परेशानियां दूर होंगी।
स्नानः- अमावस्या के दिन स्नान करने का विधि-विधान है और भक्त इस दिन घाटों पर जाकर स्नान भी करते हैं जिससे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
दानः- आज के दिन धन, अन्न, कपड़े और अन्य वस्तुओं का दान करते हैं। इससे अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
मंत्र जापः- अमावस्या तिथि पर मंत्र जाप करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
यज्ञ और हवनः- इस तिथि पर यज्ञ और हवन जैसे धार्मिक कार्यों को भी करते हैं। मंत्र जप से मन को शांति मिलेगी।
ज्येष्ठ अमावस्या पर 2023 पर करें ये ज्योतिषीय उपाय
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन नीम के पेड़ की छाया में बैठने से शनि देव के प्रति आपकी भक्ति भाव बढ़ेगी।
आज के दिन शनि पूजा के साथ-साथ शनि मंत्र ‘‘ ओम प्रां, प्रीं, प्रौं, सः शनैश्चराय नमः का जाप करें।
पित तर्पण के साथ-साथ पूर्वजों के लिए अन्न और जल भी अर्पित करें।
अमावस्या के दिन शनि देव की मूर्ति का तेल से अभिषेक करें इससे नौकरी में सफलता प्राप्त होगी।
शनि जयंती का ज्योतिषीय महत्व
इस बार ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जायेगी जिसके कारण धार्मिक महत्ता के साथ-साथ ज्योतिषीय महत्व भी बढ़ जाता है।
अमावस्या तिथि के अनुसार जिस राशि में शनि बैठा हो उस राशि के जातकों को उस राशि के अनुसार उपाय करना चाहिए क्योंकि शनि पूजा और उपायों का प्रभाव इस तिथि पर अधिक रहता है।
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अमावस्या पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करें
शनिदेव के उपाय करते समय ‘‘ओम श्रीं हृीं क्लीं श्रीं शनैश्चराय नमः’’ मंत्र का जाप करें।
भगवान विष्णु के ‘‘ओम नमो नारायणाय’’ मंत्र का जाप करें।
ल्क्ष्मी माता के उपाय करते समय ‘‘ओम ऐं हृीं क्लीं श्री नमः’’ मंत्र का जाप करें।
भगवान शिव के ‘‘ओम नमः शिवाय’’ मंत्र का जाप करें।
‘‘ओम शं शनैश्चराय नमः’’ मंत्र का जाप करें।
ज्येष्ठ अमावस्या 2023 शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या 19 मई दिन शुक्रवार को शोभन योग में मनाई जायेगी। अमावस्या तिथि का प्रारम्भ 18 मई को रात्रि 9 बजकर 42 मिनट से हो रहा है तथा इसका समापन 19 मई को रात्रि 9 बजकर 22 मिनट पर होगा।