दशहरा 2024 पर कहां जलाने चाहिए दीये?
दशहरा पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस पावन पर्व पर जहां एक ओर भगवान श्री राम की पूजा और रावण दहन की परंपरा निभाई जाती है, वहीं दीये जलाना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। यह न केवल घर में रोशनी और सकारात्मक ऊर्जा लाता है, बल्कि देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का भी उत्तम माध्यम है। आइए जानते हैं कि इस दिन दीये कहां, कितने और किस प्रकार के जलाने चाहिए और उनका महत्व क्या है।
दशहरा 2024 पर कहां जलाने चाहिए दीये?
दशहरे के दिन दसों दिशाओं में दीये जलाने की परंपरा है, जो जीवन में हर दिशा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। दस दिशाएं इस प्रकार हैं: पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान कोण (उत्तर-पूर्व), आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व), नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम), वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम), उर्ध्व दिशा (ऊपर की ओर) और अधो दिशा (नीचे की ओर)। इन सभी दिशाओं में दीये जलाने से घर पर सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि बनी रहती है।
कितने दीये जलाएं?
दशहरे पर कुल 16 दीये जलाने की परंपरा मानी जाती है। इनमें से 10 दीये दसों दिशाओं के लिए होते हैं, जो जीवन की हर दिशा में प्रकाश और उन्नति का प्रतीक हैं। इसके अलावा, 5 दीये प्रमुख पेड़-पौधों के नीचे जलाए जाते हैं, जिनमें तुलसी, पीपल, शमी, बरगद और केले का पौधा प्रमुख हैं। इन पौधों को विशेष धार्मिक महत्व दिया जाता है और इनके नीचे दीये जलाने से घर पर सुख-समृद्धि का वास होता है।
इसके साथ ही, एक दीया भगवान श्री राम के समक्ष जलाया जाता है, जो भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रतीक है। इसके अलावा, एक दीया रसोई और एक तिजोरी में भी जलाना शुभ माना जाता है, जिससे घर में धन और भोजन की कमी नहीं रहती।
कौन से तेल के दीये जलाएं?
दशहरा पर जलाए जाने वाले दीयों में प्रयुक्त तेल का भी विशेष महत्व होता है। दसों दिशाओं में जलने वाले दीयों में सरसों का तेल उपयोग करना शुभ माना गया है, जो बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है। पेड़-पौधों के नीचे जलने वाले दीयों में तिल के तेल का उपयोग करना चाहिए, जिससे घर में स्वास्थ्य और समृद्धि का वास होता है।
भगवान श्री राम के समक्ष घी का दीया जलाया जाता है, जो शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। वहीं, रसोई और तिजोरी में अलसी के तेल का दीया जलाने से धन आकर्षित होता है और घर में आर्थिक उन्नति होती है। यह दीये घर की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करने और परिवार में सुख-शांति लाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।
किस समय जलाएं दीये?
दशहरे के दिन दीये जलाने का सही समय भी विशेष महत्व रखता है। भगवान श्री राम के लिए दीया सुबह और शाम पूजा के समय जलाना चाहिए। इसके अलावा, दिशाओं, पेड़-पौधों, रसोई और तिजोरी में दीये जलाने का शुभ समय सूर्यास्त के बाद, संध्या के समय होता है। यह समय अत्यंत शुभ माना जाता है और इस समय दीये जलाने से घर में दोहरा शुभ प्रभाव पड़ता है।
दशहरे पर दीये जलाने का महत्व
दशहरे पर दीये जलाना न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने का भी एक उपाय है। दीयों की रोशनी से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और देवी लक्ष्मी का वास होता है। इसके साथ ही, यह बुरी नजर से रक्षा करता है और जीवन में आर्थिक उन्नति के नए द्वार खोलता है।
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इस प्रकार दशहरे के दिन सही दिशा, संख्या और प्रकार के दीये जलाने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और घर में माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।