12 या 13 दिवाली 2023 में कब है?
दिवाली रोशनी का त्यौहार है। दिवाली का उत्सव गोवर्धन पूजा से प्रारंभ होकर भाईदूज तक चलता है। यह पाँच दिनों का उत्सव है, जिसमें धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे त्योहार मनाए जाते हैं। दिवाली हर साल कार्तिक महीने के 15 वें दिन यानि अमावस्या को मनाई जाती है। कार्तिक माह बहुत पावन होता है कहा जाता है कि इस माह देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं। कार्तिक माह की महिमा को स्वयं भगवान शिव बताते हैं कि इस माह जैसा कोई माह नही है।
क्यों मनाया जाता है दिवाली
दिवाली के दिन ही भगवान विष्णु के सातवें अवतार यानि भगवान राम, रावण को हराने के बाद अयोध्या लौटे थें।
लक्ष्मी माता और गणेश जी की मूर्ति कैसे लें
✨ धन वर्षा करती हुई माता लक्ष्मी
✨ गणेश जी के साथ मोदक और चूहा हो
✨बैठे हुए लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति
✨दोनों मूर्ति अलग-अलग हो
✨खंडित या टूटी हुई मूर्ति न खरीदें
✨दीवाली के दिन उल्लू के स्थान पर कमल या हाथी पर विराजमान माता लक्ष्मी की पूजा करें।
✨धातुओं में चाँदी की लक्ष्मी माता और गणेश जी मूर्ति खरीदना सबसे शुभ है।
मां लक्ष्मी की मूर्ति की उचित दिशा
दक्षिण दिशा में मां लक्ष्मी की फोटो लगाना शुभ नहीं माना जाता है, इससे घर में सुख-समृद्धि की ऊर्जा का प्रवाह बंद हो सकता है और दरिद्रता की स्थिति आ सकती है।
इसके अलावा, मां लक्ष्मी की फोटो को खड़ी अवस्था में दिखाना भी अच्छा नहीं माना जाता है, क्योंकि मां लक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता है और वह एक स्थान पर ठहरना पसंद करती है। इसलिए, मां लक्ष्मी की मूर्ति को उनकी बैठी हुई मुद्रा में स्थापित करना अधिक शुभ माना जाता है।
लक्ष्मी माता की मूर्ति गणपति के दाहिने तरफ क्यों होती है?
लक्ष्मी माता की कोई संतान नहीं है, इसलिए उन्होंने भगवान गणेश को अपना दत्तक पुत्र माना है। पुत्र के साथ माता को दाहिनी ओर बैठना चाहिए, जबकि पति के साथ पत्नी बाईं ओर होती है।
इसलिए लक्ष्मी गणेश की पूजा के दौरान, लक्ष्मी जी को गणपति के दाहिनी ओर बैठाया जाता है।
दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है
माता लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी कहा जाता है। अगर किसी के पास ज्यादा धन और ऐश्वर्य आ जाता है, तो उसमें अहंकार का उदय हो सकता है। अहंकार के कारण धन को संभालने में असमर्थ हो सकते हैं। गणपति जी बुद्धि के देवता हैं। जहां गणपति जी का आशीर्वाद होता है, वहाँ के संकट समाप्त हो जाते हैं और सब कुछ शुभ होता है।
लक्ष्मी गणेश की पूजा कैसे करें
✨ पहले, पूजा स्थल को पूरी तरह से साफ़ करें।
✨ चौकी पर लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करें।
✨ गणेश जी के दाहिनी ओर माता लक्ष्मी की मूर्ति रखें।
✨ पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें और चौकी पर भी थोड़ा गंगाजल डालें।
✨ हाथ में लाल या पीले फूल लेकर गणेश जी की पूजा करें।
✨ गणेश जी को तिलक लगाएं और उन्हें मोदक अर्पित करें।
✨ माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और मां लक्ष्मी के श्री सूक्त मंत्र का पाठ करें।
✨ लक्ष्मी पूजन के मंत्र “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः” और “ॐ श्रीं श्रीयै नमः, ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः” का जाप अवश्य करें।
दीपावली के दिन किन कार्यों को करना वर्जित होता है।
✨ गणेश जी को तुलसी जी का पत्ता बिल्कुल नहीं चढ़ाना चाहिए।
✨ दीपक से दूसरे दीपक को नहीं जलाना चाहिए।
✨ खंडित मूर्ति को पूजा में नहीं रखना चाहिए।
✨ दो शंख एक जैसी बिल्कुल नहीं रखने चाहिए।
✨ तुलसी का पत्ता उस दिन मुँह में नहीं चबाना चाहिए।
लक्ष्मी गणेश पूजा मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा रविवार, नवम्बर 12, 2023 पर
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – शाम 05:38 से शाम 07:36
प्रदोष काल – शाम 05:29 रात्रि से 08:08
वृषभ काल – शाम 05:39 रात्रि से शाम 07:36
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 12, 2023 को रात्रि 02:43
अमावस्या तिथि समाप्त – नवम्बर 13, 2023 को रात्रि 02:55