दुर्गा पूजा अष्टमी के बारे में हम बात करे तो नवरात्रि या दुर्गा पूजा के त्योहार के आठवें दिन को दुर्गाष्टमी या अष्टमी तिथि के रूप में जाना जाता है। हिन्दू धर्म मे महाअष्टमी के इस दिन को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार अष्टमी दो बार आता है एक कृष्ण पक्ष में और जो ऐसा माना जाता है कि कुछ क्षेत्रों में देवी प्रमुख एक दिन माँ दुर्गा के माथे से प्रकट हुई थी और गंदा और का आदमी के दुर्गा पूजा अनुष्ठान के दौर दूसरा शुक्ल पक्ष नायिका था जो दुर्गा के आठ क्रूर रूपों की पूजा की जाती है देवी के यह आठ रूप भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलला- अलग तरह से विख्यात है।
दुर्गा अष्टमी व्रत कथाः-
पौराणिक कथा के अनुसार अष्टमी तिथि के बारे में बात करें तो दुर्गम नाम के एक क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता के कारण तीनो लोकों पर अत्याचार किया था. जिसके कारण स्वर्ग के सभी देवता कैलास छोड़कर चले गये थे। दुर्गम राक्षस को यह वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता उसका वध नही कर सकते, उसके बाद सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव जी से विनती किया कि इस परेशानी का हल निकाले यह सुनने के बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी ने अपनी तीनों ही शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन माँ दुर्गा के इस स्वरुप को जन्म दिया। इसके बाद मां दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार देकर दुर्गम राक्षस के साथ युद्ध करने को भेज दिया गया जिसमे माँ दुर्गा में उस राक्षस का वध कर दिया तभी से दुर्गा अष्टमी की उत्पत्ति हुई।
एक और कथा के अनुसार अष्टमी तिथि के दिन देवी पार्वती के रूप में महागौरी में भगवान शिव जी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए बहुत कठोर तपस्या की थी। एक बार भगवान शिव जी के कहे गये किसी वचन से पार्वती गया जी का मन आहत हो गया जिसके कारण पार्वती जी तपस्या में लीन हो गयी इसी प्रकार वर्षों तक कठोर तपस्या करने के बाद भी जब पार्वती जी नही आयी तों पार्वती जी को खोजते हुए भगवान शिव जी उनके पास पहुंचे। वहाँ पहुंचकर वे पार्वती जी को देखकर आश्चर्य चकित हो गये पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण व्यतीत होता है, उनकी छटा चाँदनी के समान श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौरवपूर्ण का वरदान देते है जिसके कारण वे महागौरी कहलाती है।
दुर्गा अष्टमी शुभ तिथि शुभ मुहूर्तः-
दुर्गा अष्टमी का व्रत 22 अक्टूबर 2023 को मनाया जायेगा।
दुर्गा अष्टमी तिथि प्रारम्भः- 09ः50 मिनट (21 अक्टूबर) 2023
दुर्गा अष्टमी तिथि समाप्तः 08ः00 (22 अक्टूबर 2023)