बात करते हैं यदि देवगुरु बृहस्पति की तो वैदिक ज्योतिष में बृृहस्पति ग्रह को गुरु कहा जाता है। जातक की कुण्डली में बृहस्पति ग्रह को धनु और मीन राशि का स्वामी माना जाता है। इसके अलावा बृहस्पति ग्रह कर्क राशि में उच्च का तथा मकर राशि में नीच का होता है। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है। बृहस्पति ग्रह को सभी ग्रहों में सबसे शुभ ग्रह माना जाता है। सूर्य, चंद्रमा और मंगल ग्रह बृहस्पति के लिए मित्र ग्रह होते हैंऔर बुध इसके शत्रु ग्रह होते हैं। इसके अलावा शनि ग्रह हमेशा इनके लिए उदासीन होते हैं। देवगुरु बृहस्पति को ज्योतिष में आकाश तत्व माना जाता है।
बृहस्पति ग्रह से मिलने वाले गुणों की बात करें तो यह बहुत विशालता, विकास, व्यक्ति की कुण्डली और जातक के जीवन में एक विस्तार का संकेत होता है। बृहस्पति ग्रह को ज्योतिष में सुख-समृद्धि और वैभव, धन, वैवाहिक जीवन, संतान और विवाह के कारक ग्रह माने जाते हैं। जिनकी कुण्डली में गुरु ग्रह हमेशा उच्च भाव में विराजमान होते हैं वे हमेशा ही शुभ और अच्छे फल देते हैं। इसके अलावा दूसरी तरफ कुण्डली में गुरु की दशा कमजोर हो तो ऐसे जातकों के जीवन में विद्या, मान-सम्मान और धन की सदैव कमी रहती है। कुण्डली में गुरू कमजोर होने के कारण जातक को कैंसर, लीवर से सम्बन्धित बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं।
किन परिस्थितियों में देते हैं देवगुरु बृहस्पति जातक को शुभ प्रभाव
देवगुरु बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है वह सभी जातकों को ज्ञान, विद्या और सौभाग्य देने वाला माने जाते हैं।इसके अलावा एक अच्छी सेहत के लिए भी कुण्डली में बृहस्पति ग्रह को अच्छा माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि कुण्डली में ग्रहों की स्थिति अनुकूल नही है तो जातक को मान-सम्मान, धन, वैभव और सम्पत्ति के अभाव का सामना करना पड़ सकता है। नवग्रहों में गुरू के रूप में मान्य बृहस्पति शिक्षा, धन, पारिवारिक जीवन आदि समेत कई चीजों को प्रभावित करते हैं।
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देवगुरु बृहस्पति के कारण भाग्य हमेशा देता है साथ
किसी जातक की जन्मकुण्डली में गुरू की स्थिति मजबूत बनाने के लिए गुरुवार के दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करना चाहिए ऐसा करने से भाग्य का साथ हमेशा रहेगा साथ ही जन्मों जन्मान्तर के सभी पाप नष्ट हो जायेंगे और मृत्यु के बाद उत्तम लोक की प्राप्ति होती हैं। व्यक्ति के जीवन में चल रही समस्या जल्द ही दूर हो जाती है। गुरु ग्रह की मजबूत स्थिति से जातक को हमेशा शुभ फलों की प्राप्ति होती है साथ ही भाग्य का साथ जन्मों तक मिलता है।
धन प्राप्ति के लिए खुलने लगते हैं मार्ग
बृहस्पति ग्रह की शुभता के लिए जातक केले के वृक्ष की जड़ भी धारण कर सकते हैं जिनके विवाह में बाधा आ रही है उनके लिये भी यह कारगार उपाय माना गया है। बृहस्पति ग्रह की शुभता प्राप्त करने के लिए महिलाएं अपने दायें हाथ में तथा पुरुष अपने बायें हाथ में इसे धारण कर सकते हैं। केले की जड़ को पहनने से जातक के लिए धन प्राप्ति के नये-नये मार्ग खुलते रहते हैं साथ ही घर में सुख समृद्धि भी हमेशा बढ़ने लगती है।
करियर क्षेत्र से सम्बन्धित समस्याओं का होता है अंत
यदि किसी जातक की जन्मकुण्डली में देवगुरु बृहस्पति अशुभ स्थिति में हो तो उन्हें अनुकूल करने के लिए, गुरु, पिता, तथा अपने भाई-बहन का सम्मान करना चाहिए साथ ही गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करके उन्हें दान-दक्षिणा अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से शिक्षा और करियर क्षेत्र में आ रही बाधाओं से आप मुक्त होंगे साथ ही आप अपने करियर को आगे बढ़ा पाने में भी सफल होंगे।
पारिवारिक सम्पत्ति को लेकर होगी अचानक से वृद्धि
यदि आप भी गुरु ग्रह के शुभ फलों को प्राप्त करके अपने जीवन में कुछ अच्छा और नया करना चाहते हैं तो इनके शुभ फलों की प्राप्ति के लिए आप किसी योग्य ज्योतिष की सलाह से पुखराज धारण कर सकते हैं यदि आप पुखराज रत्न खरीद पाने में असमर्थ हैं तो उसका उपरत्न सुनहला भी धारण कर सकते हैं। यदि आप पुखराज या फिर उसका उपरत्न धारण कर लेते हैं तो इससे आपको मान-सम्मान शिक्षा तथा पारिवारिक संपत्ति में दिन प्रतिदिन वृद्धि होगी साथ ही यदि लम्बे समय से विवाह में रुकावटें आ रही थी तो वह खत्म होने के साथ-साथ व्यापार से सम्बन्धित समस्याएं भी खत्म हो जायेंगी।
करें ऐसा काम सभी देवी-देवता होंगे प्रसन्न
यदि आप देवगुरु बृहस्पतिदेव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो ऐसे मे आपको देवगुरु बृहस्पति के तांत्रिक मंत्रों का जाप आवश्य ही करना चाहिए साथ ही ओम बृ बृहस्पतये नमः का जाप भी श्रद्धा पूर्वक कर सकते हैं।
देवानां च ऋषीचां च गुरु कांचसंनिभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
बृहस्पति ग्रह को बलवान बनाने के उपाय
☸यदि किसी जातक की जन्मकुण्डली में बृहस्पति ग्रह अपनी कमजोर स्थिति में होकर अच्छे फल नही दे रहा है तो ऐसे में बृहस्पति ग्रह की शुभता पाने के लिए गुरुवार का व्रत कम से कम 11 बार तथा अधिक से अधिक 43 बार लगातार रह सकते हैं ऐसा करने से देवगुरू बृहस्पति की कृपा प्राप्त होने लगेगी।
☸कुण्डली में उपस्थित बृहस्पति ग्रह की अशुभता को दूर करने के लिए प्रतिदिन या फिर गुरुवार के दिन जल में विशेष रूप से हल्दी या फिर केसर डालकर स्नान अवश्य करना चाहिए इसके अलावा नहाने के बाद नाभि में केसर का तिलक अवश्य ही लगाना चाहिए।
☸कुण्डली में उपस्थित बृहस्पति ग्रह की बलवान बनाने के लिए तथा इनकी शुभता पाने के लिए भूलकर भी कभी किसी साधु सन्तों का अपमान नहीं करना चाहिए बल्कि हर समय उनका मान-सम्मान कर उनकी सेवा तथा दान दक्षिणा से उन्हें प्रसन्न करना चाहिए इसके अलावा घर में उपस्थित देवगुरु बृहस्पति की तस्वीर पर पीला कनेर का पुष्प चढ़ाकर श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा करनी चाहिए
☸कुण्डली में उपस्थित बृहस्पति ग्रह के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए पीले रंग के कपड़ों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिए जैसे-परदे, चादर, इत्यादि यदि आप प्रतिदिन पीले रंग के वस्त्र नहीं पहन सकते हैं तो पीले रंग के रूमाल या फिर टाई का प्रयोग भी आप प्रतिदिन कर सकते हैं।
☸कुण्डली में उपस्थित बृहस्पति ग्रह को बलवान बनाने के लिए प्रतिदिन या फिर जब भी संभव हो सके किसी तोते को चने की दाल खिलाएं, इन उपायों को करने से बृहस्पति देव की अत्यधिक शुभता प्राप्त होती है।
☸बृहस्पति देव की शुभता पाने के लिए वैदिक तथा तांत्रिक गुरु मंत्र का जाप तथा कवच एवं स्त्रोत का पाठ अथवा भगवान दत्तात्रेय के तांत्रिक मंत्रों का अनुष्ठान करने से लाभ की प्राप्ति होती है तथा कुण्डली में बृहस्पति बलवान होते हैं।
☸यदि लम्बे समय से चल रही स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्या दूर नही हो रही है तो ऐसे में बृहस्पतिवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा करने के बाद भगवान सत्यनारायण जी की कथा या फिर बृहस्पतिवार के दिन की कथा सुनना बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है।
☸गुरुवार के दिन गोमती चक्र, केसर या हल्दी का टुकड़ा अपने पर्स में रख सकते हैं इससे आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी।