प्रत्येक वर्ष जब सूर्य अपनी राशि से धनु राशि मे गोचर करता है तो यह स्थिति धनु संक्रान्ति कहलाती है। सूर्य का परिवर्तन राशियों को किसी न किसी रुप से प्रभावित करता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह संक्रान्ति शुभ नही मानी जाती है। इस संक्रान्ति को दक्षिण भारत में धनुर्मास भी कहा जाता है। इसके अलावा इसे पौष संक्रान्ति के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्यदेव की आराधना की जाती है। इस दिन उपासक गंगा, यमुना, गोदावरी जैसी पवित्र नदियों मे स्नान करते है। ऐसा माना जाता है ऐसा करने से बुरे कर्म या पापों से मुक्ति मिलती है। ओड़ीसा मे यह त्यौहार बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन ओड़ीसा वासी मीठे में मीठाभात बनाते है और भगवान जग्गनाथ को भोग लगाते है। उसके बाद सभी मे प्रसाद वितरण करते है।
धनु संक्रान्ति की पूजा विधिः-
☸ सर्वप्रथम प्रातःकाल उठकर स्नान आदि करने के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
☸ जल चढ़ाने के बाद धूप एवं फूल आदि अर्पित करके भोग लगाएं।
☸ सूर्य भगवान को भोग लगाने के बाद श्रद्धालुओं मे मीठीभात का प्रसाद वितरण करें।
☸आज के दिन मुख्य रुप से भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़े।
☸ भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते पर फल, सुपारी, तुलसी, मेवा आदि का भोग लगाएं।
☸ आज के दिन माता लक्ष्मी, महादेव एवं ब्रहमा जी की आरती करें।
☸ आरती करने के बाद चरणामृत का प्रसाद सभी में बांटे।
धनु संक्रान्ति शुभ तिथिः-
इस वर्ष 2022 में धनु संक्रान्ति 16 दिसम्बर दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा। संक्रान्ति तिथि का आरम्भ 16 दिसम्बर को प्रातः 10ः11 पर हो रहा है तथा तिथि का समापन 16 दिसम्बर शाम 03ः42 मिनट पर होगा।