हम सभी बेल वृक्ष की महिमा से भली-भाँति परिचित है। भगवान शिव का जितना महत्व धार्मिक ग्रंथों मे मिलता है उतना ही बेल के वृक्ष का भी है। पत्तियों में बेलपत्र की पत्तियों को सबसे पवित्र एवं शुभ माना जाता है। लगभग सभी शिव पूजा में बेल पत्र का उपयोग किया जाता है यह बेलपत्र भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है तथा पूरे जीवन शिव जी का आशीर्वाद बना रहता है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
☸ शिवपुराण में कहा गया है कि बेल वृक्ष पर माता लक्ष्मी का वास होता है। जो जातक इस वृक्ष की पूजा करते हैं उनके घर कभी भी धन की कमी नही होती है तथा अन्न में वृद्धि होती है। बेल वृक्ष और सफेद आकड़े के वृक्ष को साथ में लगाने से अच्छे लाभ मिलते हैं। घर-परिवार में रिश्ते मजबूत होेते है। कई मान्यताओं के अनुसार बेल पेड़ के स्पर्श मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। ‘‘दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्, अघोरपापसंहारं एक बिल्वं शिवार्पणम्’’
☸ शिव पुराण के अनुसार सोमवार के दिन बेल पत्र नही तोड़ना चाहिए साथ ही जब भी बेलपत्र तोड़े तो इस बात का पूर्ण ध्यान रखें कि बेल पत्र तोड़ते समय कोई टहनी या डाली न टूटे इसस पाप लगता है।
☸ ऐसा कहा जाता है कि रविवार और द्वादशी के दिन बेल पेड़ की पूजा करने से ब्रह्महत्या जैसे महापापों से मुक्ति मिलती है। बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग या शिव पूजा करने से जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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☸ अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए घर में बेल का पेड़ लगाएं लेकिन इस वृक्ष को घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाएं इससे मान-सम्मान बढ़ता है और उत्तर-दक्षिण में लगाने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है तथा घर के मध्य में लगाने से जीवन में मधुरता का आगमन होता है।
☸ कई धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि बेल वृक्ष की उत्पत्ति मां पार्वती के पसीने से हुई थी और यही कारण है कि इस पेड़ पर माता लक्ष्मी के सभी रुपों का वास होता है। बेल वृक्ष के जड़े में गिरजा, तनों में माहेश्वरी , शाखाओं में दक्षिणायनी, पत्तियों में मां पार्वती, फलों में मां कात्यायनी, फूलों में गौरी और बेल के समस्त पेड़ में मां लक्ष्मी जी का वास होता है।
☸ इसके अलावा बेल वृक्ष लगाने से वंश में वृद्धि होती है एवं इस पेड़ को काटने से मनुष्य समस्त दुखों और पापों से घिर जाता है साथ ही उसके वंश का नाश होता है।