नवरात्रि के आठवें दिन माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है । माँ महागौरी का रंग श्वेत होने के कारण उन्हे श्वेतम्बरधारा भी कहा जाता है । माँ महागौरी की पूजा करने से धन व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है माँ महागौरी के ऊपरी दहिना हाथ अभय मुद्रा में रहता है और उनके निचले हाथ में त्रिशुल रहता है माँ के उपर वाले बाए हाथ में डमरू तथा नीचे वाला हाथ शांत मुद्रा में रहता है ।
माँ महागौरी का पूजन मुहूर्त:-
ब्रहा मुहूर्त प्रात: 04ः32 से प्रात: 05ः17 तक
अभिजित मुहूर्त: प्रात: 11ः57 से दोपहर 12ः48 तक ।
विजय: दोपहर 02ः30 से दोपहर 03ः20 तक
गोधूलि मुहूर्त: सायं 06ः31 से सायं 06ः55 तक
रवि योग: प्रात: 04ः31 से प्रात: 06ः01 तक ।
माँ महागौरी का पूजन विधि:-
💥 प्रात: काल स्नान आदि करने के बाद साफ – सुथरे वस्त्र धारण करें ।
💥 तत्पश्चात माँ को गंगाजल से स्नान कराएं ।
💥 माँ महागौरी को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें ।
💥 माँ को रोली / कुमकुम आदि लगाएं ।
💥 माँ महागौरी को मिष्ठान और फल का भोग लगाएं ।
💥 माता महागौरी को काले चने का भोग अवश्य लगाएं ।
💥 तत्पश्चात माँ की आरती भी करें ।
माँ महागौरी के पूजा का महत्वः-
माँ के आठवें शक्ति महागौरी की पूजा करने से सभी ग्रह दोष दूर हो जाते है, माँ महागौरी के आराधना करने से दाम्पत्य जीवन, व्यापार, धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है माँ महागौरी के पूजा – अर्चना से भक्त के सभी मनोकानमा पूर्ण होती है ।
माँ महागौरी का मंत्र
श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बराधरा शुचिः ।
महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा ।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता
नमस्त्स्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
महागौरी स्त्रोत
सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
महागौरी कवच
ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥
माता महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी सम्भव हो जाता है, समस्त पापो का नाश होता है और सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
माँ महागौरी का भोग:-
माँ महागौरी को नारियल का भोग लगाया जाता है, मान्यता यह भी यह है कि अष्टमी के दिन ब्राहमणों को नारियल दान देने से माता महागौरी निःसंतानों के सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है ।