हिन्दू पंचाग के अनुसार इस वर्ष निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जायेगा। इसके साथ ही इसे भीमसेनी एकादशी एवं पांडव एकादशी के नाम से भी जाना है। इस एकादशी व्रत में पानी पीना वर्जित माना गया है। इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। सभी व्रतों में निर्जला एकादशी को सबसे कठिन व्रत माना जाता है। क्योकि ज्येष्ठ माह में भीषण गर्मी के कारण अधिक प्यास लगती है और इस व्रत मे पानी पीना वर्जित होता है। निर्जला एकादशी के दिन जल से भरा कलश दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और घर परिवार में सुख समृद्धि का आगमन होता है।
निर्जला एकादशी व्रत की कथा- निर्जला एकादशी व्रत की कथा रोमांचक एवं रहस्यपूर्ण है। कहा जाता है कि जब महान ऋषि वेदव्यास जी ने पांडवो को धर्म काम अर्थ और मोक्ष आदि का ज्ञान कराने वाली एकादशी का व्रत करने को कहा तो भीम जी ने कहा कि पितामह आपने तो प्रति पक्ष एक दिन का ही व्रत रखने को कहा है और मै एक दिन क्या एक समय भी भोजन किये बिना नही रह सकता हूं। मेरे पेट में वक्र नाम की अग्नि है। जिससे शांत करने के लिए मुझे एक दिन में कई बार एवं कई लोगो के बराबर भोजन करना पडता है। इस व्रत को करने से मै तो वंचित रह जाऊंगा तभी पितामह ने भीम की समस्या का हल बताते हुए कहा कि धर्म की सबसे बड़ी यह विशेषता है कि वह सबको धारण करने के साथ-साथ सबको सहज साधन भी उपलब्ध कराता है और आप ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एक ही एकादशी का व्रत करे इससे आपको इस पर्व की सभी एकादशियों का लाभ प्राप्त होगा और आप निश्चित सुुख समृद्धि यश एवं मोक्ष की प्राप्ति करेंगे।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्वः- निर्जला एकादशी को हिन्दू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है। इस एकादशी को पूरे वर्ष पड़ने वाली एकादशियों के बराबर माना जाता है। इस व्रत को करने से आपको सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। आपके धन सम्पत्ति में वृद्धि होती है। कार्य-व्यवसाय में तरक्की के योग बनते है। निर्जला एकादशी के दिन व्रत प्रारम्भ से लेकर व्रत के पारण तक पानी नही पीना होता है।
निर्जला एकादशी पूजा विधि-
निर्जला एकादशी का व्रत पुरुष एवं महिलाए दोनो ही कर सकते है।
इस दिन व्रत में आपको भगवत गीता का पाठ करना चाहिए।
तत्पश्चात ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जान करते हुए सभी लोगो को पानी पिलाना चाहिए।
सम्भव हो तो सभी धर्मो के लोगो को भगवत गीता का वितरण करना चाहिए। जिससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
निर्जला एकादशी मंत्रः-इस दिन पूरे भारत में एकादशी व्रत को धूम-धाम से उत्साह के साथ मनाया जाता है और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। निर्जला एकादशी के साथ आप सभी एकादशियों पर ऊँ नमों भगवते वासुदेवाय नामक मंत्र का जाप करे एवं भगवत गीता अवश्य पढ़े।
निर्जला एकादशी व्रत आरतीः-
निर्जला एकादशी के दिन क्या करे दानः- इस दिन अन्न दान, छाता दान, बिस्तर दान एवं वस्त्र दान का अधिक महत्व बताया गया है। इसके अलावा इस दिन चने एवं गुड़ का दान करे तथा जूता, छाता, पंखा का दान करना भी शुभ होता है।
निर्जला एकादशी के दिन न करे ये कामः-
एकादशी के दिन चावल, नमक, पान इत्यादि का सेवन न करें।
साथ ही दुसरो के घर इस दिन भोजन नही करना चाहिए।
निर्जला व्रत का संकल्प लेने के बाद पानी एवं अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन करे।
निर्जला एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्तः-
एकादशी तिथि प्रारम्भः- 10 जून 2022 को प्रातः 07ः25 से
एकादशी तिथि समापनः- 11 जून 2022 को 05ः45 तक
पारण का समयः- 11 जून दोपहर 01ः44 से शाम 04ः32 तक