नैऋत्याभिमुखी भवन के शुभ अशुभ परिणाम

वास्तु शास्त्र में दक्षिण पश्चिम दिशा को नैऋत्य कोण के रुप में भी जाना जाता है। इस दिशा का स्वामी राहु के राहु को एक छायाग्रह माना गया है यह अति प्रभावशाली एवं शक्तिशाली दिशा होती है। यहां इस दिशा में विद्यमान किसी प्रकार का दोष अन्य वास्तु समस्त नैऋत्य कोण आपके जीवन के लिए बेहद शुभ होता है। इस दिशा कोण में भवन निर्माण होने पर उसके गृह स्वामी, गृहिणी तथा ज्येष्ठ पुत्र पर प्रभावी होंगे अचानक मरण हत्या, आत्म हत्या, भूत प्रेत एवं प्राकृतिक विपदा के रुप में नैऋत्य के अशुभ प्रभाव प्रकट होते है दक्षिण-पश्चिम सड़को वाले स्थल को नैऋत्य ब्लाक कहते है वास्तु बल हो तो सभी ब्लाकों की अपेक्षा उत्तम कहा जाता है। नैऋत्य कोण में पृथ्वी तत्व की प्रमुखता है इसलिए इस स्थान को ऊंचा और भारी रखना चाहिए नैऋत्य दिशा की भूमि नीची हो तो वह घर के लोगो के भय के साथ धन सम्पत्ति नाशक होती है। दफ्तर में कैश काउंटर मशीनें आदि इस दिशा में रख सकते है। इस दिशा में गड्डे, बोरिंग, कुएं, पूजा घर, अध्ययन कक्ष इत्यादि नही होने चाहिए।

शुभ परिणामः- तामसिक ऊर्जा से युक्त इस दिशा की गति हीनता के गुण के चलते समय शयन कक्ष बनाने के लिए यह दिशा उत्तम है, इस दिशा में बने शयन कक्ष मे सोने वाले शख्स के कार्य कौशल मे निरन्तर वृद्धि होती है तथा उसके पारिवारिक रिश्ते भी बेहतर बने रहते है। नैऋत्य घर के मुखियां के बेडरुम के लिए अच्छा स्थान है हालांकि बच्चों के बेडरुम के लिए यह सर्वश्रेष्ठ स्थान नही है। इस दिशा को भारी रखना आवश्यक होता है। अतः इस जगह पर भारी सीढ़ियों की व्यवस्था की जा सकती है हालांकि इस बात का अवश्य ध्यान रखें की नैऋत्य कोण में निर्मित सीढ़ियां क्लाक घूमती हुई हो यह आपके करियर के लिए बहुत शुभ सिद्ध होगी।

नैऋत्य दिशा में किचन का निर्माण शुभः- इस दिशा में किचन का होना व्यक्ति के व्यवसायिक जीवन में अस्थिरता का कारण बनता है ऐसे घर में रहने वाले व्यक्ति अपनी पूरी योग्यता के अनुरुप काम नही कर पाता है अतः यहा पर किचन का निर्माण करने से बचें। इस दिशा के लिए जल एक विरोधी तत्व है और साथ ही अंडरग्राउंड वाटर टैंक के लिए किया जाने वाला गड्डा भी नैऋत्य में नकारात्मक परिणाम देता है। यह आपके रिश्तो और करियर पर अशुभ प्रभाव डालता है अतः ठकी इस दिशा में तो अंडरग्राउंड वाटर टैंक बनाए और न ही सेफ्टि टैंक बनाए नैऋत्य भाग ऊंचा हो तो धन लाभ और सुख प्राप्त होगा नैऋत्य भाग ऊंचा हो तो धन लाभ और सुख प्राप्त होगा। नैऋत्य में ऊंचे भवन अथवा गोल झोपड़ी हो तो शुभ परिणाम होंगे। नैऋत्य दिशा में स्थित चबूतरे ग्रह की अपेक्षा उन्नत हो तो अर्थ लाभ होगा।

अशुभ परिणामः- नैऋत्य का कोण प्रत्येक स्थल में घर के अनुरुप होना चाहिए अन्यथा दुष्परिणाम का शिकार होंगे। दक्षिण नैऋत्य मार्ग प्रहार से उस घर की महिलाएं भयंकर बीमारियों से पीड़ित होंगी इसके साथ नैऋत्य में कुआं हो तो आत्म हत्या दीर्घ रोग अथवा मृत्यु की संभावना होती है। इस दिशा के गृह के लिए दक्षिण दिशा में ढलाऊ बरामदों के कारण स्त्रियों तथा पश्चिमी ढलाऊ बरामदो के कारण पुरुष आर्थिक कठिनाईयों तथा लकवें का शिकार हो यातनाएं भोगेंगे। द्वार पश्चिमी दिशा में या दक्षिण दिशा मे फाटक या द्वार, गृह अथवा बाहरी दीवारों मे हो तो घर में शत्रुता बढ़ेगी और ऋण का भार भी बढ़ सकता है परन्तु पूरब-उत्तर में द्वार हो तो दक्षिण-पश्चिम में भी हो सकता है। नैऋत्य गृह के लिए दक्षिण पश्चिम में खाली स्थान हो तो पूरब एवं उत्तर में खाली स्थल न हो तो पूर्व उत्तर में खाली स्थल न हो तो पूर्व उत्तर को हद बनाकर गृह का निर्माण करवा ले तो आर्थिक नुकसान के साथ पुत्र की हानि होगी और वह गृह स्त्री सम्पत्ति बन जाएगा। नैऋत्य कक्ष को शयन कक्ष अथवा भण्डार घर के रुप में इस्तेमाल करना चाहिए परन्तु स्नानगार या अन्य स्थान के रुप में  उपयोग नही करना चाहिए।

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