पापकुंशा एकादशीः-
हिन्दू पंचाग के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पापकुंशा एकादशी मनाया जाता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के पद्मनाम स्वरुप की पूजा की जाती है। मनचाहे फल की प्राप्ति के लिए यह व्रत शुभ माना जाता है स्वयं भगवान विष्णु ने यह बताया है कि यदि कोई व्यक्ति गलती से भी पाप कर लेता है तो उसे यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इसके अलावा जो भी व्यक्ति इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करते है उनको सभी पापों से मुक्ति मिलती है तथा जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होगा और मोक्ष की प्राप्ति होगी।
पापकुंशा एकादशी की पूजन सामग्रीः-
पापकुंशा एकादशी के लिए निम्न पूजन सामग्री का उपयोग करें पीले पुष्प, नारियल, अक्षत, तुलसी, तिल, ऋतु फल, भोग के लिए मिठाई, तुलसी की पत्तियां, चंदन, घी, पंचामृत, धूप, भगवान के पीले वस्त्र एवं आसन, पुष्पमाला, शालिग्राम भगवान की मूर्ति या प्रतिमा इत्यादि।
पापकुंशा एकादशी व्रत का महत्वः-
धार्मिक एवं पौराणिक दोनों मान्यताओं के अनुसार पापकुंशा एकादशी बहुत महत्वपूर्ण है। इस एकादशी पर श्री कृष्ण और राधा रानी की भी पूजा करनी चाहिए। पापों से मुक्ति पाने के लिए पापकुंशा एकादशी का व्रत सबसे शुभ है। भगवान विष्णु के अनुसार हजारो वर्षों के तपस्या के बाद भी उतना फल नही प्राप्त होता है जितना पापकुंशा एकादशी का व्रत करने से होता है। इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। ऐसा करने से आपको जीवन में सभी सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है तथा परिवार में भी सुख-शांति बनी रहती है।
पापकुंशा एकादशी के अनुष्ठानः-
☸पापकुंशा एकादशी के दिन निर्जल अथवा मौन व्रत रखना शुभ माना जाता है।
☸एकादशी के दिन प्रातः काल स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
☸पापाकुंशा एकादशी की सभी अनुष्ठान दशमी तिथि के शाम से ही प्रारम्भ हो जाते है।
☸इस पवित्र दिन पर भक्तों का सात्विक भोजन करना चाहिए तथा सूर्यास्त से पहले ही भोजन करें।
☸पापकुंशा एकादशी के दिन भक्तों को कोई भी बुरा काम नही करना चाहिए तथा झूठ बोलने से भी बचें।
☸द्वादशी की पूर्व संध्या पर व्रत पूर्ण होता है इसलिए भक्तों को अपना उपवास तोड़ना चाहिए।
☸एकादशी के दिन सोना नही चाहिए जितना भी समय हो भगवान के मंत्रों का जाप करें तथा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
☸द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा दान-दक्षिणा भी देें।
पापकुंशा एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्तः-
पापकुंशा एकादशी का व्रत वर्ष 2023 में 25 अक्टूबर दिन बुधवार को देखा जाएगा। एकादशी तिथि का प्रारम्भ 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट से होगा तथा एकादशी का समापन 25 अक्टूबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर खत्म होगा।
पापकुंशा एकादशी व्रत विधिः-
☸एकादशी का व्रत करने वाले उपासकों को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
☸संकल्प लेने के पश्चात घट स्थापना करें तथा उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
☸मूर्ति रखने के पश्चात गंगाजल से शुद्ध करें।
☸रोली, अक्षत लगाकर भगवान विष्णु की आराधना करें तथा सफेद रंग के पुष्प भी अर्पित करें।
☸अब भगवान के समक्ष देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान की आरती करें तथा भोग लगाएं।
☸उसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें तथा कथा भी सुनें।
☸व्रत के दूसरे दिन गरीबों में दान करके व्रत का पारण करें।
विशेषः-
इस व्रत का पालन दशमी तिथि से ही आरम्भ कर देना चाहिए। दशमी तिथि को गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल नही खाना चाहिए क्योंकि इन सातों धान्यों की एकादशी के दिन पूजा किया जाता है।