Shivling पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व

शिवपुराण के अनुसार सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में समस्त कष्ट दूर होकर सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले शिवसाधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है एवं भगवान शिव के आशीर्वाद से धन-धान्य, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अंत में इस पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

“अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम। 

सध:कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:।”

इस श्लोक के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तत्क्षण (तुरंत ही) घर की पुत्रवधु शिवशंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है। यह पूजा इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है। जो दम्पति संतान प्राप्ति के लिए कई वर्षों से तड़प रहे हैं, उन्हें पार्थिव लिंग का पूजन अवश्य करना चाहिए।

युगों में शिवलिंग के प्रकार

भगवान शिव कहते हैं कि उनका हर युग में अलग-अलग रूप है।

🔅 सतयुग: मणि, हीरा जवाहरात के शिवलिंग का पूजन होता था।

🔅 त्रेता युग: सोने का शिवलिंग लोग घर-घर में रखते थे।

🔅 द्वापर युग: पारद के शिवलिंग का पूजन होता था।

🔅 कलयुग: पार्थिव (मिट्टी) शिवलिंग श्रेष्ठ है।

मिट्टी के शिवलिंग से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं जैसे नदियों में गंगा, वैष्णवों में भगवान भोलेनाथ, अर्चन में अच्युत भगवान श्रीकृष्ण श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार शिवपूजन में पार्थिव शिवलिंग श्रेष्ठ माना जाता है।

पूजा का महत्व

“लिंग थापि विधिवत करि पूजा। 

शिव समान प्रिय मोहि न दूजा।।”

 

“नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम्। 

नगेन्द्रकन्या वृषकेतुनाभ्यां नमो नमः शंकरपार्वतीभ्याम्।।”

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Shivling पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व 1Shivling पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व 2

“विश्वनाथ मम नाथ पुरारी। 

त्रिभुवन महिमा विदित तुम्हारी।।”

 

“चर अरु अचर नाग नर देवा। 

सकल करहिं पद पंकज सेवा।।”

 

“प्रभु समरथ सर्वग्य शिव सकल कला गुन धाम। 

जोग ज्ञान वैराग्य निधि प्रनत कलपतरु नाम।।”

इस चर अचर संसार में भगवान शिव ही हैं जिन्हें सच्चे अर्थों में भगवान कहा जा सकता है। पार्थिव शिवलिंग की पूजा के द्वारा व्यक्ति अपने जीवन में सभी सुखों को प्राप्त कर सकता है और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।

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