हिन्दू पंचाग के अनुसार हिन्दू वर्ष का सबसे अंतिम माह फाल्गुन है। यह माह फरवरी और मार्च में आता है। यह पूर्णिमा हिन्दू धर्म मे विशेष महत्व रखता है। इस दिन होली और लक्ष्मी जयंती भी मनाई जाती है। पूर्णिमा पर उपवास भी किया जाता है जो सूर्योदय से आरम्भ होकर चन्द्रोदय तक रहता है। इस शुभ अवसर सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है। यह व्रत करने से मनुष्य के दुखो का नाश होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी और होलिका राक्षसी को भस्म किया था।
फाल्गुन पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन पूर्णिमा 07 मार्च 2023 दिन मंगलवार को मनाया जायेगा।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भः- 06 मार्च 2023 को शाम 04ः15 से
पूर्णिमा तिथि समापनः- 07 मार्च 2023 को 6 बजकर 10 मिनट पर होगा।
फाल्गुन पूर्णिमा व्रत का महत्वः-
इस पूर्णिमा पर जो भी भक्त पूरी श्रद्धा भक्ति भाव से उपवास रखते है तथा विष्णु जी की आराधना करते है। उसके सभी कष्ट दूर हो जाते है। भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है। फाल्गुनी पूर्णिमा पर फाल्गुनी नक्षत्र को सबसे समृद्ध माना जाता है।
फाल्गुन पूर्णिमा पूजा विधिः-
☸ सबसे पहले नियमपूर्वक स्नान करें तथा सफेद वस्त्र पहनकर आचमन करें।
☸ उसके बाद ओम नमो नारायण मंत्र का जाप करें।
☸ चकोर वेदी पर हवन के लिए अग्नि स्थापित करें तेल, घी, पूड़ी आदि की आहूति दें।
☸ सभी प्रकार की लकड़ियों और उपलों को इकट्ठा करें।
☸ मंत्रों द्वारा अग्नि में विधिपूर्वक हवन करके होलिका पर लकड़ी डालकर उसमें आग लगा दें।
☸ जब आग की लपटे बढ़ने लगे तो उसकी परिक्रमा करते हुए उत्सव मनाएं।
☸ आज के दिन स्नान-दान का बहुत महत्व होता है।
फाल्गुन पूर्णिमा की कथाः-
नारद पुराण में फाल्गुन पूर्णिमा की कथा का उल्लेख मिलता है। यह कथा राक्षस हिरण्य कश्यपऔर उसकी बहन होलिका से सम्बन्ध रखती है। होलिका भगवान विष्णु के भक्त हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद को जलाने के लिए अग्नि स्नान करने बैठी लेकिन प्रभु की कृपा से भक्त प्रह्लाद स्वयं सुरक्षित रहें परन्तु होलिका भस्म हो गई। इसी कारण पुरातन काल से ही फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लकड़ी एवं उपलों से होलिका का निर्माण किया जाता है और शुभ मुहूर्त मे ही होलिका दहन किया जाता है।।