फिरोजा रत्न को टरक्वाइटज स्टोन के नाम से भी जाना जाता है। यह रत्न हल्के नीले रंग से गहरे हरे नीले रंग का होता है। रत्न शास्त्रों मे कई रत्नों की सम्पूर्ण जानकारी दी गई है और यह रत्न बहुत ही प्रभावी होते है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यदि रत्नों को सही तरीके से पहना जाए तो जातक की किस्मत बदल जाती है। इन्हीं मे से एक प्रमुख रत्न फिरोजा को भी माना जाता है। गहरे आसमानी रंग का ये रत्न गुरु का प्रतीक माना जाता है। जिन लोगो को फिरोजा सूट करता है उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होती है। उनके भाग्य की उन्नति होती है। रत्न शास्त्रों में फिरोजा रत्न को बहुत महत्व दिया गया है। इस रत्न को जीवन में सफलता दिलाने वाला रत्न कहा गया है।`
फिरोजा रत्न के फायदे
यह रत्न आसमानी रंग का होता है और गुरु से सम्बन्धित है। यह रत्न धारण करने से कुण्डली में गुरु की स्थिति को बल मिलता है। इसके अलावा फिरोजा रत्न से केतु का दुष्प्रभाव भी कम होता है। शास्त्रों मे ऐसा माना जाता है कि जो इस रत्न को धारण करता है, उसके ज्ञान और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। जो लोग लम्बे समय से नौकरी-व्यवसाय में परेशानियों का सामना कर रहे हैं उन्हें यह रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि गुरु ग्रह अशुभ हो या आपके पक्ष मे न हो तो दाम्पत्य जीवन में मनमुटाव और प्रेम-विवाह मे भी परेशानियां आती है। ऐसे मे जातकों को फिरोजा रत्न धारण करना चाहिए। यह रत्न हमारे जीवन को सुधारने और कई रोगों से लड़ने में मदद करता है।
फिरोजा रत्न धारण करने का सही तरीका
रत्न शास्त्रों के अनुसार फिरोजा रत्न को सोने या तांबे की धातु मे बनवाकर पहनना चाहिए। लेकिन इस रत्न को धारण करने से पहले दूध और गंगाजल के मिश्रण में डालकर शुद्ध कर लेना चाहिए। इस रत्न को गुरुवार या शुक्रवार के दिन पहना जाता है। इस रत्न को किसी भी गुरुवार के दिन शुक्ल पक्ष में चांदी की धातु मे जड़वाकर दाई हाथ की तर्जनी या अनामिका उंगली मे पहनना चाहिए। इसके अलावा आप इसे पेंडेट के रुप में भी पहन सकते है।
पहनने की विधि
गुरुवार के दिन सुबर उठकर स्नान करें और घर के पूजन स्थल में बैठ जाए उसके बाद एक कटोरी में गंगाजल तुलसी की कुछ पत्तियां, गाय का कच्चा दूध, शहद एवं घी डालें। अब उसमे फिरोज रत्न को डालें। उसके बाद ओम ग्रां, ग्रीं, ग्रं, साः गुरुवे नमः का 108 बार जाप करें।
असली फिरोजा रत्न की पहचान
असली फिरोजा की एक प्रमुख विशेषता होती है कि वह नीले रंग की साफ लाइट होती है। यह रत्न देखने मे काफी आकर्षक होता है। इसका रंग गहरा नीला आसमानी और कई बार हरा रंग का भी होता है। इसके साथ ही अमेरिकन, तिब्बत और भारत में प्राप्त होने वाला फिरोजा अच्छा माना जाता है। रत्न असली है या नकली इसकी पहचान के लिए आपको रत्न के साथ रत्न प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट) अवश्य लेना चाहिए।
फिरोजा रत्न किसे पहनना चाहिए
वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार फिरोजा रत्न बृहस्पति ग्रह से सम्बन्धित होता है। इसे पहनने से बृहस्पति मजबूत होता है और आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। इसके अलावा बुद्धि और उत्तम स्वास्थ्य भी प्रदान करता है। इस रत्न को धनु राशि के जातकों के लिए शुभ माना जाता है। लेकिन इसे मेष, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि के जातक भी धारण कर सकते है। कुण्डली मे बृहस्पति उच्च का हो या चन्द्र कुण्डली और नवमांश कुण्डली मे भी सकारात्मक अवस्था में हो तो फिरोजा धारण करने से अच्छे परिणाम मिल सकते है। तो आइये जानते है कि फिरोजा रत्न किसे पहनना चाहिए और किसे नही।
☸ इस रत्न को धारण करने से कोई हानि नही होती है इसलिए इसे कोई भी पहन सकता है।
☸ यदि कुण्डली मे बृहस्पति बलवान हो तो इस रत्न को पहनने की आवश्यकता नही होती है।
☸ जो जातक नशीले पदार्थों का सेवन करते है, उन्हें यह रत्न नही धारण करना चाहिए।
☸ जो जातक अहंकारी हो, अधिक उग्र हो या मानसिक रुप से कमजोर हो उसे इस रत्न के धारण से लाभ प्राप्त होगा।
☸ वैवाहिक परेशानी दूर करने के लिए यह रत्न पहन सकते है।
☸ मानसिक शांति एवं मान-सम्मान प्राप्ति के लिए यह रत्न लाभप्रद होगा। जीवन में सुख-समृद्धि के लिए यह रत्न पहने।
☸ कला के क्षेत्र में कलाकार, अभिनेता, फिल्मकार तथ आर्किटेक्चर के लिए भी यह रत्न फायदेमंद साबित होगा।
☸ श्वास सम्बन्धित समस्या, रक्तचाप, अवसाद से मुक्ति पाने के लिए यह रत्न धारण करें।
☸ कार्य-व्यवसाय के क्षेत्र मे आपको सफलता प्राप्ति के लिए आपको यह रत्न धारण करना चाहिए।
फिरोजा रत्न का क्या काम आता है
यह रत्न प्रायः तुर्की में पाया जाता है। यह आकर्षक रत्न बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है। इसको पहनने से ज्ञान में वृद्धि होती है और जीवन सुखमय व्यतीत होता है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में इस रत्न को धन का प्रतीक माना जाता था, फलस्वरुप इसे धारण करने से सुख-समृद्धि में भी बढ़ोत्तरी होती है।