बुद्ध पूर्णिमा

बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध को समर्पित बुद्ध पूर्णिमा खास त्योहारों में से एक माना जाता है। यह पर्व महात्मा बुद्ध के द्वारा सत्य की खोज के लिए भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बुद्ध पूर्णिमा का सर्वाधिक महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी नाम स्थान पर इसी दिन हुआ था इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है।

Buddha Purnima(बुद्ध पूर्णिमा) by Astrologer K.M. Sinha- बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि पर हुआ था तथा वैशाख माह के पूर्णिमा तिथि को ही गौतम बुद्ध को बोध गया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। भगवान बुद्ध को महान और एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक माना जाता है जिन्होंने बहुत ही सरल और आध्यात्मिक जीवन व्यतीत करने के लिए अपने जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुख और भौतिकवादी सम्पत्ति को त्याग दिया। बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध जी के द्वारा दी गई शिक्षाओं को सुख के साधन के रूप में माना जाता है जिसके अनुसरण से मनुष्य अपने सभी कष्टों को समाप्त कर लेता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन बुद्ध के द्वारा दी गई शिक्षाओं का बहुत ही ईमानदारी से पालन किया जाता है इसके अलावा मांसाहार से दूर रहकर, गरीबों को जरूरत का सामान और खीर दिया जाता है इसके अलावा बौद्ध धर्म के नाम से पवित्रता बनाये रखने के लिए आमतौर पर लोगों द्वारा सफेद कपड़े भी पहने जाते हैं।

आइए जानें ज्योतिषाचार्य के.एम.सिन्हा द्वारा बुद्ध पूर्णिमा से जुड़े ज्योतिषीय महत्व

बुद्ध पूर्णिमा के अन्य महत्वों के साथ-साथ इससे जुड़े हुए ज्योतिषीय महत्वों को भी देखा गया है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन सूर्य देव अपनी उच्च राशि अर्थात मेष में स्थित होते हैं इसके अलावा इस दिन चन्द्रदेव तुला राशि में स्थित होते हैं। कहा जाता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में पवित्र नदी के जल में स्नान करने से मनुष्यों को अपने कई जन्मों के किये गये पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस पूर्णिमा को कुछ जगहों पर धर्मराज पूर्णिमा भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म के पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान बुद्ध को विष्णु जी का नौवां अवतार माना जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा से जुड़े धार्मिक कार्य

☸ बुद्ध पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

☸ उसके बाद सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।

☸ तत्पश्चात इस दिन के व्रत का संकल्प लेकर उपवास रखें तथा उनकी पूजा करें।

भगवान विष्णु जी की प्रतिमा के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें एवं घर के प्रवेश द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वास्तिक बनायें।

☸ उसके बाद गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें वस्त्र और भोजन दान करें।

☸ यदि घर में पालतू पक्षी हो तो इस दिन उसे आजाद अवश्य कर दें।

☸ उसके बाद शाम के समय उगते हुए चन्द्रदेव पर जल अर्पित करें।

☸ इस दिन तिल के तेल का दीपक जलाकर तिलोें का तर्पण अवश्य करें।

☸ यदि आपने उपवास रखा है तो उपवास के दौरान एक ही समय भोजन करें।

क्यों मनाया जाता है बुद्ध पूर्णिमा

बौद्ध धर्म के साथ-साथ हिन्दू धर्म में भी बुद्ध पूर्णिमा का पर्व अत्यधिक उत्साह से मनाया जाता है। इस पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व हुआ था तथा इसी दिन पर भगवान बुद्ध का जन्म 483 ईसा पूर्व में 80 वर्ष की उम्र में देवरिया के कुशीनगर में महाप्रणाय हुआ था इसके अलावा भगवान बुद्ध ने इसी दिन ज्ञान की प्राप्ति भी की इसलिए भगवान बुद्ध जी की याद में बुद्ध पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से मनाया जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

बुद्ध पूर्णिमा 23 मई 2024 को गुरूवार के दिन मनाया जायेगा।
इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भगवान बुद्ध जी की 2586 वीं जयंती मनाई जायेगी।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भः- 22 मई 2024 को शाम 06ः47 मिनट से,
पूर्णिमा तिथि समाप्तः- 23 मई 2024 को शाम 07ः22 मिनट तक।

 

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