बुध की महादशा में अन्य ग्रहों की अन्तर्दशा फल

बुध की महादशा में बुध के अन्तर्दशा का फलः-

शुभ फल:- यदि जन्म कुण्डली मे बुध विराजमान है व उच्च स्थान मे व स्वराशि मे मित्रो के साथ है तो अपनी अन्तर्दशा में जातक को सकारात्मक फल प्रदान करते है। जातक अधिक उच्च शिक्षा प्राप्त करता है परीक्षा में अच्छा अंक हासिल जातक निडर स्वभाव का होता है। कार्यों मे सफलता हासिल होता है।

अशुभ फल:-  बुध यदि अशुभ व नीच स्थान अस्त व वक्री हो तो बुध अपनी अन्तर्दशा में जातक पर नकारात्मक प्रभाव देते है। विशेष तौर पर विद्यार्थी को अशुभ फल देता है परीक्षा मे अच्छे परिणाम नही आता है। कार्यों मे असफलता मिलता है। स्वजनों से वाद-विवाद होता है।

बुध की महादशा में केतु के अन्तर्दशा का फलः-

शुभ फल:- यदि केतु उच्च राशि, शुभ ग्रह के साथ विराजमान हो तो अपनी अन्तर्दशा मे जातक का अचानक धन लाभ होता है, जातक कम विद्या कर के भी उच्च सफलता प्राप्त करता है। जातक को भाई से प्यार मिलता है और उनका सहयोग भी देता है। जातक को तीर्थ स्थान पर जाने का सौभाग्य प्राप्त होता है। भगवान की पूजा-पाठ करने से अत्यन्त लाभ प्राप्त होता है।

अशुभ फल:- अशुभ केतु व नीच स्थान में होने पर जातक को सफलता प्राप्त करने मे कठिनाई आती है। घर परिवार व मित्र-परिजनो से कलह होता है व वाद-विवाद होता है। जातक को हैजा, चेचक और मन्दाग्नि रोग से परेशानी होती है।

बुध की महादशा में शुक्र के अन्तर्दशा का फलः-

शुभ फल:- यदि शुक्र लग्न भाव में स्थित होकर, केन्द्र त्रिकोण व आय स्थान से होकर उच्चादि बल से युक्त हो तो शुक्र की अन्तर्दशा पर विद्यार्थी लोग कम मेहनत करने के बाद भी उच्च सफलता व अच्छा परिणाम हालि कर लेता है। पूजा-पाठ, भजन, कथा-कीर्तन मे भाग लेकर पुण्य पाता है। शुभ व मंगल कार्य होते है। उच्च वाहनों का सुख प्राप्त होता है। समाज में मान, पद, प्रतिष्ठा बढ़ता है।

अशुभ फल:- अशुभ शुक्र की स्थिति मे जातक का वासना बढ़ जाता है। बुरे लोग व पराय स्त्री के साथ सम्बन्ध बढ़ जाता है, समाज में मान-सम्मान मे कमी आती है व अप्रशंसा होता है। धन हानि होता है। यदि अशुभ शुक्र दशानाथ से अष्टम हो तो स्त्री की मरने का कष्ट मिलता है। जातक को दुर्घटना का भय बना रहता है।

बुध की महादशा में सूर्य के अन्तर्दशा का फलः-

शुभ फल:- यदि सूर्य कारक वर्ग मे बली केन्द्र व त्रिकोण मे स्थित है तथा शुभ ग्रह के साथ है तो अपनी अन्तर्दशा मे जातक को पिता की सम्पत्ति से लाभ मिल सकता है। जातक को व्यापार मे लाभ मिलता है। थोड़े प्रयास करने के पश्चात् आप जो चाहते है आपको प्राप्त होगा। मांगलिक कार्य घर में होते रहेंगे। वेतन मे वृद्धि होगा और पदोन्नति भी हो सकती है।

अशुभ फल:- जब सूर्य अशुभ क्षेत्र मे स्थित रहेगा तो अपनी अन्तर्दशा मे जातक के अन्दर नकारात्मकता व क्रोध बढ़ता है तथा मन में जलन उत्पन्न होगा। चोर, अग्नि व शस्त्र से आपको दुःख पहुंच सकता है तथा जातक को एक-आक रोग भी हो सकता है।

बुध की महादशा में चन्द्रमा के अन्तर्दशा का फलः-

शुभ फल:- यदि चन्द्रमा पूर्ण बली, उच्च राशि में तथा शुभ ग्रहों के साथ हो तथा विराजमान हो तो अपनी अन्तर्दशा में जातक को शुभ फल देता है। जिसके फलस्वरुप जातक का मन पढ़ने-लिखने मे ज्यादा लगता है तथा जातक धनवान रहता है।

अशुभ फल:- अशुभ चन्द्रमा की दिशा में जातक को प्रेम-प्रसंग मे असफलता मिलता है तथा जातक का मन स्त्रियों से साथ रमण करने मे लगता है। स्त्रियों मे गर्भपात होने का भय बढ़ जाता है तथा पुरुषो मे जल मे डूबने से मौत व जानवरों से नुकसान पहुंचने का भय बना रहता है।

बुध की महादशा में मंगल के अन्तर्दशा का फलः-

शुभ फल:- यदि मंगल शुभ व बलवान तथा शुभ ग्रहों के साथ हो तो जातक विशेष लाभान्वित होते है। ऐसे जातक कृषि व पुलिस के क्षेत्र में कार्यरत होते है। नये-नये ग्रह, जमीन, पशु आदि से आपको धन प्राप्त होते है तथा जातक को न्यायालय के क्षेत्र में लाभ प्राप्त होते है।

अशुभ फल:- अशुभ मंगल की अन्तर्दशा मे जातक को चोट व दुर्घटना हो सकता है जिस कारण जातक के बुद्धि पर भी थोड़ा असर पड़ सकता है। जातक का मन अपराध क्षेत्र के तरफ बढ़ जाता है। ऐसे जातक के अन्दर कामवासना इतना बढ़ जाता है कि वह अपनी इच्छाओं के पूति के लिए किसी भी हद तक जा सकते है।

बुध की महादशा में राहु के अन्तर्दशा का फलः-

शुभ फल:- यदि राहु बलवान शुभ क्षेत्र मे स्थित हो तो अपनी अन्तर्दशा में जातक को अत्यधिक खुशिया, सुख लाभ प्राप्त होता है। ऐसे जातक को राजनीति के क्षेत्र सफलता मिलता है तथा जो जातक व्यापार व उद्योग के क्षेत्र में होगा उन्हें भी उच्च सफलता प्राप्त होता है। ऐसा जातक उच्च शिक्षा ग्रहण। जातक को समाज में मान-पद प्रतिष्ठा ग्रहण होता है।

अशुभ फल:- अशुभ राहु की अन्तर्दशा मे जातक को किसी भी कार्य में सफलता नही मिलता। जातक को सब कार्य, व्यापार क्षेत्र में नुकसान ही होता है तथा जातक का पत्नी, मित्रों संतान के साथ व्यर्थ के वाद-विवाद होते है। जातक के पदोन्नति मे विलम्ब आयेगा।

बुध की महादशा में बृहस्पति के अन्तर्दशा का फलः-

शुभ फल:- बृहस्पति बलवान, शुभ स्थान होने पर अपनी अन्तर्दशा मे जातक को शुभ फल देता है। ऐसा जातक का विचार व व्यवहार शांत स्वभाव का होता है तथा ऐसे जातक का मन पूजा-पाठ, यज्ञ के तरफ ज्यादा लगता है। शुभ बृहस्पति के होने के फलस्वरुप जातक उच्च शिक्षा ग्रहण करता है तथा सफलता प्राप्त करता है। ऐसे जातक का जीवन यश व खुशियों से परिपूर्ण होता है।

अशुभ फल:- बृहस्पति के अशुभ व शत्रु क्षेत्र में होने पर जातक को कार्यों मे सफलता देर से मिलता है। जातक स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाता है जिसके फलस्वरुप जातक का अपने मित्रो व जीवनसाथी के साथ वाद-विवाद होता रहता है। जातक को स्वास्थ्य भी खराब होता है। जिससे उन्हें शारीरिक दुःख भी प्राप्त होता है।

बुध की महादशा में शनि के अन्तर्दशा का फलः-

शुभ फल:- बुध की महादशा में यदि शनि बलवान तथा शुभ क्षेत्र में हो तो अपनी अन्तर्दशा मे जातक का मन दूसरो के सेवा करने में गरीब व असहाय के मदद करने मे लगता है। ऐसे जातक अपने आप मे खुश रहने वाला होता है तथा जातक का मन धर्म-कर्म व व्रत पूजा में ज्यादा लगता है।

अशुभ फल:- अशुभ शनि की अन्तर्दशा मे जातक को किसी कार्य मे सफलता नही मिलता। जिस कारण जातक का मन उदास रहता है। जातक को संतान पक्ष से निराशा होता है। धर्म के क्षेत्र में जातक का मन नही लगता है।