महाप्रलय (युग परिवर्तन)

युग परिवर्तन क्या हैः-

काल समय का युग परिवर्तन कैसे होगा श्रीमद् भागवत पुराण में इसका विस्तार देखने को मिलता है। जब एक ही मत मे सभी ग्रह राशि परिवर्तन करने लगें उस परिस्थिति को देखते हुए युग परिवर्तन का अनुमान लगाया जा सकता है। नवग्रहों की एक विशोंत्तरी दशा  लम्बी अवधि की होती है पर उस अवधि में ही एक बार नौ ग्रहों की अन्तर्दशा बदल जाती है युग निर्माण की बात पर कुछ रुढ़ीवादी का यह मत है की अभी कलयुग बहुत दिनों तक रहेगा और आगे इससे भी बुरी परिस्थितियां पैदा होंगी इस प्रकार से युग परिवर्तन के वर्णन भागवन पुराण तथा अन्य ग्रंथों में भी जगह-जगह पायें जाते है पर उपयुक्त कथन की एक विशेषता है कि इसमें युग परिवर्तन के समय ग्रहों की स्थिति बहुत खराब होगी। पुराण के अनुसार यह भी कहा गया है की जब पृथ्वी पर सूर्य की ऊष्मा अधिक बढ़ जायेंगी तब ऐसी संभावना उत्पन्न हो सकती है जिसके कारण लोग घरों में ही रहना चाहेंगे  किन्तु माना यह गया है की अभी कलयुग 4 लाख 32 हजार वर्षों तक रहेगा जिसमें 5124 वर्ष बीत चुके है। शेष 4,26,876 वर्ष बचें है।

कब होगा कलकी अवतारः- तीन मुख्य बातें।

☸ जब सूर्य की ऊष्मा इतनी बढ़ जाएगी की जीवन अत्यन्त कठिन प्रतीत होगा चारो तरफ गर्मी की अधिकता के कारण लोग ठण्डें व शीतल क्षेत्रो में रहना पसन्द करेंगे घरों से बाहर निकलना कठिन हो जाएगा तब कल्की अवतार की संभावना उत्पन्न हो सकती है।
☸ दूसरी घटना के अनुसार मनुष्य की आयु में कमी आयेगी तथा उनकी लम्बाई 4 या 5 फीट मात्र होगी एवं महिलाएं 8 वर्ष की अवस्था में गर्भवती होने लगेंगी तथा मनुष्य 16 वर्षों के आयु तक पहुंचते ही स्वयं को वृद्ध मान लेगा अर्थात वृद्धावस्था आ जाएगी। इस घटना से कल्की अवतार होने की पूर्ण संभावना होगी।
☸ मनुष्यों में पाप एवं बुराईयां, द्वेष भावना, ईर्ष्या आदि की अधिकता बढ़ जाएगी वह अधर्मी प्रवृति का हो जाएगा।

कैसे हो रहा युग परिवर्तनः-

नयी औद्योगिक एवं मानव निर्मित तकनीकियों के साथ जैसे-जैसे व्यक्ति विकास की ओर बढ़ता चला जा रहा है वैसे-वैसे सामाजिक बदलाव हो रहा है। सतयुग को प्रथम युग माना जाता है। इस युग में सत्य बोलना सर्वोपरि होता था किसी भी तरह का कोई पाप कर्म नही इस युग को नरसिंह अवतार से जोड़ा जाता है। इस युग की अवधि 17 लाख 28 हजार वर्ष मानी जाती है इसके बाद त्रेता युग का आगमन होता है। इस युग में राम अवतार हुए जिसमे सत्यता थोड़ी कम थी तथा छल कपट देखने को मिला इसके बाद द्वापर युग आरम्भ हुआ जो 12 लाख 96 हजार वर्ष की अवधि का था इस युग में श्री कृष्ण जी ने अवतार लिया जिसमें सत्य तो था किन्तु उसके साथ छल एवं कपट भी बढ़ा हुआ था इस युग की अवधि 86 लाख 4 हजार वर्ष मानी जाती है अंत में कलयुग आता है। वर्तमान समय कलयुग ही चल रहा है। पुराणों मे ऐसी मान्यता है की धरती का उद्धार करने के लिए इस युग में कल्कि अवतार होंगे यह सभी अवतार भगवान विष्णु के ही माने जाते है। इस समय में होने वाली घटनाएं झूठ, पाप, लूटपाट, दुष्कर्म, इत्यादि कलयुग के दौर का प्रमाण है। दिन प्रतिदिन बढ़ती भीषण गर्मी सूखा तथा बढ़ती बीमारियां, महामारी इस बात का संकेत करती है की कलयुग अपनी चरम सीमा पर है और हम एक बार फिर युग परिवर्तन की ओर बढ़ रहे प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के अनुसार यह समय कलयुग और सतयुग बीच के अंतराल का चल रहा है यह वह समय है जब एक तरफ कलयुग का अंत होने वाला है और दूसरी तरफ सतयुग स्थापित होने वाला है। हम एक बार फिर युग परिवर्तन की ओर अग्रसर हो रहें है।

 

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