फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव एवं माता पार्वती जी के विवाह के रुप में मनाया जाता है जिसे हम महाशिवरात्रि के रुप में मनाते है। आज के दिन शिव जी की पूजन-अर्चना की जाती है व व्रत रखते है। ऐसा करने से दाम्पत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है तथा सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है एवं सभी शिव जी के भक्तों पर उनकी कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है।
व्रत के नियमः-
☸महाशिवरात्रि के एक दिन पहले त्रयोदशी तिथि में भगवान शिव का पूजन एवं व्रत करना चाहिए।
☸शिव जी की पूजा प्रदोष काल में दिन और रात्रि के मिलन के समय की जाती है।
☸इस दिन शिव जी की प्रतिमा या उनके शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर ओम नमः शिवाय मंत्र से पूजा करनी चाहिए। रात्रि के चौथे प्रहर में शिव जी की पूजा करनी चाहिए और अगले दिन प्रातः काल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
☸इस दिन भगवान शिव को बिल्व पत्र एवं सफेद आंकड़े का पुष्प चढ़ाना फलदायी होता है।
☸शिव पुराण के अनुसार शिव को रुद्राक्ष, बिल्व पत्र, भोग, शिवलिंग और काशी स्थान अतिप्रिय है।
☸इस दिन महानिशिथकाल में महामृत्युंजय का जाप करने से रोग-शोक से राहत मिलती है।
☸ शिव की उपासना और व्रत रखने से शुभ फल मिलते है महाशिवरात्रि के सिद्ध मुहूर्त में शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठित करवाकर स्थापित करने से व्यवसाय में वृद्धि और नौकरी में उन्नति होती है।
☸शिवरात्रि के प्रदोष काल में शिवलिंग को शुद्ध गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराकर धूप-दीप जलाकर मंत्र का जाप करने से समस्त बाधाओं का शमन होता है।
☸दूध से भगवान शिव का अभिषेक करते हुए ओम हीं नमः शिवाय हीं ओम मंत्र का उच्चारण करना चाहिए
☸विवाह में आ रही बाधाओं तथा वैवाहिक जीवन में आ रहे कष्टों को दूर करने के लिए इस मंत्र के साथ शिव-शक्ति की पूजा करें।
मंत्रः- हे गौरी शंकरार्धागि यथा त्व शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी कात्तकांता सुदृलुभाग।।
☸सम्पूर्ण पारिवारिक सुख-सौभाग्य हेतू निम्न मंत्र का जाप भी कर सकते है।
ओम साम्ब सदा शिवाय नमः।
सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्रः-
ओम हौ जू सः ओम भूर्भवः स्वः
ओम ऋयम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योमुक्षीय मामृताम्
ओम स्वः भुवः भूः ओम सः जूं हौं ओम