महिषासुर का वध: माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी 2024

महिषासुर का वध: माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी 2024

महिषासुर के वध की कथा माँ दुर्गा की अदम्य शक्ति और साहस का प्रतीक है। महिषासुर, जो एक असुर जाति का था, भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त कर अत्यंत शक्तिशाली हो गया था। उसने इस शक्ति का दुरुपयोग कर धरती पर आतंक मचाया। देवताओं और मनुष्यों को पराजित कर महिषासुर ने अमरावती तक पर विजय प्राप्त कर ली। उसे भगवान ब्रह्मा ने वरदान दिया था कि वह किसी भी देवता या पुरुष द्वारा नहीं मारा जा सकेगा लेकिन उसके अहंकार के चलते उसने स्त्रियों को कमजोर समझा और अपने विनाश का कारण स्वयं बना।

Highlight

Navratri 2024: आपकी नवरात्रि पोशाक कैसी हो? जानिए परंपरा और फैशन का सही संयोजन

महिषासुर का वध: माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी 2024

महिषासुर का आंतक और देवताओं की असफलता

भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त करने के बाद महिषासुर ने अपनी असुर प्रवृत्ति का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया और मानव सभ्यता पर अत्याचार करने लगा। उसके आतंक से समस्त देवता और मानव जाति भयभीत हो गए। वह बिना किसी कारण के मनुष्यों को मारने लगा और देवताओं को तंग करने लगा, जिसके परिणामस्वरूप धरती पर अधर्म की स्थापना हो गई।

Master Astrology with Kundali Expert: Learn Astrology Online with the Expert App

महिषासुर का वध: माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी 2024

महिषासुर ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए इंद्र की नगरी अमरावती पर आक्रमण किया और सभी देवताओं को पराजित कर दिया। उसकी असुर सेना के सामने कोई टिक नहीं सका, जिससे सभी देवता भगवान शिव और विष्णु से सहायता मांगने गए। हालांकि, दोनों ने मिलकर महिषासुर की सेना से युद्ध किया, लेकिन महिषासुर को मिले वरदान के कारण वे भी उसे नहीं हरा सके।

भगवान शिव और विष्णु ने महसूस किया कि महिषासुर का वध करने के लिए किसी अद्भुत शक्ति का प्रकट होना आवश्यक है। इसी कारण माँ दुर्गा का जन्म हुआ, जिन्होंने महिषासुर के साथ युद्ध करके उसका वध किया।

माँ दुर्गा का अवतरण

त्रिमूर्ति (भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश) ने मिलकर महिषासुर और उसकी सेना के नाश के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने अपने क्रोध से एक तेज उत्पन्न किया, जिसमें सभी देवताओं ने अपना योगदान दिया। इस तेज से माँ दुर्गा का कात्यायनी रूप प्रकट हुआ, जो अत्यंत भयानक था और जिसके दस हाथ थे। भगवान शिव ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र और सभी देवताओं ने अपने अस्त्र-शस्त्र माँ कात्यायनी को प्रदान किए।

महिषासुर और माँ दुर्गा के बीच युद्ध

महिषासुर का वध: माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी 2024 1

महिषासुर का वध: माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी 2024

माँ दुर्गा महिषासुर की सेना के पास पहुंचीं और जोर से गर्जना करने लगीं। एक स्त्री को विनाशक रूप में देखकर महिषासुर की सेना चकित रह गई। महिषासुर के साथ करोड़ों असुर थे, जबकि माँ दुर्गा अकेली थीं। लेकिन माँ दुर्गा ने अपनी शक्ति से असुरों में त्राहिमाम मचा दिया। सिंह पर बैठी माँ दुर्गा की गर्जना से चारों ओर भय का वातावरण बन गया।

महिषासुर का वध

माँ ने अपने अस्त्रों से शत्रु सेना में भयंकर मारकाट मचाना शुरू कर दिया। यह युद्ध नौ दिनों तक चला, और माँ दुर्गा बिना थके लगातार असुरों का नाश करती रहीं। धीरे-धीरे महिषासुर के सभी साथी, सिपाही और मंत्री मारे गए।

अंतिम दिन यानी दसवें दिन, महिषासुर का युद्ध माँ दुर्गा से हुआ। तब माँ दुर्गा ने भगवान शिव से मिले त्रिशूल से महिषासुर का वध किया। इस प्रकार, माँ दुर्गा के प्रचंड रूप ने महिषासुर और उसकी राक्षसी सेना का संपूर्ण नाश कर दिया और धर्म की पुनः स्थापना की।

महिषासुर का वध: माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी 2024

अभी जॉइन करें हमारा WhatsApp चैनल और पाएं समाधान, बिल्कुल मुफ्त!

महिषासुर का वध: माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी 2024 2

Join WhatsApp Channel

हमारे ऐप को डाउनलोड करें और तुरंत पाएं समाधान!

Download the KUNDALI EXPERT App

महिषासुर का वध: माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी 2024 3महिषासुर का वध: माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी 2024 4

हमारी वेबसाइट पर विजिट करें और अधिक जानकारी पाएं

Visit Website

संपर्क करें: 9818318303

महिषासुर का वध: माँ दुर्गा और महिषासुर की कहानी 2024

प्रश्न: महिषासुर का वध कैसे हुआ था? 

उत्तर: माँ दुर्गा ने दसवें दिन भगवान शिव के त्रिशूल से महिषासुर का वध किया था।

प्रश्न: माँ दुर्गा ने महिषासुर को कैसे मारा? 

उत्तर: माँ दुर्गा ने महिषासुर को भगवान शिव से प्राप्त त्रिशूल से मारा था।

प्रश्न: महिषासुर के पीछे की कहानी क्या है? 

उत्तर: महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस था जिसने देवताओं और मनुष्यों पर अत्याचार किए थे। माँ दुर्गा ने उसका वध कर धर्म की स्थापना की।

माँ दुर्गा और महिषासुर की यह कथा शक्ति, साहस और अधर्म के नाश की प्रतीक है, जिसे हर वर्ष नवरात्रि के दौरान याद किया जाता है।

264 Views
× How can I help you?