धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने से विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती है । माँ कात्यायनी की पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है ।
माँ कात्यायनी की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है । माँ कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है । माँ कात्यायनी की कृपा से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है तथा शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है ।
माँ कात्यायनी का मंत्र –
‘‘ऊँ देवी कात्यायन्यै नमः ।।
माँ कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र’’
‘‘ चन्द्रहासोज्जवलकरा सदिूलवरवाहन ।
कात्यायनी शुभ दघाद् देवी दानवधातिनी ।।’’
माँ कात्यायनी स्तुति मंत्र –
‘‘या देव सर्वभूतेष माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।’’
माँ कात्यायनी कवच मंत्र –
कात्यायनौमुख पातु का स्वाहास्वरूपिणी ।
ललोट विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी ।।
कल्याणी हदयम् पातु जया भगमालिनी ।।
माँ कात्यायनी का भोग – माँ कात्यायनी को भोग में शहद अर्पित करना चाहिए क्योंकि मां को शहद अति प्रति प्रिय है, तथा नवरात्रि के छठवें दिन माँ दुर्गा को लाल रंग का पुष्प अर्पित करना चाहिए क्यों की माँ को लाल रंग प्रिय है तथा माँ को पान के पत्ते का भी भोग लगाएं जाता है । माँ का ध्यान गोधुलि मुहुर्त में यानि की शाम के समय में करने से माँ प्रसन्न होती है । और शत्रुओें का नाश करती है तथा रोगों से मुक्ति दिलाती है ।
नवरात्रि का छठा दिन , माँ कात्यायनी की पूजन विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, भोग
नवरात्रि के छठवे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है माँ कात्यायनी की पूजा करने से जातक के जीवन में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है । नवरात्रि का छठा दिन माँ दुर्गा के स्वरूप माँ कात्यायनी को समर्पित होता है। माँ कात्यायनी के स्वरूप की बात करें तो माता रानी का स्वरूप अत्यंत भव्य व चमकीला है । माँ की चार भुजाएं है और माँ का वाहन सिंह है ।
माँ कात्यायनी पूजन शुभ मुहूर्त –
ब्रह्म मुहूर्त – 04ः37 ए एम से 05ः25 ए एम ।
अभिजित मुहूर्त – 11ः47 ए एम से 12ः34 पी एम ।
विजय मुहूर्त – 02ः09 पी एम से 02ः57 पी एम ।
गोधूलि मुहूर्त – 05ः55 पी एम से 06ः19 पी एम ।
अमृत काल – 06ः48 पी एम से 08ः20 पी एम ।
रवि योग – 06ः14 ए एम से 03ः 11 ए एम ।
माँ कात्यायनी की पूजा विधि –
☸सुबह उठकर स्नान आदि कर के साफ व स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें ।
☸माँ का प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं ।
☸माँ को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें ।
☸माँ को स्नान करने के बाद पुष्प अर्पित करें ।
☸माँ को रोली, कुमकुम लगाएं व पांच प्रकार के फल एवं मिष्ठान का भोग लगाएं ।
☸माँ को शहद का भोग अवश्य लगाएं ।
☸माँ की आरती करें ।